कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

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कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने निर्यात मूल्य श्रृंखला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

यह समझौता ज्ञापन हितधारकों को बेहतर मूल्य प्राप्त करवाने के लिए कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्रों के हित में गतिविधियों को समन्वित करने को लेकर एक साथ काम करके दोनों संगठनों की विशेषज्ञता का उपयोग करने के लिए किया गया है। इसके अलावा कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वयन और निर्यात मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य निर्यात के लिए अवशेष/कार्बन मुक्त भोजन का उत्पादन करने के लिए शून्य कार्बन उत्सर्जन खेती से संबंधित जलवायु-अनुकूल कृषि के क्षेत्रों में एपीडा के साथ संयुक्त रूप से प्रौद्योगिकियों को शामिल करना और इनका प्रसार करना है।

इस समझौता ज्ञापन के अनुरूप दोनों संगठन कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मूल्य श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर कृषि और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित अंतर्निहित (एम्बेडेड) प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण के लिए सहयोगी परियोजनाओं में सहयोग करेंगे।

इसके तहत सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में कम लागत के लिए कृषि मशीनरी का विकास व सुधार, छोटे स्तर के किसानों के लिए उपयोगकर्ता अनुकूल व ऊर्जा कुशल उपकरण, एनआरडीसी इनक्यूबेशन (ऊष्मायन) केंद्र (एनआरडीसीआईसी) से संबंधित एग्री स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देना व इनकी सहायता करना, जिससे कृषि-निर्यात में जुड़ाव और स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत किया जा सके और एक-दूसरे के साथ ज्ञान साझा करने के लिए एनआरडीसी/एपीईडीए के विशेषज्ञों को मनोनीत करना शामिल हैं।

इस समझौता ज्ञापन पर नई दिल्ली स्थित एपीडा के मुख्यालय में एपीडा के सचिव और एनआरडीसी के सीएमडी कमोडोर (सेवानिवृत्त) अमित रस्तोगी ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एपीडा के अध्यक्ष आईएएस डॉ. एम. अंगमुथु उपस्थित थे।

एनआरडीसी, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) का एक उद्यम है। इसकी स्थापना 1953 में हुई थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य प्रौद्योगिकियों, तकनीकी जानकारी, आविष्कारों और पेटेंटों को बढ़ावा देना, इन्हें विकसित करना और उनका व्यावसायीकरण करना प्राथमिक उद्देश्य है।

एपीडा विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर व विशिष्ट विशेषज्ञता वाले कई संगठनों और संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके तहत सहयोग के संभावित क्षेत्रों में विभिन्न हितधारकों की क्षमता निर्माण व कृषि के विकास के लिए कुछ चिह्नित हस्तक्षेपों को संबोधित करने के लिए समाधान प्रदान करना और 2018 में भारत सरकार की घोषित कृषि निर्यात नीति (एईपी) के तहत निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप इसके निर्यात में बढ़ोतरी शामिल है।

एईपी को कृषि निर्यात उन्मुख उत्पादन, निर्यात प्रोत्साहन, किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति और भारत सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों के अनुरूप बनाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ तैयार की गई थी। यह मूल्य श्रृंखला में नुकसान को कम करने में सहायता करने को लेकर स्रोत पर ही कीमत में बढ़ोतरी के माध्यम से बेहतर आय के लिए “किसान केंद्रित दृष्टिकोण” पर आधारित है।

यह नीति देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में आपूर्ति से संबंधित कई मुद्दों से निपटने में सहायता करने के लिए उत्पाद-विशिष्ट समूहों के विकास के दृष्टिकोण को अपनाने पर भी अपना ध्यान केंद्रित करती है। इन मुद्दों में मृदा पोषक तत्वों का प्रबंधन, उच्च उत्पादकता, बाजारोन्मुख किस्म की फसल को अपनाना और अच्छी कृषि पद्धतियों का उपयोग आदि शामिल हैं।

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