राज्यों के पर्यटन मंत्रियों का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश में आरंभ

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राष्ट्रीय पर्यटन नीति अगले बजट सत्र से पहले लाई जायेगीः श्री जी. किशन रेड्डी

जी-20 मंच देश की पर्यटन क्षमता को विश्व के सामने प्रस्तुत करेगाः श्री जी. किशन रेड्डी

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में राज्यों के पर्यटन मंत्रियों का तीन दिवसीय सम्मेलन आज एक प्रेस-वार्ता के साथ आरंभ हुआ, जिसकी अध्यक्षता श्री जी. किशन रेड्डी ने की। राज्यों के पर्यटन मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य है पर्यटन विकास और उन्नति पर सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के विविध नजरियों और परिप्रेक्ष्यों को जानना; उनके साथ योजनाओं व नीतियों पर सीधे संवाद करना तथा भारत में समग्र पर्यटन विकास में राष्ट्रीय स्तर पर पहल करना भी इसमें शामिल है। राष्ट्रीय सम्मेलन का यह भी ध्येय है कि इसे उत्कृष्ट व्यवहारों को साझा करना, सफल परियोजनाओं और पर्यटन उत्पाद अवसरों की जानकारी देना। प्रेस-वार्ता के दौरान पर्यटन राज्यमंत्री श्री अजय भट्ट व श्री श्रीपाद नाईक, एफएआईटीएच के अध्यक्ष श्री नकुल आनन्द और पर्यटन महानिदेशक श्री जी. कमल वर्धन राव भी उपस्थित थे।

प्रेस-वार्ता के दौरान पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में भारत पर्यटन, आध्यात्मिकता, परिवर्तन, संस्कृति और विविधता का पर्याय बन चुका है। यह बहुत गौरव की बात है कि है कि हम विस्तार के नित-नये आयाम जोड़ते जा रहे है और भारत को विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में अग्रसर हैं। इसी क्रम में पर्यटन सेक्टर के महत्त्व को पहचानते हुये पर्यटन मंत्रालय ने विभिन्न पहलें की हैं तथा चतुष्कोणीय विकास रणनीति बनाई है, जो वायु, रेल और सड़क द्वारा कनेक्टीविटी में सुधार करने, पर्यटन अवसंरचना तथा सम्बंधित सेवाओं को बढ़ाने, ब्रांडिंग व प्रोत्साहन को दुरुस्त करने तथा संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करने से जुड़ी है।

प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये ध्येय-वाक्य “विकास भी विरासत भी” को रेखांकित करते हुये श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि परामर्श और चर्चाओं की लंबी प्रक्रिया के बाद, राष्ट्रीय पर्यटन नीति को बजट सत्र में पेश किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न पर्यटन सर्किटों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और एक नवीन “अम्बेडकर सर्किट” को जल्द शुरू किया जायेगा। पर्यटन सर्किटों की विकास सम्बंधी कार्य-योजना के तहत हिमालय सर्किट को भी प्रोत्साहन दिये जाने की जानकारी श्री जी. किशन रेड्डी ने दी।

पर्यटन मंत्री ने जानकारी दी कि राज्यों के पर्यटन मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है कि वह भारत की जी-20 की अध्यक्षता के सामयिक संदर्भों से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि विश्व के समक्ष भारत की पर्यटन क्षमता प्रस्तुत करने के लिये जी-20 के मंच का लाभ उठाया जायेगा।

वायु संपर्कता के महत्त्व पर जोर देते हुये श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि देश में हवाई अड्डों की संख्या वर्ष 2014 में 74 थी, जो अब बढ़कर 140 हो गई है। इसकी संख्या को और बढ़ाने का प्रस्ताव है, जिसके तहत 2025 तक हवाई अड्डों की संख्या 220 तक कर दी जायेगी।

श्री रेड्डी ने कहा कि भारतवंशियों और प्रवासी भारतीयों को पर्यटन से जोड़ने के लिये प्रधानमंत्री की परिकल्पना के मद्देनजर इन्हें पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिये प्रेरित किया जायेगा। उन्होंने भारतीय समुदाय से आग्रह किया कि विदेश में रहने वाला प्रत्येक भारतीय हमारे प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप कम से कम पांच विदेशियों को भारत आने के लिये प्रेरित करे।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 का सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन सेक्टर को उठाना पड़ा था; इसलिये उसे दी जाने वाली वित्तीय सहायता को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया गया है।

पर्यटन सेक्टर ने 2-18 में 16.91 लाख करोड़ रुपये (240 अरब यूएसडी) या भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 9.2 प्रतिशत सृजित किया था तथा उसने लगभग 42.67 मिलियन रोजगार या कुल रोजगार का 8.1 प्रतिशत मुहैया कराया था।

सम्मेलन को पर्यटन अवसंरचना विकास तथा सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और विरासत पर्यटन, हिमालय क्षेत्र में पर्यटन, दायित्वपूर्ण व सतत पर्यटन, पर्यटन गंतव्यों के प्रोत्साहन व प्रचार के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका, भारतीय सत्कार सेक्टर में होम-स्टे का उभरता महत्त्व, आयुर्वेद, आरोग्य व औषधि केंद्रित पर्यटन तथा वन व वन्यजीवन पर्यटन की विषयवस्तु सम्बंधी सत्रों में बांटा गया है।

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मंत्रालय ने देशभर में पर्यटन अवसंरचना के विकास के लिये 7000 करोड़ रुपये आंवटित किये हैं। विभिन्न विषयों को दृष्टिगत रखते हुये 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्वदेश दर्शन योजना के तहत 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। प्रसाद योजना का लक्ष्य है आध्यात्मिक स्थलों के आसपास पर्यटन सुविधाओं को मजबूत करना। इसके तहत 24 राज्यों में 39 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन पर्यटन, तीर्थ और विरासत गंतव्यों/शहरों का अवसंरचना विकास स्वच्छता, सुरक्षा, सुगमता, सेवा आपूर्ति, कौशल विकास और स्थानीय समुदायों की आजीविका पर केंद्रित है। मंत्रालय ने हाल में स्वदेश दर्शन 2.0 योजना आरंभ की है, जिसका उद्देश्य है सतत और दायित्वपूर्ण गंतव्यों का विकास तथा तदनुसार पर्यटक व गंतव्य केंद्रित पहल। यह पूर्व की योजनाओं का विकास है, जिस पर आगे भी काम चलता रहेगा। इन योजनाओं का लक्ष्य सतत और दायित्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के विकास के लिये समग्र अभियान का क्रमिक विकास करना है। इसके तहत पर्यटन व सम्बंधित अवसंरचना, पर्यटन सेवायें, मानव पूंजी विकास तथा नीतिगत व संस्थागत सुधारों के आधार पर गंतव्य प्रबंधन और प्रोत्साहन किया जायेगा।

राष्ट्रीय सम्मेलन का यह भी ध्येय है कि पर्यटन के बारे में एक साझा नजरिया तैयार किया जाये तथा इंडिया@ 2047 की तरफ कदम बढ़ाते हुये इस नजरिये का विकास किया जाये। आने वाले 25 वर्ष अमृतकाल हैं, इसलिये सम्मेलन का लक्ष्य वर्ष 2047 के दृष्टिगत भारत में पर्यटन की परिकल्पना तैयार करने के लिये राज्यों तथा केंद्र सरकार के बीच साझा संवाद शुरू करना है।

कार्यक्रम में पर्यटन और रक्षा राज्यमंत्री श्री अजय भट्ट, पर्यटन, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्यमंत्री श्री श्रीपाद नाईक, पर्यटन मंत्रालय के अपर सचिव श्री राकेश कुमार वर्मा तथा अन्य वरिष्ठ गणमान्य उपस्थित थे।

प्रेस-वार्ता के बाद कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर भी सम्मिलित हुये।

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