चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के उतरने के बाद भारत की अंतरिक्ष खोज परियोजनाओं में जबर्दस्त जन रुचि पैदा हुई है- डॉ. जितेंद्र सिंह
नई दिल्ली, 3नवंबर। केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने देशभर के वैज्ञानिक संगठनों और शोध संस्थानों से मोदी सरकार द्वारा स्टार्टअप व संभावित उद्यमियों के लिये विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेष के क्षेत्र में पेश सक्षम प्रावधानों को लेकर जागरूकता बढ़ाने हेतु देशव्यापी पब्लिक आउटरीच कैंपेन शुरू करने के लिये रोड़मैप तैयार करने का आह्वान किया।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतरने के बाद भारत के अंतरिक्ष खोज अभियानों को लेकर जनता में जबर्दस्त रुचि पैदा हुई है और यह रुझान बना रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के अभियान से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा पिछले नौ साल से अधिक समय के दौरान हमारे डीएसटी, सीएसआईआर, डीबीटी, इसरो, डीआरडीओ और अन्य वैज्ञानिक विभागों द्वारा हासिल अनुसंधान सफलताओं को लेकर न केवल जनता के बीच जागरूकता बढ़ेगी बल्कि इससे युवाओं को इस रोचक यात्रा का हिस्सा बनने और इसमें योगदान करने के लिये प्रेरणा व प्रोत्साहन मिलेगा।’’
केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में सभी विज्ञान सचिवों की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय कुमार सूद, डीएसटी सचिव प्रो. अभय करांदिकर, सीएसआईआर के सचिव डॉ. (श्रीमती) एन. कलइसेल्वी, डीबीटी सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले, अंतरिक्ष विभाग के सचिव और चेयरमैन इसरो श्री एस. सोमनाथ, परमाणु उर्जा आयोग के चेयरमैन और परमाणु उर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजित कुमार मोहंती के साथ कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
इस दौरान 01 जनवरी 2023 से 24 सितंबर 2023 तक सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं/संस्थानों द्वारा चलाये गये ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला’ कार्यक्रम, जिसमें छात्रों और जनता के लिये इन प्रयोगशालाओं के दरवाजे खोल दिये गये, की प्रशंसा करते हुये डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्कूली बच्चों में नई खोज के प्रति ललक पैदा करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘नवोन्मेषी ज्ञान भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में योगदान देगा और इससे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा किया जा सकेगा।’’
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि ‘इन्सपायर’ योजना से वैज्ञानिक सोच पैदा करने में मदद मिल रही है और इससे हर साल पुरस्कार के लिये प्रतिस्पर्धा में भाग लेने वाले आकांक्षी छात्रों की संख्या बढ़ रही है। नई खोज और नवाचार में रुचि रखने वाले युवाओं के लिये पहली बार मेंटरशिप प्रोग्राम की शुरुआत नवंबर 2021 में भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर की गई।
इन्सपायर पुरस्कार- एमएएनएके (मानक) भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका क्रियान्वयन भारत सरकार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और राष्ट्रीय नवाचार न्यास (एनआईएफ)-भारत, द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। इन्सपायर योजना 10- 32 वर्ष आयु समूह के छात्रों के बीच कई प्रकार के घटकों में काम करती है। अब तक 1.3 लाख उच्चतर माध्यमिक छात्रों को इन्सपायर छात्रवृत्ति प्रदान की जा चुकी है जिससे कि वह प्राकृतिक और बुनियादी विज्ञान में अपनी पढ़ाई आगे बढ़ा सकें।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों/संस्थानों और अन्य अकादमिक संगठनों के साथ साथ उद्योग-शैक्षणिक संस्थानों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिये अनुसंधान और विकास उपकरणों की सुलभता व उपलब्धता की दिशा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ढांचागत सुविधाओं से जुड़ी अनेक प्रकार की योजनाओं जैसे कि एफआईएसटी, पीयूआरएसई, एसएआईएफ आदि को समर्थन देता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का विजन है कि ‘अमृतकाल- अगले 25 साल जिसमें विकसित भारत बनेगा’ में देश को आधुनिक विज्ञान के लिये सबसे अत्याधुनिक प्रयोगशाला बनाने को विभिन्न क्षेत्रों में प्रयासों को और तेज किया जाये।
इस विजन की दिशा में काम करते हुये सरकार देश में अनुसंधान के लिये ढांचागत सुविधाओं को तैयार करने में बड़े पैमाने पर निवेश के लिये प्रतिबद्ध है। एफआईएसटी कार्यक्रम के तहत डीएसटी ने 3,131 करोड़ रुपये के कुल बजट से विभिन्न एसटीईएम विभागों में वैज्ञानिक अवसंरचना निर्माण के लिये 3,074 विभागों और पीजी कॉलेजों को समर्थन दिया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि अब तक 950 करोड़ रुपये के निवेश के साथ बड़ी चुनौतीपूर्ण अनुसंधान और विकास गतिवधियों के लिये उत्साह बनाये रखने हेतु देशभर में विश्वविद्यालयों को सुदृढ़ अवसंरचना अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है।
राष्ट्रव्यापी पहुंच के साथ विश्वविद्यालय अनुसंधान और वैज्ञानिक उत्कृष्टता संवर्धन (पीयूआरएसई) हमारे शिक्षाविदों/वैज्ञानिकों को अत्याधुनिक शोध उपकरण उपलब्ध कराकर विश्वविद्यालय शोध परिवेश को समर्थन देता है जिससे कि हमारे विश्वविद्यालय वैश्विक मानकों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें। एक नई योजना, सुप्रीम, को भी शुरू किया गया है जिसमें मौजूदा विश्लेषणात्मक यंत्रीकरण व्यवस्था (एआईएफ) की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिये उनमें मरम्मत/उन्नयन/रख-रखाव/नये पुर्जे जोड़ना अथवा अतिरिक्त संलग्नक अधिग्रहण के लिये वित्तीय समर्थन दिया जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार देश में वैज्ञानिक अनुसंधान और नवोन्मेष प्रयासों को मजबूती देकर जनता और विशेषकर युवाओं के बीच वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिये अनेक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि यह एक अखिल भारतीय योजना है जो कि जैवप्रौद्योगिकी विभाग के समर्थन के चलते देश के प्रत्येक जिले में एक स्टार कालेज की परिकल्पना की है।
डीबीटी स्टार कॉलेज योजना के तहत देशभर में कुल 278 स्नातक कॉलेजों में जिनमें 1.5 लाख से अधिक छात्र हैं, को समर्थन दिया गया है। इनमें 55 कॉलेज ग्रामीण क्षेत्रों से और 15 कॉलेज आकांक्षी जिलों के हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। हम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने और साल 2070 तक नेट ज़ीरो का अपना लक्ष्य हासिल करने की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत आज इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल, पवन और सौर ऊर्जा सहित गैर-पारंपरिक ऊर्जा के अग्रणी यूज़र्स में से एक है और दुनिया की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली बस भारत में बनाई गई है। उन्होंने कहा, “दुनिया नेतृत्व के लिए हमारी तरफ देख रही है।”
मंत्री महोदय ने कहा कि एस एंड टी में भारत ने हाल के वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति की है। ऐसी कुछ प्रमुख उपलब्धियों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) की 132 देशों की रैंकिंग में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है, जहां वर्ष 2015 में वह 81वें स्थान पर था वहीं 2022 में 40वें स्थान पर पहुंच गया। स्टार्टअप्स, यूनिकॉर्न, वैज्ञानिक प्रकाशनों और पीएचडी प्रदान करने के मामले में उसकी तीसरी रैंक हो गई है।
उन्होंने कहा, “कोविड महामारी के दौरान भारत ने न केवल अपनी आबादी को बचाया, बल्कि टीके उपलब्ध कराकर दुनिया की भी मदद की। हमने दुनिया का पहला डीएनए टीका भी दिया।”
मंत्री महोदय ने उल्लेख किया कि हाल के दिनों में, भारत सरकार ने कई प्रमुख पहलें शुरू की हैं जैसे कि अंतःविषय साइबर भौतिक प्रणाली (आईसीपीएस); क्वांटम कंप्यूटिंग और संचार; सुपरकंप्यूटिंग, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ग्रीन हाइड्रोजन पर राष्ट्रीय मिशन आदि।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि, हमारा चंद्रयान मिशन चंद्रमा पर पानी के साक्ष्य खोजने वाला पहला मिशन था और आदित्य-एल1 सौर मिशन का नेतृत्व एक महिला निदेशक कर रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष अनुसंधान और एस एंड टी में भारत के प्रयासों को एक सक्षम वातावरण प्रदान किया है। जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं।
उन्होंने कहा, “आज दुनिया भारत के नेतृत्व में चलने को तैयार है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष की घोषणा करना हमारे बढ़ते कद का प्रमाण है। अब हम सभी भारतीयों के लिए इस अवसर पर आगे बढ़ने और इसका फायदा उठाने का समय है।”
मई 2022 में प्रधानमंत्री मोदी के मासिक रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि लगभग 50 प्रतिशत स्टार्टअप टियर-2 और टियर-3 शहरों से आते हैं।
उन्होंने कहा, “आज 3,000 से अधिक एग्रीटेक स्टार्टअप हैं और अरोमा मिशन और लैवेंडर की खेती जैसे क्षेत्रों में बहुत सफल हैं। उनमें से कुछ के पास उच्च योग्यता नहीं है, लेकिन वे बहुत इनोवेटिव हैं। 2014 में अंतरिक्ष क्षेत्र में सिर्फ 4 स्टार्टअप थे, अब 150 से अधिक स्पेस स्टार्टअप हैं, जिनमें से कुछ जो सबसे अग्रणी हैं वे कई सौ करोड़ के हैं।”
उन्होंने कहा कि इसमें से बहुत कुछ प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए अभूतपूर्व सुधारों के कारण संभव हुआ है। इनमें स्टार्टअप नीति, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, अंतरिक्ष क्षेत्र और ड्रोन विनियमन, नई भू-स्थानिक नीति, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन जैसे सुधार शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) भी लाए, जो भारत में छात्रों और युवाओं के लिए नए करियर व उद्यमिता के अवसर खोलने के वादे के साथ स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में सहयोगी है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले 9 से अधिक वर्षों का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि औपचारिक नौकरियों के अलावा, देश के युवाओं के लिए सरकारी क्षेत्र के बाहर लाखों अवसर और रास्ते बनाए गए, चाहे वे स्टार्ट-अप हों, मुद्रा योजना हो या पीएम स्वनिधि हो।
बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने 17 से 20 जनवरी, 2024 को एनसीआर बायोटेक साइंस क्लस्टर, फरीदाबाद में होने जा रहे 9वें भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ)- 2024 की तैयारियों की समीक्षा की।