उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडु और लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला की अध्यक्षता में सांसदों को हेपेटाइटिस के बारे में जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित

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उपराष्ट्रपति ने सभी सांसदों से हेपेटाइटिस मुक्त भारत के लिए अग्रणी भूमिका निभाने और इसे जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने हेपेटाइटिस के उन्मूलन के लिए सभी को रोकथाम, परीक्षण और उपचार के त्रि-आयामी दृष्टिकोण को अपनाकर एक मिशन मोड में काम करने का सुझाव दिया

हेपेटाइटिस के उन्मूलन के लिए जन अभियान शुरू करने के लिए “लोग भागीदारी” महत्वपूर्ण: डॉ. मनसुख मांडविया

“आइए हम रोकथाम, परीक्षण और उपचार के त्रि-आयामी दृष्टिकोण को अपनाकर जन आंदोलन की दिशा में काम करें”

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री वेंकैया नायडु ने आज लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला के साथ विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2022 के अवसर पर सांसदों को हेपेटाइटिस के बारे में जागरूक करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडविया ने दर्शकों को देश में हेपेटाइटिस की स्थिति से अवगत कराया और बीमारी का तेजी से उन्मूलन करने की जरूरत बताई।

इस वर्ष का विषय है: “हेपेटाइटिस केयर को अपने करीब लाना”, जिसका उद्देश्य हेपेटाइटिस देखभाल को सरल बनाना और हेपेटाइटिस देखभाल को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों और सामुदायिक स्थानों तक ले जाना तथा हेपेटाइटिस की देखभाल को प्रमुख अस्पतालों की सीमा से परे ले जाना है।

यह कार्यक्रम संयुक्त रूप से भारत की संसद और लीवर और पित्त विज्ञान संस्थान द्वारा संसदीय लोकतंत्र अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) में आयोजित किया गया था।

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उपराष्ट्रपति ने सांसदों को उनकी उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए धन्यवाद देते हुए, हेपेटाइटिस के मुद्दे पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की और सभी सांसदों से अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हेपेटाइटिस मुक्त भारत का श्रेय लेने और अधिक प्रभाव के लिए स्थानीय भाषाओं में संदेश फैलाने और सामाजिक ताना-बाना में परिवर्तन का आह्वान किया।

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लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने हेपेटाइटिस के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करते हुए विविधता से भरे देश में संदेश के प्रसार में संसद द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हेपेटाइटिस रोगियों की निरंतर पहचान और निगरानी सुनिश्चित करना तथा उपचार के दौरान और बाद में रोगियों की जरूरतों देखना जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वास्थ्य को विकास से जोड़कर एक ‘व्यापक’ विषय बनाने की दिशा में देश की सोच को ढालने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।” उन्होंने टीबी उन्मूलन जैसे कार्यक्रमों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन सभी कार्यक्रमों से अंततः स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों में सुधार संभव होता है और देश के लोगों के जीवन स्तर में सुधार होता है।

प्रारंभिक अवस्था में हेपेटाइटिस के निदान में चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने समय पर उपचार के लिए शीघ्र पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया। “हमारे कोविड प्रबंधन से मिली सीख ने यह दर्शाया है कि टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट रणनीति ने अच्छा काम किया है। अधिकांश लोग प्रारंभिक अवस्था में हेपेटाइटिस से अनजान रहते हैं, क्योंकि या तो उनमें कोई लक्षण नहीं होते हैं या ऐसे लक्षण होते हैं जिनके आधार पर रोग का निदान करना मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि इसे नियंत्रित करने के लिए, और समुदाय के बीच बीमारी के बोझ को कम करने के लिए, हमें हेपेटाइटिस बी रोगियों के परिवार के सदस्यों सहित अधिक जोखिम वाले समूहों- जो लोग बार-बार रक्त संक्रमण से ग्रसित हो रहे हैं, डायलिसिस पर हैं, एचआईवी से संक्रमित हैं या जो प्रतिरक्षित हैं, उनकी जांच करने की आवश्यकता है।

2022-2030 की अवधि के लिए वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र की नई रणनीतियों, जिसका उद्देश्य 2030 तक एचआईवी, वायरल हेपेटाइटिस और यौन संचारित संक्रमणों को खत्म करना है, पर जोर देते हुए, डॉ. मांडविया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक दिन में हेपेटाइटिस बी से होने वाली मौतों की संख्या एक साल में एचआईवी से होने वाली मौतों की संख्या से अधिक है। उन्होंने कहा, “इसलिए, पिछले कुछ वर्षों में, वायरल हेपेटाइटिस बी और सी वैश्विक स्वास्थ्य समस्या और मृत्यु का महत्वपूर्ण कारण बन गए हैं। दुनिया में एक दिन में वायरल हेपेटाइटिस से लगभग 4000 लोगों की मौत हो जाती है। भारत में लगभग चार करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और सी के संक्रमण से पीड़ित हैं।”

डॉ. मनसुख मांडविया ने राज्यों से लोगों और समुदायों को हेपेटाइटिस मुक्त भारत सुनिश्चित करने के लिए उत्साहित करने और इसमें शामिल होने के लिए लोग भागीदारी (लोगों की भागीदारी) के साथ जन अभियान शुरू करने का आह्वान किया। उन्होंने सभी को हेपेटाइटिस को मिटाने के लिए एक मिशन मोड में काम करने और रोकथाम, परीक्षण और उपचार के त्रि-आयामी दृष्टिकोण को अपनाकर इसे जन आंदोलन बनाने का सुझाव दिया।

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सभी सांसदों ने जागरूकता सत्र के दौरान हेपेटाइटिस से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव नहीं करने और हेपेटाइटिस के खिलाफ लोगों को सशक्त बनाने में योगदान देने का भी संकल्प लिया।

इस अवसर पर लोक सभा के महासचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, राज्य सभा के उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह, दिल्ली के उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना, लीवर और पित्त विज्ञान संस्थान के कुलपति डॉ. एस.के. सरीन, लोकसभा सचिवालय के अपर सचिव श्री प्रसेनजीत सिंह भी उपस्थित थे।

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