जल शक्ति मंत्री ने ‘यमुना पर आजादी का अमृत महोत्सव’ की अध्यक्षता की
इस अवसर पर जलज सहित अर्थ गंगा के अंतर्गत नई पहलों का शुभारंभ, प्राकृतिक खेती और पर्यटन से संबंधित पोर्टल आईएमअवतार के लिए सहकार भारती के साथ समझौता ज्ञापन; गंगा क्वेस्ट 2022 के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया
श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने नदियों को स्वच्छ रखने के लिए जल आंदोलन को जन आंदोलन में बदलने का आह्वान किया
श्री शेखावत ने कहा, नमामि गंगे को एक चिरस्थायी नदी कायाकल्प मॉडल बनाने में अर्थ गंगा के तहत की गई पहल लंबा सफर तय करेगी
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘यमुना पर आजादी का अमृत महोत्सव’ की अध्यक्षता की। यह कार्यक्रम नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे जल शक्ति मंत्रालय में डी/ओ डब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर सचिव श्री पंकज कुमार, एनएमसीजी महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार और पर्यटन मंत्रालय में पर्यटन महानिदेशक श्री गंजी केवी राव की उपस्थिति में आयोजित किया गया।
आजादी का अमृत महोत्सव आजादी के 75 साल और उसके लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का स्मरण करने और उसे मनाने की भारत सरकार की एक पहल है। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद, श्री शेखावत ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और बीएसएफ के बैंड ने राष्ट्रगान बजाया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवानों के साथ यमुना नदी पर नौका विहार किया। कयाकिंग विशेषज्ञों के एक बैच ने इस अवसर पर अपने जल क्रीड़ा कौशल का प्रदर्शन किया। जल शक्ति मंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर प्रदर्शित स्थानीय कृषि उत्पादों को देखा और कार्यक्रम में विभिन्न क्षमताओं में भाग ले रहे छात्रों के साथ बातचीत की।
इस आयोजन ने अर्थ गंगा अवधारणा के तहत कई नई पहलों की शुरुआत की, जिसे गंगा और उसकी सहायक नदियों को साफ करने के सरकार के प्रमुख कार्यक्रम “नमामि गंगे” के तहत चलाए जा रहे कार्यों को लंबे समय तक चलाने के उद्देश्य से लोगों और नदी को एक दूसरे से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्थापित किया है। अर्थ गंगा पहल में गंगा नदी जिन राज्यों से गुजरती है वहां 26 स्थानों पर जलज पहल की वर्चुअल शुरूआत, सार्वजनिक भागीदारी द्वारा एक स्थायी और व्यवहार्य आर्थिक विकास की परिकल्पना को प्राप्त करने के लिए सहकार भारती के साथ एक समझौता ज्ञापन और पर्यटन के माध्यम से अर्थ गंगा पहल को बढ़ावा देकर गंगा बेसिन पर आजीविका के अवसरों को बढ़ाने के लिए पर्यटन से संबंधित पोर्टल आईएमअवतार शामिल हैं। दिन के कार्यक्रम में गंगा क्वेस्ट 2022 के विजेताओं का अभिनंदन और श्री शेखावत द्वारा कंटीन्यूअस लर्निंग एंड एक्टिविटी पोर्टल (क्लैप) पर नए रिवर चैंप कोर्स का शुभारंभ शामिल था। गंगा क्वेस्ट एक ऑनलाइन क्विज है जिसका उद्देश्य गंगा नदी के विभिन्न पहलुओं के बारे में बच्चों और युवाओं का ज्ञान बढ़ाना और उन्हें जागरूक करना है।
सभा को संबोधित करते हुए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां नदियां अपने प्रवाह की दिशा बदल लेती हैं लेकिन यह भी सच है कि हमारे जलस्रोत और नदियां दूषित हो रही हैं। अत: यह अनिवार्य है कि हमारे जल निकायों और अविरल और निर्मल नदियों को बनाए रखने के लिए हम सभी मिलकर कार्य करें और इसे जन आंदोलन बनाएं।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का उल्लेख करते हुए, श्री शेखावत ने कहा: “माननीय प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में महान नेताओं के बलिदान का विशेष तौर पर जिक्र किया और आज 75 वर्षों के अनुभव के बाद हम एक ऐसे पायदान पर पहुंच गए हैं जहां हम खुद पर गर्व कर सकते हैं और दुनिया हमें सम्मान की नजर से देखती है।” श्री शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमें अगले 25 वर्षों के लिए विजन दिया है और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम एक ऐसी जीवनशैली अपनाएं जो पर्यावरण का सम्मान करे और इस विजन को पूरा करने के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दें।
श्री शेखावत ने सीमित जल संसाधनों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आर्थिक विकास का मूल मंत्र हमारे जल संसाधन और ऊर्जा है। “हमारे प्राकृतिक संसाधनों और आर्थिक विकास की आवश्यकता का ग्राफ समान है। भारत की जनसांख्यिकीय, भौगोलिक विशालता, सीमित जल संसाधन और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने की इच्छा को देखते हुए, यह जरूरी है कि हम पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का दीर्घकालिक उपयोग सुनिश्चित करें।” जल शक्ति मंत्री ने नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि अब अंतर हरिद्वार और प्रयागराज कुंभ मेलों के दौरान पानी की अच्छी गुणवत्ता के रूप में देखा जा सकता है। गंगा और उसकी सहायक नदियों को साफ करने के लिए बहुत सारे बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है और 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है,” उन्होंने विभिन्न संगठनों और सूचनाओं के समर्थन से नमामि गंगे को जन आंदोलन में बदलने पर भी संतोष व्यक्त किया और कहा कि गंगा नदी के किनारे 100 से अधिक जिलों में गंगा से संबंधित मुद्दों पर उचित चर्चा की जाती है और सुधारात्मक कार्य किया जाता है।
जल शक्ति मंत्री ने 2019 में कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिपादित अवधारणा अर्थ गंगा के बारे में भी बात की, जो नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यों को बनाए रखने के लिए आर्थिक आजीविका के अवसर पैदा करने पर केन्द्रित उन्होंने कहा, “जैसा कि आप सभी ने आज देखा, जलज को लोगों और नदी को जोड़ने के लिए कई स्थानों पर शुरू किया गया था। इसके अलावा, अर्थ गंगा के तहत नदी आधारित पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।”
दिल्ली में यमुना नदी के प्रदूषित 22 किलोमीटर हिस्से को साफ करने के लिए केन्द्र सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में, श्री शेखावत ने कहा कि दिसम्बर 2022 तक, दिल्ली में यमुना नदी के बहाव में एक उल्लेखनीय अंतर देखा जाएगा। मथुरा एसटीपी से शोधित जल इंडियन ऑयल को बेचे जाने का उदाहरण देते हुए, उन्होंने कहा कि शोधित बेकार जल के पुन: उपयोग के लिए एक राष्ट्रीय नीति भी तैयार की जा रही है। जल आंदोलन को जन आंदोलन बनाने के लिए मिलकर कार्य करने की आवश्यकता पर जल शक्ति मंत्री ने सभी से अपनी संस्कृति पर गर्व करने का आग्रह किया और कार्यक्रम में सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए बधाई दी।
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग में सचिव श्री पंकज कुमार ने कहा कि नमामि गंगे मिशन के माध्यम से गंगा और उसकी सहायक नदियों के कायाकल्प के कार्य में हमें काफी उत्साह मिला है। यमुना के कायाकल्प की बात करते हुए उन्होंने कहा, दिल्ली में कोरोनेशन पिलर एसटीपी का संचालन शुरू हो चुका है, वहीं 3 बड़े एसटीपी का संचालन भी इसी साल दिसम्बर तक पूरा करने का लक्ष्य है।
आगे की कार्य योजना के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगले 5 वर्षों में हमारा ध्यान गंगा की सहायक नदियों के संरक्षण पर होगा, जिसमें जनभागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अर्थ गंगा परियोजना के माध्यम से लोगों और नदी को जोड़ने के पहलू की सराहना की और कहा कि ये पहल न केवल पारिस्थितिक और सांस्कृतिक मोर्चे पर, बल्कि समाज के विकास और बदले में सम्पूर्ण देश के विकास के संबंध में आर्थिक मोर्चे पर भी अद्भुत परिणाम लाने की दिशा में की जा रही है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि सच्चे अर्थों में राष्ट्र का निर्माण प्रकृति के सबसे महत्वपूर्ण उपहार- निदयों के सम्मान और संरक्षण के बिना संभव नहीं है। चिरकाल से ही नदियों का सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक महत्व रहा है।
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के भाषण का जिक्र करते हुए श्री जी. अशोक कुमार ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में हर घर तिरंगा की तर्ज पर गंगा नदी के घाटों पर हर घाट पर तिरंगा अभियान चलाया गया और अर्थ गंगा के तहत आज से गंगा नदी के तटों पर आज से अनेक कार्यक्रम शुरू हो गए हैं।
नमामि गंगे मिशन का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि 2015 में इसकी शुरुआत के बाद से, गंगा और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण को प्रभावी ढंग से कम करने, संरक्षण और कायाकल्प के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बहुत कुछ किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 31,000 करोड़ रुपये से अधिक स्वीकृत किए गए हैं और गंगा और उसकी सहायक नदियाँ अविरल और निर्मल बन रही हैं। “हम अब गंगा की सहायक नदियों, विशेष रूप से यमुना पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, हमारा ध्यान यमुना नदी की सफाई पर है और मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दिसम्बर 2022 तक यमुना नदी में लगभग 1300 एमएलडी अपशिष्ट जल के प्रवाह को रोककर यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता में उल्लेखनीय अंतर आ जाएगा।”
श्री कुमार ने बताया कि दिसम्बर 2019 में कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा समर्थित अर्थ गंगा परियोजना के तहत, माननीय प्रधानमंत्री के सुझाव के अनुसार गंगा नदी के दोनों ओर 5 किमी पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एनएमसीजी और सहकार भारती के बीच एक समझौता ज्ञापन सहित अनेक कार्यों को आज शुरू किया जाएगा, किसानों को उर्वरक के रूप में कीचड़ प्रदान करने और उद्योगों को शोधित अपशिष्ट जल, 26 स्थानों पर जलज जिसमें गंगा नदी के तट पर आजीविका को बढ़ावा देने के लिए छोटी दुकानें या फ्लोटिंग मोबाइल केन्द्रों की स्थापना और एक अन्य आजीविका कार्यक्रम, एक पर्यटन पोर्टल आईएमअवतार शामिल है, धार्मिक पर्यटन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, एनएमसीजी द्वारा प्रशिक्षित गंगा सेवकों के माध्यम से वृद्ध नागरिकों को धार्मिक तीर्थयात्रा की सुविधा प्रदान करता है।
मंत्री द्वारा 06 अप्रैल, 2022 को डीजीसी फोरम (4एम-मंथली, मिनटेड, मैन्डेटेड और मॉनीटर्ड) के शुभारंभ के बाद से नियमित रूप से आयोजित होने वाली जिला गंगा समिति की बैठकों का सकारात्मक प्रभाव भी नदी और लोगों का संबंध बढ़ाने की सही दिशा में एक कदम है।
पर्यटन मंत्रालय के पर्यटन महानिदेशक श्री गंजी केवी राव ने भारतीय संस्कृति की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारे देश में पहाड़, जंगल, नदियाँ सभी को ईश्वर के समान माना जाता है और गंगा नदी, विशेष रूप से, सभी भारतीयों द्वारा पूजनीय है।
उन्होंने नदियों के किनारे किसानों की आय के बारे में बात करते हुए कहा कि कई कल्याणकारी योजनाएं इस दिशा में सकारात्मक परिणाम ला रही हैं। नदियों के किनारे के सभी ऐतिहासिक स्थल पर्यटन के बड़े केन्द्र हैं, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका के अवसरों में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘ पर्यटन उद्योग में होमस्टे संस्कृति की हालिया प्रवृत्ति को पहचानते हुए हमने पर्यटन केन्द्रों के पास विभिन्न कौशल विकास योजनाएं शुरू की हैं, ताकि लोगों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जा सके।’ उन्होंने पर्यटन मंत्रालय की सभी वेबसाइटों को पर्यटन से संबंधित पोर्टल- आईएमअवतार से जोड़ने की भी चर्चा की ताकि भविष्य में पर्यटन विकास में बेहतर और कुशल समग्र परिणाम प्राप्त हो सकें।
अर्थ गंगा पहलें
इस कार्यक्रम में अर्थ गंगा अभियान के तहत शुरू की गई विभिन्न पहलों को भी देखा गया, जिसमें जल शक्ति मंत्री द्वारा गंगा बेसिन राज्यों-उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की मुख्य धारा पर इस वर्ष के दौरान प्रस्तावित 75 स्थानों में से 26 स्थानों पर अर्थ गंगा के तहत जलज पहल की वर्चुअल शुरूआत शामिल है। जलज भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से लागू किया जा रहा है। जैव विविधता संरक्षण और गंगा कायाकल्प के लिए डब्ल्यूII द्वारा स्थानीय लोगों के बीच से गंगा प्रहरियों का एक प्रशिक्षित कैडर बनाया गया है। जलज, अभिनव मोबाइल आजीविका केन्द्र, गंगा संरक्षण के साथ कौशल वृद्धि कार्यों को जोड़ने के उद्देश्य से हैं। जलज को स्थानीय उपज को बढ़ावा देने के माध्यम से आजीविका विविधीकरण के लिए एक मॉडल के रूप में देखा जाता है और “अर्थ गंगा” के उद्देश्यों के साथ नदी संरक्षण के लिए पारिस्थितिक और आर्थिक क्षेत्रों में हितधारकों की भागीदारी की सुविधा प्रदान करता है।
एनएमसीजी और सहकार भारती के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसे अर्थ गंगा के शासनादेश को साकार करने की दिशा में उनके सहयोग को निर्देशित करने वाली स्थानीय सहकारी समितियों की जन भागीदारी, निर्माण और मजबूती के द्वारा एक स्थायी और व्यवहार्य आर्थिक विकास का दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए किया गया था। सहकार गंगा ग्राम के रूप में नामित मुख्य धारा पर पांच राज्यों के 75 गांवों की पहचान, गंगा के किनारे बसे राज्यों में किसानों, एफपीओ और सहकारी समितियों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और ‘प्रति बूंद अधिक शुद्ध आय’ उत्पन्न करना, बाजार लिंकेज के निर्माण के माध्यम से ब्रांड गंगा के तहत प्राकृतिक खेती/जैविक उत्पाद के विपणन की सुविधा प्रदान करना, वित्तीय विकल्प के माध्यम से लोगों और नदी के सम्पर्क को बढ़ावा देना शामिल है।
इस अवसर पर पर्यटन, स्थानीय उत्पादों के विपणन, कृषि और हस्तशिल्प दोनों, घाटों को लंबे समय तक बनाए रखने और एनएमसीजी द्वारा बनाई गई अन्य संपत्तियों के माध्यम से अर्थ गंगा पहल को बढ़ावा देने के लिए गंगा बेसिन के साथ आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए एक पर्यटन संबंधी पोर्टल आईएमअवतार की भी शुरूआत की गई। एनएमसीजी और आईएमअवतार धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के माध्यम से सार्वजनिक भागीदारी के क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे और बाजार संपर्क बनाएंगे। एनएमसीजी और नमामि गंगे टच पॉइंट और संपत्ति का डिजिटलीकरण भी सहयोग का हिस्सा हैं।
कानपुर में 2019 में पहली राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा समर्थित अर्थ-गंगा अवधारणा को स्थायी नदी कायाकल्प के लिए एक आर्थिक मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है। अर्थ गंगा अवधारणा के शीर्ष पर लोगों और नदी को जोड़ना है जिसका उद्देश्य है नदी और लोगों के बीच एक सहयोगपूर्ण संबंध मजबूती से स्थापित करना है। “अर्थ गंगा” का केन्द्रीय विचार लोगों और गंगा को “गंगा नदी पर बैंकिंग” के नारे की तर्ज पर ब्रिज ऑफ इकोनॉमिक्स से जोड़ना है। अर्थ गंगा के अंतर्गत छह वर्टिकल्स काम कर रहे हैं: (ए) शून्य बजट प्राकृतिक खेती जिसमें नदी के दोनों ओर 10 किलोमीटर तक रसायन मुक्त खेती शामिल है, किसानों के लिए “अधिक आय, प्रति बूंद”, ‘गोबर धन’, (बी) मुद्रीकरण और कीचड़ और अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग जिसमें सिंचाई; औद्योगिक उद्देश्यों और शहरी स्थानीय निकायों के लिए राजस्व सृजन के लिए उपचारित जल के पुन: उपयोग की परिकल्पना है (ग) आजीविका सृजन के अवसर जैसे ‘घाट में हाट’, स्थानीय उत्पादों का प्रचार, आयुर्वेद, औषधीय पौधे, गंगा प्रहरियों जैसे स्वयंसेवकों का क्षमता निर्माण, (डी) हितधारकों के बीच बढ़े हुए सम्पर्क सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक भागीदारी (ई) सामुदायिक जेटी के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन जो नौका पर्यटन शुरू करना चाहता है, योग, साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना इत्यादि और गंगा आरती और (एफ) बेहतर विकेन्द्रीकृत जल प्रशासन के लिए स्थानीय क्षमताओं को बढ़ाकर संस्थागत भवन।
कार्यक्रम – यमुना पर आजादी का अमृत महोत्सव – में आज नर्सिंग स्कूल, दिल्ली के छात्रों द्वारा नृत्य / स्किट प्रदर्शन, छात्रों द्वारा गीत प्रदर्शन, रंगसारथी टीम द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, ‘ए फिल्म ऑन द प्लाइट ऑफ अवर रिवर्स’ पर एक फिल्म का ट्रेलर, वृक्षारोपण और नुक्कड़ गतिविधियों का शुभारंभ भी देखा गया। छात्रों, गैर सरकारी संगठन, अर्धसैनिक, डीजेबी, एमसीडी, खेल उत्साही, बीएसएफ, एनडीआरएफ, कयाकिंग विशेषज्ञों आदि ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर तिरंगे गुब्बारे भी छोड़े गए। श्री शेखावत ने गंगा क्वेस्ट 2022 के विजेताओं को सम्मानित किया और कंटीन्यूअस लर्निंग एंड एक्टिविटी पोर्टल (क्लैप) पर नया रिवर चैंप कोर्स शुरू किया। गंगा क्वेस्ट 2022 को नमामि गंगे के तहत एक पहल क्लैप 4गंगा, कंटीन्यूअस लर्निंग एंड एक्टिविटी पोर्टल पर होस्ट किया गया। गंगा क्वेस्ट की तीन श्रेणियों के नौ विजेताओं माविया श्रीवास्तव (प्रथम पुरस्कार), बंदना कौर (द्वितीय पुरस्कार) और मोनिका स्वामी (तीसरा पुरस्कार) को श्रेणी-I: आठवीं कक्षा तक में, अनिरुद्ध नायर (प्रथम पुरस्कार), रेणु सैनी (द्वितीय पुरस्कार) और प्रतीक आदर्श (तीसरा पुरस्कार) को श्रेणी II : कक्षा IX-XI में और संजय होलानी (प्रथम पुरस्कार), प्रीति माहेश्वरी (द्वितीय पुरस्कार) और शुभम मंत्री (तीसरा पुरस्कार) श्रेणी III वयस्क में सम्मानित किया गया। इसके अलावा, गंगा क्वेस्ट 2022 में भागीदारी के लिए शीर्ष दस स्कूलों और संस्थानों यूएसओ, सीबीएसई, नवोदय और केन्द्रीय विद्यालय को भी सम्मानित किया गया। इस ऑनलाइन खोज में लगभग 1.7 लाख प्रतिभागियों को देखा गया, जो एक रिकॉर्ड संख्या है।
यह आयोजन यमुना नदी की सफाई के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए दिल्ली में यमुना घाटों पर एनएमसीजी द्वारा चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है। गंगा नदी की सहायक नदियों की सफाई, विशेष रूप से यमुना, नमामि गंगे कार्यक्रम के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। हांलाकि 318 एमएलडी एसटीपी कोरोनेशन पिलर पर हाल ही में चालू किया गया है, एनएमसीजी द्वारा वित्त पोषित यमुना पर 3 अन्य मुख्य एसटीपी को दिसम्बर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें रिठाला, कोंडली और ओखला शामिल हैं, जो एशिया के सबसे बड़े एसटीपी में से एक हैं। इससे यमुना में नालों से सीवेज को रोकने में मदद मिलेगी। यमुना नदी में प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत लगभग 2354 करोड़ रुपये की लागत से 1385 एमएलडी सीवेज के शोधन के लिए कुल 12 परियोजनाएं शुरू की गई हैं।