एबी पीएम-जेएवाई के कार्यान्वयन के लिए डेटाबेस को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थी डेटाबेस के साथ एकीकरण
एनएचए एबी-पीएमजेएवाई कार्यान्वयन के अनेक पहलुओं को मजबूत करने के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने वाले विभिन्न मंत्रालयों के साथ सहयोग कर रहा है
राज्य और केंद्रशासित प्रदेश लाभार्थी डेटाबेस एकीकरण के लिए आवश्यक सहायता प्रदान कर रहे हैं
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री – जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के कार्यान्वयन के साथ अनिवार्य किया गया है। एबी पीएम-जेएवाई माध्यमिक और तृतीयक देखभाल से संबंधित अस्पताल में भर्ती के लिए 5 लाख रुपये प्रति परिवार प्रति वर्ष तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करता है। 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के आधार पर एबी पीएम-जेएवाई के तहत 10.74 करोड़ लाभार्थी परिवारों की पहचान की गई है, जो क्रमशः ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 6 अभाव और 11 व्यावसायिक शर्तों पर हैं।
एनएचए ने अन्य बातों के साथ-साथ लाभार्थी जागरूकता अभियान, लाभार्थी डेटाबेस (एसईसीसी 2011) संवर्धन आदि सहित योजना के कार्यान्वयन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को मजबूत करने के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने वाले विभिन्न मंत्रालयों के साथ सहयोग किया है। एबी पीएम-जेएवाई के तहत लाभार्थी डेटाबेस संवर्धन का मतलब खोजने में आसानी के लिए डेटाबेस के साथ अतिरिक्त पैरामीटर जोड़ना होगा। एसईसीसी 2011 से एबी पीएम-जेएवाई के अधिकांश लाभार्थी भी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पोर्टल (एनएफएसए) के तहत लाभ के पात्र हैं। एनएचए एसईसीसी 2011 लाभार्थी डेटाबेस को एनएफएसए के साथ एकीकृत करने पर काम कर रहा है, जिससे लाभार्थी अपने राशन कार्ड नंबर का उपयोग करके एबी पीएम-जेएवाई के तहत अपनी पात्रता के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। एनएचए पात्र लाभार्थियों को योजना से संबंधित जानकारी और योजना के तहत पात्रता प्रदान करने के लिए उचित मूल्य की दुकानों या राशन की दुकानों का उपयोग करने के प्रस्ताव पर भी काम कर रहा है। यह कार्ड तैयार करने के लिए मौजूदा कॉमन सर्विस सेंटर, यूटीआई-आईटीएसएल आदि के साथ लाभार्थियों को अतिरिक्त अवसर प्रदान करेगा। इससे लाभार्थी पहचान प्रक्रिया बहुत सुविधाजनक हो जाएगी।
हालांकि, विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं के साथ उपलब्ध मौजूदा लाभार्थी डेटा का सार्थक उपयोग तभी किया जा सकता है, जब एक साझा पहचानकर्ता उपलब्ध हो। अधिकांश सरकारी डेटाबेस में आधार एक सामान्य पहचान होने के कारण इस एकीकरण को पूरा करेगा। इसके अलावा, आधार ई-केवाईसी के माध्यम से लाभार्थी की पहचान के संबंध में निश्चितता भी सुनिश्चित करता है। ई-केवाईसी लक्षित तरीके से सेवाओं के कागज रहित वितरण को आसान बनाता है।
इस दिशा में, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने 27 अक्टूबर, 2021, 6 दिसंबर, 2021 और 14 दिसंबर, 2021 के कार्यालय ज्ञापन जारी किए हैं। इन कार्यालय ज्ञापनों ने सरकार के विभिन्न विभागों के बीच आधार (किसी भी योजना के तहत एकत्रित) को साझा करने में सक्षम बनाया है। कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, धारा 7 या धारा 4(4)(बी)(ii) योजनाओं का संचालन करने वाले केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों को आधार (लक्षित वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवा वितरण) अधिनियम, 2016 के तहत एक इकाई के रूप में माना जा सकता है।
तदनुसार, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीओएफपीडी) ने दिनांक 06 जनवरी, 2022 का ओएम फाइल नंबर 14(1)/2018-कॉम्प.सेल (ई-342358) जारी किया है, जिसमें राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि वे संबंधित आधार के साथ-साथ एनएफएसए राशन कार्ड डेटा को एनएचए के साथ साझा करने में आवश्यक सहायता और सहयोग प्रदान करें। डेटा सुरक्षा, डेटा भंडारण और डेटा गोपनीयता, आदि के संबंध में विभिन्न प्रावधानों और विनियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने और विशेष रूप से सहमति प्राप्त करने की जिम्मेदारी उपयोगकर्ता विभागों की, यानी इस मामले में एनएचए की होगी।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के कार्यालय ज्ञापन के अनुसरण में, एनएचए डेटाबेस एकीकरण के संबंध में राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के साथ अनुवर्ती कार्रवाई कर रहा है। राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस संबंध में आवश्यक सहायता प्रदान कर रहे हैं। किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश ने डेटा साझा करने में एनएचए को कोई आपत्ति नहीं जताई है। कई राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में डेटाबेस साझा करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।