प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मत्स्य पालन के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया है और भारत में 28 मिलियन से ज्यादा मछुआरों के कल्याण के लिए बजट में वृद्धि की गई है: परशोत्तम रूपाला
परशोत्तम रूपाला के नेतृत्व में उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने नॉर्वे में मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि से संबंधित कार्यक्रमों में लिया हिस्सा
नई दिल्ली, 25अगस्त। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय शिष्टमंडल ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन और मत्स्य पालन विभाग में संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्य पालन) नीतू कुमारी प्रसाद के साथ नॉर्वे का दौरा किया।
प्रतिनिधिमंडल ने एक्वा नॉर 2023 प्रदर्शनी में हिस्सा लिया और मत्स्य पालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में भारत तथा नॉर्वे के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूती प्रदान करने वाले दृष्टिकोण के साथ विदेशी प्रतिनिधियों से बातचीत की।
प्रतिनिधिमंडल का दूसरा दिन बेल्सविक, नॉर्वे की यात्रा के साथ शुरू हुआ, जहां प्रतिनिधिमंडल ने नॉर्वे की कंपनी, लेरॉय की तटवर्ती रीसर्क्युलेशन एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) में स्मोल्ट उत्पादन सुविधा का अवलोकन किया।
उसके बाद, उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने नॉर्वे के स्टोर्सकोगोया में लेरॉय के सैल्मन हैचरी का भी दौरा किया। जलीय कृषि नॉर्वे में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है और देश में निजी कंपनियों ने अपतटीय क्षेत्रों में लगभग 1000 फॉर्म स्थापित किए हैं।
सैल्मन हैचरी की यात्रा के बाद, प्रतिनिधिमंडल ने पूर्ण रूप से जलीय कृषि सुविधा अर्थात् सिंटेफ एसीई, स्थल का दौरा किया। यह पूर्ण रूप से स्थापित एक प्रयोगशाला सुविधा है जिसे नई जलीय कृषि प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और परीक्षण के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस बात पर चर्चा की गई कि प्रयोगशाला में, शोधकर्ता पूर्ण नियंत्रित और यथार्थवादी परिस्थितियों में व्यावहारिक प्रयोगों एवं परीक्षणों का संचालन किस प्रकार से कर सकते हैं।
स्थल का दौरा करने के बाद, प्रतिनिधिमंडल ट्रॉनहैम स्पेक्ट्रोम में एक्वा नॉर, 2023 प्रदर्शनी पहुंचे और उन्होंने इसमें शामिल होने वाले उद्मियों से बातचीत की और भविष्य में सहयोग के अवसरों पर चर्चा की। प्रदर्शनी की अवधि में, अकरबायोमरीन, सबसे बड़ा बायोटेक इनोवेटर और अंटार्कटिक क्रिल-हार्वेस्टिंग कंपनी में से एक, के स्टाल पर, चंद्रयान-3 के अंतिम चरण की लैंडिंग की स्क्रीनिंग की गई, जिसकी उपस्थित सभी लोगों द्वारा सराहना की गई। श्री स्केजेरन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान की ऐतिहासिक लैंडिंग पर मंत्री को बधाई दी। संयोगवश नार्वे की ओर से ‘लूना’ नामक कमरे में ही बैठक आयोजित की गई थी और पृष्ठभूमि में चंद्रमा के साथ दोनों मंत्रियों की तस्वीर लेने का अवसर प्राप्त हुआ।
इसके बाद, परशोत्तम रूपाला और डॉ. एल. मुरुगन ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकों के लिए क्लेरियन होटल ट्रॉनहैम, ब्रैटोर्किया, ट्रॉनहैम पहुंचे, जहां उन्होंने नार्वे के मत्स्य पालन और महासागर नीति मंत्री ब्योर्नर स्केजेरन, यंगवे टॉर्गर्सन, महानिदेशक, एक्वाकल्चर विभाग, व्यापार, उद्योग और मत्स्य पालन मंत्रालय (एमटीआईएफ), एस्ट्रिड होल्टन, निदेशक, व्यापार नीति विभाग, एमटीआईएफ, रैगनहिल्ड मोरिट्ज़-ओल्सन, सलाहकार, व्यापार नीति, विभाग, एमटीआईएफ, क्रिस्टियन वाल्डेस कार्टर, निदेशक भारत और वाणिज्यिक, परामर्शदाता, नवाचार, नॉर्वे के साथ बातचीत की। उन्होंने मत्स्य पालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। मंत्री ने नॉर्वे में अपने समकक्ष को पारस्परिक रूप से सुविधाजनक समय पर भारत आने के लिए आमंत्रित किया।
परशोत्तम रूपाला ने प्रदर्शनी में मीडिया से बातचीत की, जहां उन्होंने एक्वा नॉर के आयोजकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि वह इस प्रदर्शनी में कुछ नवीनतम तकनीकों को देखा जा सका है। उन्होंने पिछले दो दिनों में मत्स्य पालन और महासागर नीति मंत्री ब्योर्नर स्केजेरन की भी सराहना की। एक सवाल के जवाब में परशोत्तम रूपाला ने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक देश है और इसका लक्ष्य वैश्विक नेता बनना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मत्स्य पालन के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया है और भारत में 28 मिलियन से ज्यादा मछुआरों के कल्याण के लिए बजट में वृद्धि की गई है। उनके साथ मीडिया से बातचीत में डॉ. एल. मुरुगन भी मौजूद थे।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल को जलीय कृषि प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में दुनिया के सबसे बड़े व्यापार मेलों में से एक में उत्साहपूर्वक हिस्सा लेने के बाद मत्स्य पालन के क्षेत्र में भारत और नॉर्वे के बीच द्विपक्षीय संबंधों को स्थापित करने और मजबूत होने की संभावना है।