एआईसीटीई “एक छात्र एक वृक्ष अभियान- 2023” शुरू करेगा और यूजीसी ने मिशन लाइफ के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने को लेकर पहल की: डॉ. राजकुमार रंजन सिंह
डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने विश्व पर्यावरण दिवस- 2023 समारोहों में लिया हिस्सा
नई दिल्ली,06जून। विश्व पर्यावरण दिवस- 2023 के अवसर पर शिक्षा और विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने पूरे देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों, शिक्षकों और छात्रों के साथ बातचीत की। इस अवसर पर उच्चतर शिक्षा संस्थानों के कुलपति व निदेशकों के साथ उच्चतर शिक्षा के सचिव के संजय मूर्ति, यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार, एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर टीजी सीताराम और एनईटीएफ के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे उपस्थित थे।
यह कार्यक्रम ओडिशा ट्रेन दुर्घटना में अपनी जिंदगी गंवाने वालों के लिए शोक व्यक्त करने को लेकर एक मिनट का मौन रखने के बाद शुरू हुआ।
इस अवसर पर डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि पूरे देश में विश्व पर्यावरण दिवस के आयोजन में विद्यालय जाने वाले बच्चों और अन्य लोगों को लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) के बारे में संवेदनशील बनाने के साथ-साथ इसके संदेश को प्रसारित करने के लिए युवाओं की भागीदारी की परिकल्पना की गई है।
डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने आगे बताया कि ग्लासगो में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) सीओपी- 26 ग्लोबल लीडर्स सम्मेलन के राष्ट्रीय वक्तव्य में प्रधानमंत्री ने पर्यावरण के लिए जीवनशैली का मंत्र दिया था। इसके अलावा उन्होंने साल 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित करने पर भी जोर दिया था। 20 अक्टूबर, 2022 को प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए एक वैश्विक आंदोलन- मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) की शुरुआत की थी। मिशन लाइफ भारत के नेतृत्व में पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए “नासमझ और विनाशकारी खपत की जगह विवेकपूर्ण और इच्छित उपयोग” के लिए एक वैश्विक जन आंदोलन है।
डॉ. सिंह ने बताया कि इस अवसर पर एआईसीटीई “एक छात्र एक वृक्ष अभियान- 2023” शुरू करेगा। वहीं, यूजीसी ने भी मिशन लाइफ के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने की पहल की है।
इसके अलावा उन्होंने उच्च शैक्षणिक संस्थानों से विभिन्न गतिविधियों को शुरू करने का भी अनुरोध किया। इनमें मिशन लाइफ पर टिकाऊ अभ्यासों को लेकर जागरूकता कार्यशाला और लाइफ कार्रवाइयों को बढ़ावा देना, कॉलेज और विश्वविद्यालय परिसरों को प्लास्टिक मुक्त बनाना, परिसर को डिजिटल बनाना और कागज के उपयोग से बचना, छात्रावास और कैफेटेरिया में खाने की बर्बादी को रोकना, सूखे पत्तों/खाद्य अपशिष्ट/जैविक अपशिष्ट के कम्पोस्ट से खाद बनाना और निर्धारित कार्यक्रमों आदि के दौरान साइकिल रैली/प्लास्टिक संग्रह/जल निकाय सफाई गतिविधियों का आयोजन करना शामिल हैं।
इस अवसर पर डॉ. सिंह ने ‘अंतरस्नातक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा के लिए दिशानिर्देश और पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ जारी की। उन्होंने आगे कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 के अनुरूप एक महत्वपूर्ण पहल है, जो पर्यावरण शिक्षा को पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाने और पर्यावरण के संरक्षण व सतत विकास को लेकर जागरूकता व संवेदनशीलता को प्रोत्साहित करने के महत्व को रेखांकित करती है। इन दिशानिर्देशों में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता, जैविक विविधता का संरक्षण, जैविक संसाधनों व जैव विविधता का प्रबंधन, वन व वन्यजीव संरक्षण और सतत विकास जैसे क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस दस्तावेज से विविध आनुशासनिक पृष्ठभूमि के छात्रों की जरूरतों के पूरा होने और सतत विकास लक्ष्यों के प्राप्त होने व वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों को संबोधित करने की दिशा में हमारे राष्ट्र की प्रतिबद्धता को लेकर उन्हें संवेदनशील बनाने की उम्मीद है।
डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने सभी से इन दिशानिर्देशों को अंतरस्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल करने और ‘मिशन लाइफ’ के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया, जिससे पृथ्वी को पर्यावरणीय गिरावट के प्रतिकूल प्रभाव से बचाया जा सके।