एस पी बालासुब्रमण्यम भारतीय मूल्यों और संस्कृति के प्रतीक थे: उपराष्ट्रपति

0

एस पी ने भारतीय संस्कृति और तेलुगु भाषा को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रेरित करने में अग्रणी भूमिका निभाई: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने एस पी बालासुब्रमण्यम के दौर को तेलुगु फिल्म उद्योग का ‘स्वर्ण युग’ बताया

भारत को एक सॉफ्ट पावर के रूप में पेश करने में भारतीय संस्कृति, संगीत, फिल्म और ललित कला महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

भारतीय संस्कृति, विरासत और भाषाओं की रक्षा और प्रचार-प्रसार में युवाओं को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए

उपराष्ट्रपति ने प्रसिद्ध पार्श्व गायक एस पी बालासुब्रमण्यम के जीवन पर एक वृत्तचित्र और एक पुस्तक का विमोचन किया

उपराष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडू ने आज स्वर्गीय श्री एस पी बालासुब्रमण्यम को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी सुरीली आवाज से न केवल मनोरंजन जगत (टिनसेल दुनिया) पर राज किया, बल्कि वे भारतीय मूल्यों और संस्कृति के एक अवतार भी थे। वह हमेशा सभी के लिए प्रेरणा बने रहेंगे, खासकर युवा पीढ़ी के लिए।

आज हैदराबाद में महान पार्श्व गायक के जीवन पर एक वृत्तचित्र और एक पुस्तक का विमोचन करते हुए, श्री नायडू, जिनका उनके साथ कई वर्षों से घनिष्ठ संबंध रहा है, ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों से जोड़े रखना और उनका मार्गदर्शन कराना बालासुब्रमण्यम को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

 

 

 उपराष्ट्रपति आज हैदराबाद में महान गायक एस पी बालासुब्रमण्यम पर एक पुस्तक और एक वृत्तचित्र के विमोचन के दौरान।

उपराष्ट्रपति ने पुस्तक की पहली प्रति प्रसिद्ध अभिनेता श्री कमल हासन को सौंपी। उपराष्ट्रपति ने वृत्तचित्र निर्माता श्री संजय किशोर और पुस्तक के लेखक श्री पी एस गोपालकृष्ण को बधाई दी। उन्होंने तेलुगु पुस्तकों के प्रकाशन को बढ़ावा देने और कला और संस्कृति की रक्षा और प्रचार करने के लिए श्री वारा प्रसाद रेड्डी की भी सराहना की।

श्री नायडु ने कहा कि श्री बालासुब्रमण्यम ने न केवल तेलुगु फिल्मी गीतों को वैश्विक पहचान दिलाई बल्कि भारतीय संस्कृति और तेलुगु भाषा को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए अथक प्रयास किया।

उन्होंने कहा कि दिवंगत गायक एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे। वह एक प्रसिद्ध पार्श्व गायक बनने के अलावा, एक संगीत निर्देशक, फिल्म निर्देशक और अभिनेता भी थे और उन्होंने हजारों युवाओं को अपना स्नेह और अपने लोकप्रिय टेलीविजन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रोत्साहित किया।

श्री बालासुब्रमण्यम एक उच्च संस्कारी और मिलनसार स्वभाव के विनम्र व्यक्ति थे। उनके पास मौजूद गुणों ने उन्हें सभी से सम्मान और आदर दिलाया।

उपराष्ट्रपति ने तेलुगु सिनेमा में पार्श्व गायक बालासुब्रमण्यम के दौर को ‘स्वर्ण युग’ बताते हुए कहा कि उनके जैसे कलाकार अपने काम के माध्यम से अमर रहते हैं।

माता-पिता से विरासत में मिले मूल्यों, रीति-रिवाजों और परंपराओं के महत्व पर जोर देते हुए, श्री नायडू ने पार्श्व गायक के पिता, श्री सांबामूर्ति द्वारा उनके व्यक्तित्व को आकार देने में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया। फिल्मी दुनिया में अपने अभूतपूर्व उदय के बावजूद, श्री बालासुब्रमण्यम हमेशा सादगी और विनम्रता के प्रतीक बने रहे। उपराष्ट्रपति ने दिवंगत गायक द्वारा अपने पिता की याद में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में परिवार के पैतृक घर को वैदिक स्कूल में बदलने के लिए भी सराहना की।

यह देखते हुए कि भारतीय संस्कृति, संगीत, फिल्म और ललित कला भारत को एक सॉफ्ट पावर के रूप में पेश करने में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं, श्री नायडू ने भारत की संस्कृति, परंपराओं और भाषाओं की रक्षा और बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया और युवाओं से इसमें नेतृत्व करने का आह्वान किया।

इस कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक श्री कमल हासन, श्री गोपालकृष्ण, वृत्तचित्र-निर्माता श्री संजय किशोर, एस पी बालसुब्रमण्यम के परिवार के सदस्य और कई अन्य लोगों ने भाग लिया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.