केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत सबके लिए सुलभ और सस्ते टीके सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध
डॉ. जितेंद्र सिंह ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर सातवें वार्षिक बहु-हितधारक मंच को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया
डॉ. जितेंद्र सिंह ने ’सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के पूर्ण कार्यान्वयन को आगे बढ़ाते हुए कोविड-19 के बाद बेहतर पुनर्निर्माण के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार’ की अपील की
भारत टीकाकरण अभियान को बेहतर ढंग से आयोजित करने के लिए डिजिटल सहायता प्रदान करने के लिए देश में विकसित को-विन ऐप को दुनिया के साथ साझा करने की पेशकश करता है: डॉ. जितेंद्र सिंह
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत सबके लिए सुलभ और सस्ते टीके सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर सातवें वार्षिक बहु-हितधारक फोरम को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत डब्ल्यूएचओ में समानता के सिद्धांत की पुरजोर वकालत करता रहा है और इसने दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ कोविड टीकों, निदान और दवाओं के लिए विश्व व्यापार संगठन में टीआरआईपीसी छूट प्रस्ताव भी रखा है। उन्होंने कहा कि भारत इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन (जीएवीआई), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और एक्सेस टू कोविड-19 टूल्स (एसीटी) एक्सेलेरेटर के साथ सक्रियता के साथ काम कर रहा है।
बहु-हितधारक मंच इस साल सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के पूर्ण कार्यान्वयन को आगे बढ़ाते हुए कोरोनोवायरस बीमारी (कोविड-19) के बाद बेहतर निर्माण के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रतिनिधियों को बताया कि डिजिटल और सूचना प्रौद्योगिकी की विशाल शक्ति कोविड की वैश्विक प्रतिक्रिया का एक प्रमुख घटक रहा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल स्पेस में भारत की ताकत का उपयोग करते हुए नई दिल्ली ने टीकाकरण अभियान को बेहतर ढंग से संचालित करने में डिजिटल सहायता प्रदान करने के लिए भारत द्वारा विकसित को-विन ऐप को दुनिया के साथ साझा करने का निर्णय लिया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत लंबे समय से विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा दे रहा है और क्रांतिकारी विचार पैदा करने और उसे बढ़ावा देने, लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और वैश्विक समस्याओं का समाधान प्रदान करने में मदद करने के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का विकास कर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
पिछले दो वर्षों में महामारी के कारण पैदा हुई चुनौतियों से पार पाने के वैश्विक प्रयासों का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत टीका अनुसंधान में अग्रणी अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक गठबंधन के सदस्य के रूप में उभरा है। डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि हमारा वैज्ञानिक समुदाय, मजबूत फार्मास्युटिकल उद्योग के समर्थन के साथ, दुनिया के पहले डीएनए आधारित टीके सहित सुरक्षित, प्रभावी और किफायती टीकों के विकास और उत्पादन में सफल रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सदस्यों को आगाह किया कि कोविड-19 मामलों के मौजूदा डेटा से प्रदर्शित होती है कि महामारी के बाद की दुनिया से हम अभी भी दूर हैं। उन्होंने संसाधनों को पूल करके और ज्ञान साझा करके सार्थक साझेदारी की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि सहयोग की भावना के साथ विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग, कोविड-19 के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिक्रिया में तेजी लाने और सतत विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने दोहराया कि एसटीआई को वहनीय, सुलभ और उपलब्ध तकनीकी नवाचार के आधार पर एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) वितरण के लिए एक समावेशी और न्यायसंगत उपकरण बनना चाहिए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकी संचालित रचनात्मक व्यवसाय मॉडल और सेवा वितरण में लागत प्रभावी, पारदर्शी और समावेशी तरीके से सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि को तेजी से हासिल करने की एक विशाल क्षमता है। हालांकि हमें सतत विकास से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए विकासशील देशों के लिए प्रौद्योगिकी तक पहुंच सुगम बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी महामारी के बाद की रिकवरी के दौर में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है और हम इसका उपयोग वापस बेहतर निर्माण में कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत उन प्रौद्योगिकी समाधानों का लाभ उठाकर डिजिटल विभाजन को पाट रहा है जो कम लागत वाले, विकासपरक और सभी नागरिकों, खासतौर से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए डिजाइन किए गए। आज गांवों में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या शहरों और सार्वजनिक सेवाओं की तुलना में अधिक हो गई है और अंतिम मेल वितरण डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि इन सबका एसडीजी की उपलब्धि को आगे बढ़ाने में योगदान है।
अपनी समापन टिप्पणी में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, विकासशील देशों के सहयोग की भावना में, भारत प्रौद्योगिकी सुविधा तंत्र और संयुक्त राष्ट्र की इंटरएजेंसी टास्क टीम (आईएटीटी) के साथ सहयोग कर रहा है ताकि अफ्रीका और दुनिया के अन्य विकासशील देशों को सतत विकास लक्ष्यों की विस्तृत योजना के लिए उनके विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के प्रतिपादन और कार्यान्वयन में मदद मिल सके।