संस्कृति मंत्रालय ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के लिए रंगोली उत्सव ‘उमंग’ का आयोजन किया

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70 से अधिक जगहों पर रंगोली की सजावट के साथ प्रगतिशील भारत@75 की यात्रा में महिलाओं के योगदान का जश्न मनाया गया

भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। पूरे देश में इस अवसर को चिह्नित करने के लिए कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जा रही है। समारोह के हिस्से के रूप में, संस्कृति मंत्रालय ने 24 जनवरी 2022 को उमंग रंगोली उत्सव का आयोजन किया।

 

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आज के दिन को हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसलिए बालिका दिवस का जश्न मनाने के लिए इस वर्ष एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने महिला स्वतंत्रता सेनानियों या देश की महिला रोल मॉडल के नाम पर सड़कों और चौराहों पर रंगोली की सजावट की। 19 राज्यों में 70 से अधिक स्थानों पर रंगोली की सजावट की गई। इस कार्यक्रम के जरिए प्रगतिशील भारत@75 की यात्रा में महिलाओं के योगदान का गुणगान करने के लिए ‘बालिका दिवस’ और ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ एक साथ मनाया गया।

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बालिका दिवस का बहुत महत्व है क्योंकि यह लोगों को देश में बालिका के महत्व और उसके अधिकारों के बारे में जागरूक करता है। इस कार्यक्रम ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’, ‘बेटी जिंदाबाद’ आदि जैसी पहलों के बारे में जागरूकता भी पैदा की है। इस कार्यक्रम ने सभी को लैंगिक भेदभाव खत्म करने और प्रत्येक बालिका को बढ़ने, सपने देखने और उन्हें पूरा करने का समान अवसर मुहैया कराते रहने की याद दिलाई।

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भारत को आज़ादी दिलाने के लिए बहादुरी से लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार भी इस आयोजन का हिस्सा बने। ऐसा ही एक स्थान था मध्य प्रदेश में राजगढ़ जहां कुंवर चैन सिंह के परिवार की उपस्थिति ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कुंवर चैन सिंह नरसिंहगढ़ के राजकुमार थे जिन्होंने 1824 में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी। वे भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। जौनपुर में, वहां के स्वतंत्रता सेनानी श्री रामेश्वर प्रसाद सिंह की 119 वर्षीय पत्नी महारानी देवी जी की उपस्थिति में ‘उमंग रंगोली उत्सव’ का आयोजन किया गया।

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इस कार्यक्रम में #यूनिटीइनक्रिएटीविटी चैलेंज के प्रतिभागियों, कलाकार संगठनों और विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं स्कूलों के छात्रों ने भी भाग लिया। स्थानीय समुदायों के लोगों ने इस आयोजन में भाग लिया और ‘जनभागीदारी’ की भावना को बढ़ावा दिया। यह कार्यक्रम ‘बालिका शक्ति’ के संदेश को फैलाने में सफल रहा।

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