पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर राष्ट्रीय कार्यशाला में जन भागीदारी पर जोर दिया गया, जो सफलता की कुंजी है

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गांव के सरपंच ट्रस्टी होते हैं और उन्हें गांव के विकास के लिए व्यापक रूप से काम करना चाहिए- श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल

केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने आज कहा कि गांव का सरपंच एक ट्रस्टी होता है और अपने गांव का विकास उसकी प्रमुख जिम्मेदारी होती है। उन्होंने गांव के विकास के लिए व्यापक रूप से काम करने का आह्वान किया।

वह ‘पर्याप्त जल और स्वच्छ एवं हरित ग्राम पंचायत’ के जरिए ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन बोल रहे थे। पंचायत राज मंत्रालय ने पुणे में महाराष्ट्र के पंचायत राज और ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग से इसका आयोजन किया।

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श्री पाटिल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास पर जोर दिया है और गांवों के विकास के उनके विजन को पूरा करने के लिए हमें ईमानदारी से काम करना होगा। उन्होंने प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की और कई उदाहरण देते हुए अपने विचार साझा किए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोगों की भागीदारी के बिना गांव का विकास असंभव है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण (एलएसडीजी) के सभी नौ विषयों पर काम करने के लिए संबंधित विभागों को ग्राम पंचायतों को जरूरी सहयोग प्रदान करने के निर्देश दिए जाएंगे। परस्पर सीखने और अनुभव साझा करने की दिशा में इस राष्ट्रीय कार्यशाला को स्वागत योग्य कदम बताते हुए उन्होंने महाराष्ट्र और अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से सक्रिय भागीदारी की सराहना की।

कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरुआत जल निकायों के कायाकल्प पर चर्चा और वीडियो के साथ हुई, जिससे जमीन से पानी निकालने से पहले पानी जमा (भूजल स्तर फिर से बढ़ाना) किया जा सके। हरियाणा के प्रतिनिधियों ने गांव के तालाबों में गंदे पानी के सीधे प्रवाह का मुद्दा उठाया और जल प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की गई। विशेषज्ञ ने न्यूनतम निवेश के साथ स्वदेशी समाधान का सुझाव दिया।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की मुख्य विकास अधिकारी अनीता यादव ने जल स्तर बढ़ाने, तमसा नदी के कायाकल्प के जरिए सिंचाई की लागत में कमी को लेकर हुए कार्यों के बारे में जानकारी दी।

महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के सरपंच ने बच्चों के आराम के लिए स्कूलों में गर्मी करने को लेकर पैनलिस्टों से सवाल किया। विशेषज्ञों ने कम खर्च वाले उपाय के तौर पर स्कूलों की छतों पर पाइप के माध्यम से बारिश के इकट्ठा किए पानी के निरंतर प्रवाह का तरीका सुझाया। झीलों के संरक्षण के लिए काम करने वाले श्री आनंद मल्लिगावड ने प्रतिभागियों को पानी की लगातार उपलब्धता के लिए पंचायतों के पारंपरिक जल निकायों/झीलों का कायाकल्प करने को प्रोत्साहित किया।

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पंचायत राज मंत्रालय के सचिव श्री सुनील कुमार ने कार्यशाला के चौथे सत्र की अध्यक्षता की और सुझाव दिया कि ‘जनभागीदारी’ नवीन परियोजनाओं की सफलता की कुंजी है। उन्होंने ग्राम सभाओं के माध्यम से समुदाय की निरंतर भागीदारी सुनिश्चित करने की सलाह दी। इस कार्यशाला में श्री सुधीर गोटमारे, सरपंच खुरसापुर ग्राम पंचायत, नागपुर, श्री अमोल कातकर सरपंच किरासल, ग्राम पंचायत सतारा और अन्य ने भी हिस्सा लिया।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री नागेंद्र नाथ सिन्हा ने पांचवें सत्र की अध्यक्षता की, जो आगे की राह, आजीविका और रोजगार के सृजन, अभिनव और अच्छे कार्यों के जरिए राजस्व जुटाने के अपने स्रोत पर केंद्रित रहा।

 

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