हमें भारत में वैश्विक मानकों के अनुसार बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है : केंद्रीय परिवहन मंत्री
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई में सिविल इंजीनियरों और संबंधित उद्योग पेशेवरों के लिए आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज कहा कि हमें भारतीय बुनियादी ढांचे को विश्व स्तरीय बनाना है। उन्होंने कहा, “मैंने तय किया है कि साल 2024 के अंत तक बिहार और उत्तर प्रदेश समेत देश में सड़क बुनियादी ढांचे को अमेरिका के सड़क बुनियादी ढांचे के स्तर का बनाना है।” परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने यह बात मुंबई में एसोसिएशन ऑफ कंसल्टिंग सिविल इंजीनियर्स (एसीसीई) द्वारा संबंधित उद्योगों के सिविल इंजीनियरों और पेशेवरों के लिए आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
सम्मेलन में इंजीनियरों और उद्योग जगत के पेशेवरों को संबोधित करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि भारत में बुनियादी ढांचे में काफी संभावनाएं हैं। ‘भारतीय बुनियादी ढांचे में, सड़क निर्माण, नदी संपर्क, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन, पार्किंग प्लाजा, सिंचाई, बसपोर्ट, रोपवे और केबल कार परियोजनाओं के लिए बड़ी संभावनाएं हैं’। सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की चल रही विभिन्न परियोजनाओं के बारे में बोलते हुए, श्री गडकरी ने कहा: “हम 2 लाख करोड़ रुपये के 26 ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे और लॉजिस्टिक्स पार्क बना रहे हैं। साथ ही, हमारे पास कई इनोवेटिव आइडिया हैं जिनके द्वारा हम बुनियादी ढांचे को और विकसित कर सकते हैं।”
केंद्रीय परिवहन मंत्री ने आगे कहा कि भारतीय बुनियादी ढांचा क्षेत्र का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। “हमें दुनिया भर से और भारत के भीतर से अच्छी तकनीक, अनुसंधान, नवाचार और सफल प्रथाओं को स्वीकार करने की आवश्यकता है। हमें गुणवत्ता से समझौता किए बिना लागत कम करने के लिए वैकल्पिक सामग्रियों का उपयोग करना चाहिए। निर्माण में समय सबसे महत्वपूर्ण पहलू है और यह सबसे बड़ी संपत्ति है। श्री गडकरी ने सिविल इंजीनियरों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, रोजगार सृजन और विकास के लिए उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
सड़क निर्माण में हरित विकल्पों का उपयोग करने के अपने विचार को प्रस्तुत करते हुए, केंद्रीय परिवहन मंत्री ने कहा: “आपको सीमेंट और अन्य कच्चे माल के विकल्प खोजने चाहिए। स्टील के स्थान पर ग्लास फाइबर स्टील का उपयोग किया जा सकता है। यदि प्रतिस्पर्धा है, तो लागत कम हो जाएगी और तर्कसंगत बन जाएगी।”
वैकल्पिक ईंधन के उपयोग के विचार का समर्थन करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री गडकरी ने कहा कि हरित हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम, कोयला और बायोमास, जैविक अपशिष्ट और सीवेज के पानी से हाइड्रोजन बनाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, ‘मेरा सपना है कि हरित हाइड्रोजन एक डॉलर प्रति किलो पर उपलब्ध हो, जिसका इस्तेमाल कोयले और पेट्रोलियम के बजाय विमानन, रेलवे, बस, ट्रक, रसायन और उर्वरक उद्योग में किया जा सके।
श्री गडकरी ने कहा कि 1 लीटर इथेनॉल की कीमत 62 रुपए है लेकिन कैलोरी मान के मामले में 1 लीटर पेट्रोल 1.3 लीटर इथेनॉल के बराबर है। उन्होंने कहा, ‘इंडियन ऑयल ने रूसी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करते हुए इस विचार पर काम किया और अब पेट्रोलियम मंत्रालय ने इथेनॉल के कैलोरी मान को पेट्रोल के बराबर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी को प्रमाणित किया है’।
अपशिष्ट प्रबंधन से पैसा बनाने के अपने आइडिया को दोहराते हुए, केंद्रीय परिवहन मंत्री ने कहा: ‘नागपुर में, हम सीवेज के पानी को रीसाइकल कर रहे हैं और इसे बिजली परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार को बेच रहे हैं, जिससे हमें 300 करोड़ रुपए की रॉयल्टी हर साल मिल रही है। भारत में सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट में 5 लाख करोड़ रुपये की अपार संभावनाएं हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा: ‘ज्ञान ही शक्ति है, ज्ञान को धन में बदलना भविष्य है। यह नेतृत्व, दूरदृष्टि और प्रौद्योगिकी है जो कचरे को धन में बदलने में सक्षम बनाता है; यह समय की मांग है। ज्ञान का उपयोग करके, हम लागत कम कर सकते हैं और निर्माण की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं”।
सार्वजनिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पूंजी बाजार के लाभ पर मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे और वर्ली बांद्रा सी ब्रिज का उदाहरण देते हुए, गडकरी ने कहा : “इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) के तहत, हमारा विचार लोगों के पैसे पर 7 से 8 प्रतिशत मासिक रिटर्न देना है। हमने कैपिटल मार्केट में जाने का फैसला किया है जहां हम एक व्यक्ति को अधिकतम 10 लाख रुपये के शेयर बेचेंगे। लोग निवेश करेंगे और हम इससे संसाधन जुटा सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि एनएचएआई एएए-रेटेड है और इसमें आर्थिक तौर पर आगे बढ़ने की क्षमता है। ‘वर्तमान में हमारा टोल राजस्व 40,000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष का है और 2024 के अंत तक यह 1.4 लाख करोड़ रुपए प्रति वर्ष का हो जाएगा। इसलिए हमें पैसे की कोई समस्या नहीं है’। उन्होंने बताया कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाईवे का 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि, ‘मेरा सपना है कि 12 घंटे में मुंबई के नरीमन पॉइंट से दिल्ली तक नागरिकों को सड़क मार्ग से पहुँचाया जाए, अब हम इस हाईवे को नरीमन प्वाइंट से जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं।’