पंचायती राज राज्यमंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने संशोधित राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के लिये रोडमैप की तैयारी पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय लेखन-कार्यशाला का उद्घाटन किया

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श्री पाटिल ने कहा कि यह लेखन-कार्यशाला राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों को दुरुस्त करने के रोडमैप और कार्य-योजना की तैयारी में अत्यंत सफल और कारगर साबित होगी

श्री पाटिल ने कहा कि नियत कालखंड में ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये पंचायतों का उत्साहवर्धन तथा उन्हें प्रेरित करने की आवश्यकता है

“राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के नये स्वरूप के प्रति पंचायतों को जागरूक बनाने के लिये हमें समवेत प्रयास करने होंगे”

केंद्रीय पंचायती राज राज्यमंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने आज नई दिल्ली में संशोधित राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के लिये रोडमैप की तैयारी पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय लेखन-कार्यशाला का उद्घाटन किया। संशोधित राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के लिये रोडमैप की तैयारी पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय लेखन-कार्यशाला के दौरान 15 तकनीकी सत्र होंगे।

इस अवसर पर श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने आशा व्यक्त की कि कोई भी पीछे न छूट न जाये की भावना के तहत संशोधित राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों को सही दिशा देने तथा उसके स्थानीयकरण प्रक्रिया के मद्देनजर यह लेखन-कार्यशाला राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों को दुरुस्त करने के रोडमैप और कार्य-योजना की तैयारी में अत्यंत सफल और कारगर साबित होगी।

अपने संबोधन में श्री पाटिल ने इस बात को रेखांकित किया कि राज्यों के समर्थन के बिना गांवों का समग्र विकास और परिवर्तन संभव नहीं है। श्री पाटिल ने जोर देते हुये कहा कि एक निश्चित कालखंड में ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये पंचायतों का उत्साहवर्धन तथा उन्हें प्रेरित करने की आवश्यकता है। इसके लिये सामूहिक रूप से और पूरी लगन के साथ काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समग्र विकास के मानकों के सम्बंध में पंचायतों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिये। ग्राम पंचायतों को एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिये, ताकि सभी ग्राम पंचायतें प्रगति और समृद्धि की राह पर एक-साथ आगे बढ़ सकें।

संशोधित राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के बारे में जागरूकता पैदा करने और जरूरी सूचनाओं का प्रसार करने के महत्त्व को रेखांकित करते हुये श्री पाटिल ने कहा कि केंद्र सरकार, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के जरिये और कुछ अवसरों पर सीधे पंचायतों से संपर्क करती है। उन्होंने आगे कहा कि कारगर सूचना, शिक्षा और संपर्क (आईईसी) रणनीति बनानी चाहिये, ताकि पंचायती राज संस्थानों जैसे प्रमुख लक्षित समूहों तक इस संपर्क-तंत्र के जरिये सूचनायें पहुंचाई जा सकें। उन्होंने कहा कि यह हमारा समवेत प्रयास होना चाहिये कि हम पंचायतों को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के नये स्वरूप से अवगत करायें तथा सभी पंचायतों को प्रेरित करें कि वे समय-समय पर राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों की प्रक्रिया में हिस्सा लें।

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अपने व्याख्यान का समापन करते हुये श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने सभी प्रतिनिधियों का आह्वान किया कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान जिन भी सूचनाओं, जानकारियों और विचारों पर चर्चा की जाये, वे उनके परिणाम को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सम्बंधित विभागों के साथ साझा करें। उन्होंने कहा कि रणनीतियां विकसित की जानी चाहियें, ताकि सतत विकास से सम्बंधित विषय आधारित लक्ष्यों के बारे में सूचना का प्रसार हो सके तथा यह सूचना जिला, ब्लॉक और ग्राम पंचायतों के स्तर तक निर्बाध पहुंच जाये।

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इस अवसर पर श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने संशोधित राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों पर परिचालन दिशा-निर्देश तथा पंचायती राज मंत्रालय की तिमाही पत्रिका ‘ग्रामोदय संकल्प’ के ताजा अंक को भी जारी किया।

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इसके पूर्व, पंचायती राज सचिव श्री सुनील कुमार ने राष्ट्रीय लेखन-कार्यशाला के प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों का आह्वान किया कि वे राष्ट्रीय पंचायती पुरस्कारों की मूल भावना को आत्मसात करें, जो नौ विषयों के मद्देनजर सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने तथा उनके स्थानीयकरण पर केंद्रित है। राष्ट्रीय पंचायती पुरस्कारों के संशोधित स्वरूप द्वारा मिलने वाले अवसरों तथा चुनौतियों का उल्लेख करते हुये श्री सुनील कुमार ने कहा कि पंचायत स्तर पर सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने के वास्ते व्यवस्थित आयोजना, कार्यान्वयन, निगरानी और उत्तरदायित्व को अपनाने के लिये पंचायती राज्य संस्थानों को प्रेरित करना चाहिये, ताकि समग्र कामकाज के आधार पर पंचायतों की रैंकिंग की जा सके।

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इस अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय के अपर सचिव श्री चंद्र शेखर कुमार, पंचायती राज मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार श्री (डॉ.) बिजय कुमार बेहेरा, पंचायती राज मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती रेखा यादव, केंद्र सरकार, पंचायती राज विभागों तथा सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सम्बंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी तथा पंचायती राज विषय के विशेषज्ञ उपस्थित थे।

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