डीजी, एनएमसीजी की अध्यक्षता में एनएमसीजी की 44वीं कार्यकारी समिति की बैठक हुई
कुल 818 करोड़ रुपये लागत वाली भू मानचित्रण, सीवरेज प्रबंधन, आर्द्र भूमि संरक्षण, अर्थगंगा से जुड़ी 13 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने एनएमसीजी के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार की अध्यक्षता में कल कार्यकारी समिति की 44वीं बैठक का आयोजन किया था। बैठक में, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भू मानचित्रण, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में सीवरेज प्रबंधन, उत्तराखंड में रिवर फ्रंट विकास कार्यों, कोलकाता में आर्द्र भूमि संरक्षण, अर्थ गंगा, बेलिया सर्कुलर कैनाल के फाटकों के नवीनीकरण से जुड़ी 13 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई। इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत लगभग 818 करोड़ रुपये है।
गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के वैज्ञानिक भू मानचित्रण के लिए 3 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई। इनमें नीर द्वारा ‘हिंडन नदी क्षेत्र का नदी संबंधी भू-आकृति का मानचित्रण’ शामिल है। मानवजनित गतिविधि या प्राकृतिक वजहों के चलते आए प्रदूषण के बिंदु स्रोतों के साथ-साथ नदी के भू-आकृति विज्ञान संबंधी बदलावों के मानचित्रण से सहायक नदी कायाकल्प में सहायता मिलेगी और और मुख्य नदी प्रणालियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए निचले स्तर से काम करने के दृष्टिकोण को लागू किया जा सकेगा। इस परियोजना के मुख्य उद्देश्यों में हिंडन नदी क्षेत्र से जुड़ी भू-आकृति विज्ञान संबंधी विशेषताओं का चित्रण, नदी संबंधी भू-आकृति में दशक के दौरान हुए बदलावों की पहचान, धारा नेटवर्क और उपयुक्त पुनर्भरण क्षेत्रों का चित्रण, हिंडन नदी के संगम के करीब प्रदूषण के प्रवाह के स्रोतों के बिंदु के चित्रण की जांच और जीआईएस, सतत नदी तटबंध रणनीतियों पर वास्तु संबंधी हस्तक्षेप और घाट विकास के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान शामिल हैं। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 16.4 लाख रुपये है। बैठक में देहरादून के लिए 5.4 करोड़ रुपये की लागत के प्रस्ताव- यूएवी/ सर्वेक्षण/ और रिमोट सेंसिंग तकनीकों के इस्तेमाल से ‘जिओ गंगा : गंगा नदी का अंतरिक्ष आधारित मानचित्रण और निगरानी’ को हरी झंडी दे दी गई। इस परियोजना को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
इसके अलावा, ‘हाई रिजॉल्युशन वाली छवियों, थेमेटिक लेयर ऑफ ड्रेन, रेत खनन, अवैध डंपिंग, नदी की तलहटी पर अतिक्रमण, वायु जनित एलआईडीएआर और ऑप्टिकल सेंसर के उपयोग से भूमि उपयोग/ भूमि कवर के मानचित्रण’ के लिए एक अन्य परियोजना को स्वीकृति दे दी गई। यह एनसीटी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, बागपत और उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर के कुछ हिस्सों में 12.65 करोड़ रुपये की लागत से लागू की जाएगी।
गंगा बेसिन में सीवरेज प्रबंधन के लिए 5 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई। इनमें 57.09 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सुपौल, बिहार में एसटीपी और आईएंडडी सहित 3 एसटीपी (एसटीपी-1 : 8.9 एमएलडी; एसटीपी-2 : 1.9 एमएलडी; एसटीपी-3 : 1.1 एमएलडी) 6 ड्रेन टैपिंग, ड्रेन्स के लिए 6 आईएंडडी स्ट्रक्चर आदि का विकास शामिल है। बिहार में रामनगर कस्बे के लिए एक अन्य एसटीपी और आईएंडडी परियोजना को स्वीकृति दे दी गई, जिसमें 56.97 करोड़ रुपये की लागत से 4.5-4.5 एमएलडी क्षमता के 2 एसटीपी और इंटरसेप्शन वं डायवर्जन कार्य शामिल हैं।
यमुना नदी पर मथुरा के लिए एक 282 करोड़ रुपये लागत की बड़ी परियोजना को भी स्वीकृति दे दी गई, जिसमें एक नया 60 एमएलडी एसटीपी, 4 आईएंडडी स्ट्रक्चर, 1.97 किमी लंबा आईएंडडी नेटवर्क बिछाना आदि शामिल है। उत्तराखंड में 91 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली एक परियोजना को स्वीकृति दे दी गई, जिसमें ऋषिकेश में मुनि की रेती, नीलकंठ महादेव, जोंक स्वर्गाश्रम के लिए इंटरसेप्शन और डायवर्जन, एसटीपी कार्य शामिल हैं।
ईसी ने कोलकाता, पश्चिम बंगाल में गार्डन रीच के लिए एक नए 65 एमएलटी एसटीपी के निर्माण के लिए बड़ी सीवरेज प्रबंधन परियोजना को स्वीकृति दी गई, जिसकी अनुमानित लागतर 275.07 करोड़ रुपये है। इस परियोजना के अन्य कार्यों में 8 एसपीसी के सुधार/ मरम्मत, सिविल और ईएंडएम कार्य, एसटीपी तक संपर्क मार्ग का निर्माण/ मरम्मत आदि शामिल हैं।
उत्तराखंड में रिवर फ्रंट के विकास से जुड़ी दो परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई, जिसमें 27.57 करोड़ रुपये की कुल लागत से नए घाटों, सार्वजनिक सुविधाओं, ईवी ट्रैक, साइनेज, लैंडस्केप, पैवेलियन, शौचालय, पेयजल सुविधाओं, शॉपसैट सहित प्लाजा प्रोमेनेड और परिक्रमा का निर्माण शामिल है।
एचईएससीओ, देहरादून द्वारा “अर्थ गंगा मॉडल को अपनाने के लिए प्रौद्योगिकी पर आधारित सामुदायिक संसाधनों और उपयुक्त स्थानीय संसाधनों का लाभ उठाने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम” पर एक परियोजना को भी स्वीकृति दे दी गई, जिसकी अनुमानित लागत 5.20 करोड़ रुपये है। इस प्रस्ताव के उद्देश्यों में ग्रामीण समुदाय के लिए गंगा आधारित विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए एक सामान्य मंच के रूप में उपयोग के लिए एचईएससीओ ग्राम में अर्थ गंगा प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना, गंगा बेसिन में गंगा संसाधन केंद्रों का निर्माण जिसमें लगभग 500 परिवार को फलों के बाग, मशरूम की खेती, सब्जियों की खेती, ग्रामीण ऊर्जा, जल पुनर्भरण, होम स्टे आदि आर्थिक गतिविधियों पर आधारित संबंधित संसाधन शामिल होंगे। साथ ही इसमें भरोसेमंद और अनुभवी स्वयंसेवी संगठनों की पहचान भी शामिल है। इससे गंगा नदी के तट पर रहने वाले लोगों में उद्यमशीलता बढ़ाने में सहायता मिलेगी। अर्थ गंगा केंद्र सभी आवश्यक ज्ञान और प्रौद्योगिकी से युक्त एक संस्थान के रूप में काम करेगा, जिसकी जिम्मेदारी जीआरसी और अन्य शोध संस्थानों के बीच एक संपर्क की भूमिका निभाने की होगी। यह विशेष रूप से पंचायत स्थानीय मीडिया, स्वयंसेवी संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ क्षेत्रवार बैठक करने की भी होगी। कुल 1,500 परिवारों को प्रत्यक्ष रूप से प्रशिक्षण दिया जाएगा और इससे अप्रत्यक्ष रूप से 20,000 सदस्यों को फायदा होगा।
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत आर्द्र भूमि संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। 26 रामसर आर्द्र भूमि स्थलों में से 23 गंगा बेसिन में हैं। नमामि गंगे मिशन-2 के तहत साहिबगंज जिला, झारखंड में ‘उधवा झील पक्षी अभयारण्य का संरक्षण और सतत प्रबंधन’ नाम की 50 लाख रुपये की अनुमानित लागत वाली एक परियोजना को स्वीकृति दे दी गई है। परियोजना का उद्देश्य झील पक्षी अभयारण्य के एकीकृत संरक्षण और प्रबंधन और इस महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि के संरक्षण, पुनर्स्थापित करने और विकास के लिए एक दोहराने और विस्तार योग्य नमूना उपलब्ध कराना है। यह उधवा झील पक्षी अभयारण्य के लिए हितधारक परामर्श और आधारभूत जल विज्ञान मूल्यांकन के आधार पर एकीकृत प्रबंधन योजना की परिकल्पना करता है। हस्तक्षेपों का उद्देश्य गंगा रिवरस्केप की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के बेहतर प्रवाह के लिए उधवा झील का संरक्षण, जलीय और स्थलीय जैव विविधता और उत्पादकता, महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के संरक्षण और स्थायी बाढ़ के मैदान का संरक्षण करना है।
बेलियाघाट सर्कुलर कैनाल के किनारे (पूर्वी और पश्चिमी) 5 नए जल मार्गों की स्थापना, 28 मौजूदा जल मार्गों के नवीकरण आदि के लिए लगभग 4.25 करोड़ रुपये की एक अन्य परियोजना को स्वीकृति दे दी गई है। यह परियोजना कोलकाता, पश्चिम बंगाल में नदी में पेनस्टॉक गेटों के रिसाव को बंद करने और अपशिष्ट जल के उत्सर्जन से जुड़ी नालियों को बंद करने के लिए आवश्यक है।
एनएमसीजी की कार्यकारी समिति की बैठक में एनएमसीजी में ईडी (प्रशासन) श्री एस पी वशिष्ठ, एनएमसीजी में ईडी (तकनीक) श्री डी पी मथुरिया, एनएमसीजी में ईडी (परियोजना) श्री हिमांशु बदोनी, एनएमसीजी में ईडी (वित्त) श्री भास्कर दासगुप्ता और जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण, जल शक्ति मंत्रालय में जेएसएंडएफए सुश्री रिचा मिश्रा ने भाग लिया था।