सरकार ने ग्राम इंजीनियरों के पहले बैच को प्रशिक्षण दिया, दूसरे जिलों में दोहराया जाएगा यह मॉडल
आत्म-निर्भर भारत का रास्ता आत्म-निर्भर गांवों से होकर गुजरता है- श्री राजीव चंद्रशेखर
समृद्धि का पासपोर्ट है कौशल – श्री राजीव चंद्रशेखर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत संकल्प की शुरुआत ग्रामीण युवाओं के सशक्तिकरण से होती है। आत्म-निर्भर भारत का रास्ता आत्म-निर्भर गांवों से होकर गुजरता है। स्थानीय स्तर पर रोजगार/स्वरोजगार और उद्यमिता के नए अवसर पैदा करना नरेन्द्र मोदी सरकार के विश्वास का विषय है। ये बातें कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने जनजातीय युवाओं के कौशल को बढ़ाने के लिए प्रायोगिक परियोजना- ग्रामीण जनजातीय तकनीकी प्रशिक्षण या ग्रामीण उद्यमी के तहत प्रशिक्षुओं के पहले बैच को प्रमाण पत्र वितरण के दौरान राजभवन, भोपाल में आयोजित समारोह में कही।
मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल की अध्यक्षता में आयोजित एक समारोह में ग्राम अभियंता बने लगभग 140 जनजातीय युवाओं को आज कौशल प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। केंद्रीय मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर वर्चुअल माध्यम से इस समारोह में शामिल हुए। उन्होंने प्रशिक्षुओं को कौशल प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने और कौशल प्राप्त करने के लिए बधाई दी और इस कौशल को उन्होंने “समृद्धि का पासपोर्ट” कहा।
प्रायोगिक परियोजना पर संतोष व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह प्रायोगिक कार्यक्रम हमें देश भर के अन्य जिलों में इसकी सफलता को दोहराने के लिए एक लॉन्च पैड प्रदान करता है। यह जनजातीय युवाओं को अवसर उपलब्ध कराकर स्थानीय स्तर पर सशक्त बनाएगा – जिससे पलायन पर भी रोक लगाई जा सकेगी। उन्होंने कहा कि यह जिलों में स्थानीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करेगा, जो सरकार के नए आर्थिक दृष्टिकोण के अनुरूप है और यह आत्म-निर्भरता पर जोर देता है।
लाभार्थियों को 5 विषयों- विद्युत और सौर ऊर्जा, कृषि मशीनीकरण, ई-गवर्नेंस, नल का काम और राज मिस्त्री का काम, दोपहिया वाहन मरम्मत एवं रख-रखाव में प्रशिक्षण दिया गया है। यह प्रशिक्षण युवाओं को अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में भी सक्षम बनाएगा, जिससे अन्य युवाओं के लिए भी रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे। बहु-कौशल और बेरोजगार युवाओं को ग्राम इंजीनियरों में बदलने की अवधारणा अपनी तरह की पहली है और इसे अन्य जिलों में भी दोहराया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने कोविड के बाद के इस समय में कौशल के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने भारत और भारतीयों को बड़े अवसर प्रदान करने वाली पारंपरिक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान पैदा किया है। दुनिया अब एक भरोसेमंद सहभागी की तलाश में है। उन्होंने कहा कि जैसा कि दुनिया अब भारत की ओर देख रही है, हमें वैश्विक कौशल केंद्र के रूप में उभरने के लिए अपने युवाओं का कौशल बढ़ाने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमें स्किल इंडिया 1.0 के लाभों पर आधारित कौशल बढ़ाने की दिशा में एक नई सोच के साथ काम करने और कोविड के बाद उभरती हुई नई विश्व व्यवस्था द्वारा भारत को पेश किए गए नए आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने का निर्देश दिया है।
संसदीय संकुल परियोजना के तहत इस प्रायोगिक परियोजना को भारत के 6 राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और ओडिशा से चुने गए 17 जिलों के 17 समूहों के लगभग 250 लाभार्थियों को प्रशिक्षित करने के लिए 13 मई 2022 को शुरू किया गया था। इसका शुभारंभ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर, श्री बीएल संतोष सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया गया था।
सरकार ग्रामीण युवाओं को अधिक अवसर प्रदान करने और स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए कौशल को एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में प्राथमिकता दे रही है। इस प्रयास के तहत 700 जिलों में से प्रत्येक के लिए जिला कौशल योजना तैयार की जा रही है। केंद्र सरकार ने प्रत्येक जिले के लिए एक महात्मा गांधी राष्ट्रीय फेलो नियुक्त किया है, जो स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार कौशल को आकार देने में स्थानीय जिला कलेक्टर के साथ जिले के जनप्रतिनिधि के रूप में काम करेगा। इसे कृषि अर्थव्यवस्था और गैर-कृषि अर्थव्यवस्था में बांटा जाएगा। वहां किस प्रकार के कौशल की आवश्यकता है, वहां किस प्रकार के अवसर मौजूद हैं।