जल शक्ति मंत्रालय स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के दूसरे चरण के लिए राज्यों की क्षमताओं को मजबूत करेगा
अपने गांवों को खुले में शौच से मुक्त-ओडीएफ प्लस बनाने के प्रयासों के अंतर्गत प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की क्षमता निर्माण रणनीति और प्रशिक्षण कैलेंडर को अंतिम रूप देने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग ने यूनिसेफ के सहयोग से आज नई दिल्ली में क्षमता निर्माण के लिए एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। ओडीएफ प्लस का दर्जा हासिल करने के लिए हितधारकों का क्षमता निर्माण महत्वपूर्ण है और स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) के दूसरे चरण के कार्यान्वयन के तीसरे वर्ष में, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य है कि उनके सभी गांव ओडीएफ प्लस बन जाएं। कार्यक्रम में देश भर में स्वच्छता अनुभाग में कार्यरत 150 से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया।
उद्घाटन सत्र में बोलते हुए, पेयजल और स्वच्छता विभाग-डीडीडब्ल्यूएस की सचिव, श्रीमती विनी महाजन ने कहा, “मेरा मानना है कि हमारे पास लोगों के जीवन में बदलाव लाने का एक अनूठा और ऐतिहासिक अवसर है। वर्षों से किए गए कार्यों ने हमें गति दी है और आज भारत सरकार और राज्य सरकारों दोनों में उच्चतम स्तर पर मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और तकनीकी ज्ञान से लैस होने के साथ ग्रामीण स्वच्छता के लिए हमें क्या करने की आवश्यकता के है, हम जानते हैं क्या करना है, कैसे करना है। इसलिए, हम वास्तव में अपने ग्रामीण इलाकों को बदल सकते हैं।” सचिव ने कहा कि लेकिन, हम सरकारी आदेश के द्वारा ऐसा नहीं कर सकते हैं, अगर हम ग्रामीण स्वच्छता प्रदान करना चाहते हैं जो कि मानव अधिकार है, और जो मानव स्वास्थ्य और लोगों की गरिमा के लिए जरूरी है, तो इसे स्थानीय समुदायों के जुड़ाव के साथ, निरंतर भागीदारी और मजबूत भागीदारी के साथ करना होगा ।
पर्याप्त धन उपलब्ध होने के बारे में बल देते हुए, उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर पंचायत नेताओं को आवश्यकता, महत्व और संभावनाओं को पहचानना चाहिए और समझना चाहिए कि उनके क्षेत्रों में कौन सा विकल्प सबसे अच्छा काम करता है। श्रीमती महाजन ने कहा कि जब तक हम यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं कि आवश्यक कार्रवाई की ज़रूरत है, बुनियादी ढांचे का विकास और रखरखाव किया जाता है और सिस्टम मौजूद होते हैं, तो हम इस ऐतिहासिक अवसर को खो सकते हैं।
सचिव ने सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “यह कार्य अत्यधिक जटिल है क्योंकि हम विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में 6 लाख गांवों के बारे में बात कर रहे हैं। हमें प्रतिबद्ध लोगों वाली मजबूत टीमों की जरूरत है जो इस मुद्दे पर अपना ध्यान, ऊर्जा और उनकी बौद्धिक क्षमता देने के इच्छुक हैं और इसे जिला और ब्लॉक स्तर तक तैयार किया जाना चाहिए। साथ ही, प्रत्येक पंचायत को इस कार्य में शामिल किया जाना चाहिए और सभी स्तरों पर मास्टर प्रशिक्षकों को विकसित करने और अगले स्तर तक प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है।”
यूनिसेफ के पानी, स्वच्छता और साफ सफाई-वाश प्रमुख, श्री निकोलस ऑस्बर्ट ने अपने उद्घाटन भाषण में रेखांकित किया कि भारत के लिए क्या दांव पर लगा है क्योंकि यह सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता पर एसडीजी 6.2 के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करता है जो कि मल कीचड़ प्रबंधन के माध्यम से मानव मल की ट्विन पिट शौचालयों के संचालन और रखरखाव के माध्यम से शौचालय का उपयोग करके सुरक्षित रोकथाम सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ मिशन से इसलिए जुड़ा है क्योंकि यह जल जनित बीमारियों को रोकने के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सम्मान में योगदान देता है। उन्होंने कहा कि यह पहले चरण के लाभ पर निर्माण को मजबूत करने का एक बड़ा अवसर भी प्रदान करता है।
क्षमता निर्माण के लिए यूनिसेफ के समर्थन पर, उन्होंने कहा कि उन्होंने ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए अच्छी तरह से परिभाषित प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किए हैं। मास्टर प्रशिक्षकों के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण मॉड्यूल और अब तक 12 राज्यों में लगभग 1232 मास्टर प्रशिक्षक तैयार किए गए हैं और ये मास्टर प्रशिक्षक ओडीएफ प्लस प्रशिक्षण में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ स्वच्छता कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण, उन्हें सशक्त बनाने और समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध और जवाबदेह है।
इस अवसर पर बोलते हुए, पेयजल और स्वच्छता विभाग-डीडीडब्ल्यूएस के विशेष सचिव, श्री अरुण बरोका ने बल देकर कहा कि ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रकृति में तकनीकी था और बड़ी संख्या में गांवों और स्थानीय स्तर पर क्षमता की कमी को देखते हुए, व्यवहार परिवर्तन और ओडीएफ स्थिति को बनाए रखने के अलावा विकेंद्रीकृत योजना, कार्यान्वयन और संचालन और अनुरक्षण की आवश्यकता थी। इस समस्या का समाधान करने के लिए, डीडीडब्ल्यूएस का लक्ष्य हर स्तर पर समयबद्ध तरीके से क्षमता को मजबूत करने, ग्राम स्तर के कार्यों को पर्याप्त जानकारी और ज्ञान से सुसज्जित करने; और ओडीएफ प्लस स्तर की ओर बढ़ने के लिए ओडीएफ को बनाए रखने का है। विशेष सचिव ने वर्तमान मानव संसाधन उपलब्धता, क्षमता निर्माण डैशबोर्ड, अब तक आयोजित विषयवार प्रशिक्षण और आगे की राह के बारे में भी बात की।
उद्घाटन सत्र के बाद प्रस्तुतियां भी दी गईं। राज्यों ने वर्ष के दौरान क्षमता निर्माण के लिए अपनी कार्य योजना प्रस्तुत की। इसके बाद चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा हुई और क्षमता निर्माण योजनाओं के कार्यान्वयन और सर्वोत्तम प्रथाओं का विश्लेषण किया गया।
कार्यशाला के दौरान, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने राज्य/जिला स्तर के अधिकारियों के उन्मुखीकरण के लिए रणनीति और राज्य और जिला स्तर पर प्रशिक्षित किए जाने वाले मास्टर प्रशिक्षकों (एमटी) की संख्या के साथ-साथ एक समयरेखा; एमटी को जोड़ने और उनकी स्थिरता के लिए रणनीति क्षमता; निगरानी तंत्र सहित सभी ग्राम पंचायतों/गांवों को शामिल करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण के साथ योजना तैयार करने; जिला/ब्लॉक/ग्राम पंचायतों/गांवों में सभी प्रशिक्षणों को पूरा करने और ग्राम स्वच्छता योजना तैयार करने की समय-सीमा; और राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर क्षमता निर्माण की पहल करने के लिए रिसोर्स पर्सन की नियुक्ति के बारे में जानकारी साझा की।
पेय जल और स्वच्छता विभाग-डीडीडब्ल्यूएस का उद्देश्य भागीदार प्रशिक्षण एजेंसियों के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए सहायता प्रदान करना है। प्रशिक्षण के पहले दौर को चालू वित्तीय वर्ष में पूरा करने की आवश्यकता है ताकि सभी गांवों में एक प्रशिक्षित रिसोर्स पर्सन उपलब्ध कराया जा सके; जो चालू वर्ष में गांवों/ग्राम पंचायतों की ग्राम स्वच्छता योजना (वीएसपी) तैयार करने में मदद करेंगे और उसके कार्यान्वयन की निगरानी करेंगे।
जुलाई 2021 में, पेय जल और स्वच्छता विभाग-डीडीडब्ल्यूएस ने ओडीएफ प्लस (दूषित जल प्रबंधन, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, फेकल स्लज मैनेजमेंट, बायोडिग्रेडेबल वेस्ट मैनेजमेंट और आईईसी) के प्रमुख घटकों से संबंधित नियम जारी किए। वे ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन पहलों को लागू करने के लिए राज्यों, जिलों और ग्रामीण स्थानीय निकायों का समर्थन करने के लिए प्रौद्योगिकियों, संपत्तियों की तकनीकी विशिष्टताओं, अनुमानित लागत और संभावित संचालन और प्रबंधन व्यवस्थाओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं।