भारत में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की सभी 37 प्रयोगशालाओं को उनकी विशेषज्ञता के संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार के वैश्विक केंद्रों में बदल दिया जाएगा : डॉ. जितेंद्र सिंह
देहरादून, 7जनवरी।केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज यहां नई दिल्ली में “एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब)” अभियान शुरू किया।
देश भर में फैली 37 वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक अपने कार्य के एक अलग विशिष्ट क्षेत्र के लिए समर्पित है और ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब)” अभियान उनमें से प्रत्येक को अपने कार्य प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करेगा, ताकि अन्य लोग इसका लाभ उठा सकें और हितधारक इसके बारे में सीख सकें। कालान्तर में ये प्रयोगशालाएं विशेषज्ञता के अपने संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार के वैश्विक केंद्रों में बदल जाएंगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मई 2014 से सभी वैज्ञानिक प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्रिय और निरंतर समर्थन के साथ भारत, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार पारिस्थितिकी तन्त्र में हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस मंगलवार से नागपुर में आयोजित हो रही 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री के संबोधन का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था, “हम उस वैज्ञानिक दृष्टिकोण के परिणाम भी देख रहे हैं जिसके साथ आज का भारत आगे बढ़ रहा है। भारत तेजी से विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष देशों में से एक बन रहा है। 130 देशों में हम 2015 तक वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) में 81वें स्थान पर थे, लेकिन 2022 में हम 40वें स्थान पर पहुंच गए हैं। आज भारत शोधकार्यों (पीएचडी) के क्षेत्र में विश्व के शीर्ष तीन देशों में है। आज भारत स्टार्ट-अप पारिस्थितिक के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि “वन वीक वन लैब” अभियान में, देश भर में फैली इसकी 37 घटक प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक अपनी विरासत, विशेष नवाचारों और तकनीकी सफलताओं को हर सप्ताह प्रदर्शित करेगी। इस दौरान प्रयोगशालाएं सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करेंगी जिनमें उद्योग और स्टार्ट-अप्स गोष्ठियां, छात्रों से परस्पर सम्पर्क (स्टूडेंट्स कनेक्ट), समाज के विभिन्न वर्गों से सम्पर्क (सोसाइटी कनेक्ट) तथा प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन आदि शामिल हैI
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले एक दशक में, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने देश को अपनी पहली जैव ईंधन-संचालित उड़ान, भारतीय निर्देशक द्रव्य, हींग (ऐस्फोटिडा) की खेती, दंत प्रत्यारोपण के स्वदेशी विकास, सेल बस, स्टील स्लैग के साथ सड़क निर्माण, सीएसआईआर- टेक्नोएस रमन स्पेक्ट्रोमीटर का विकास, ट्रेनर विमान हंसा-एनजी और विभिन्न सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में विकसित कई अन्य प्रौद्योगिकियां उच्च-रिज़ॉल्यूशन एक्विफर मैपिंग की तकनीक, स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन ईंधन की सुविधा प्रदान की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक अद्वितीय है और उन्हें जीनोम से भूविज्ञान, भोजन से ईंधन, खनिज से सामग्री आदि जैसे विविध क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त है। वैगानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने पिछले 80 वर्षों से पथप्रदर्शक तकनीकों और नवाचारों के साथ राष्ट्र में अपनी छाप छोड़ी है, उनमें से कुछ में अमिट स्याही, समानांतर कंप्यूटर फ़्लोसोल्वर, स्वराज ट्रैक्टर्स, सेंटक्रोमन, डीएनए फ़िंगरप्रिंटिंग, अरोमा मिशन और कई अन्य उपलब्धियां शामिल हैं।
मंत्री महोदय ने बताया कि समाज के लिए सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा बहुत सी प्रौद्योगिकियों को विकसित किया गया है, लेकिन उनमें से कई अभी तक प्रयोगशालाओं तक ही सीमित हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की उन्नति और समाज की प्रगति के लिए प्रौद्योगिकियों के बारे में अधिक जानने के लिए हितधारकों/उद्यमी/छात्रों / उद्योगों) के बीच संसाधनपूर्ण संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सकल शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन) और शून्य अपशिष्ट (जीरो वेस्ट) की ओर बढ़ने के उद्देश्य से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद–केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान सीएसआईआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट –सीबीआरआई), रुड़की द्वारा आयोजित” (नवाचार एवं दीर्घकालीन निर्माण सामग्री था प्रौद्योगिकियां-इनोवेशन एंड सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन मैटेरियल्स एंड टेक्नोलॉजीज)” पर कार्यशाला और प्रदर्शनी का उद्घाटन कर इस अभियान की शुरुआत की।
इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर के एक सप्ताह एक लैब अभियान का प्रतीक चिन्ह (लोगो) भी जारी किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि “वन वीक वन लैब” अभियान में, देश भर में फैली इसकी 37 घटक प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक अपनी विरासत, विशेष नवाचारों और तकनीकी सफलताओं को हर सप्ताह प्रदर्शित करेगी। इस दौरान प्रयोगशालाएं सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करेंगी जिनमें उद्योग और स्टार्ट-अप्स गोष्ठियां, छात्रों से परस्पर सम्पर्क (स्टूडेंट्स कनेक्ट), समाज के विभिन्न वर्गों से सम्पर्क (सोसाइटी कनेक्ट) तथा प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन आदि शामिल हैI
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले एक दशक में, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने देश को अपनी पहली जैव ईंधन-संचालित उड़ान, भारतीय निर्देशक द्रव्य, हींग (ऐस्फोटिडा) की खेती, दंत प्रत्यारोपण के स्वदेशी विकास, सेल बस, स्टील स्लैग के साथ सड़क निर्माण, सीएसआईआर- टेक्नोएस रमन स्पेक्ट्रोमीटर का विकास, ट्रेनर विमान हंसा-एनजी और विभिन्न सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में विकसित कई अन्य प्रौद्योगिकियां उच्च-रिज़ॉल्यूशन एक्विफर मैपिंग की तकनीक, स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन ईंधन की सुविधा प्रदान की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक अद्वितीय है और उन्हें जीनोम से भूविज्ञान, भोजन से ईंधन, खनिज से सामग्री आदि जैसे विविध क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त है। वैगानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने पिछले 80 वर्षों से पथप्रदर्शक तकनीकों और नवाचारों के साथ राष्ट्र में अपनी छाप छोड़ी है, उनमें से कुछ में अमिट स्याही, समानांतर कंप्यूटर फ़्लोसोल्वर, स्वराज ट्रैक्टर्स, सेंटक्रोमन, डीएनए फ़िंगरप्रिंटिंग, अरोमा मिशन और कई अन्य उपलब्धियां शामिल हैं।
मंत्री महोदय ने बताया कि समाज के लिए सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा बहुत सी प्रौद्योगिकियों को विकसित किया गया है, लेकिन उनमें से कई अभी तक प्रयोगशालाओं तक ही सीमित हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की उन्नति और समाज की प्रगति के लिए प्रौद्योगिकियों के बारे में अधिक जानने के लिए हितधारकों/उद्यमी/छात्रों / उद्योगों) के बीच संसाधनपूर्ण संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सकल शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन) और शून्य अपशिष्ट (जीरो वेस्ट) की ओर बढ़ने के उद्देश्य से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद–केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान सीएसआईआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट –सीबीआरआई), रुड़की द्वारा आयोजित” (नवाचार एवं दीर्घकालीन निर्माण सामग्री था प्रौद्योगिकियां-इनोवेशन एंड सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन मैटेरियल्स एंड टेक्नोलॉजीज)” पर कार्यशाला और प्रदर्शनी का उद्घाटन कर इस अभियान की शुरुआत की।
इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर के एक सप्ताह एक लैब अभियान का प्रतीक चिन्ह (लोगो) भी जारी किया।
उद्घाटन सत्र के दौरान, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) की सचिव और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक, डॉ. एन कलैसेल्वी ने कहा कि अभियान एक अनूठी पहल है और सीएसआईआर की सफलता की कहानियों को भारत और दुनिया के लोगों तक पहुंचाने के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह का एक लीक से हटकर विचार है। सीएसआईआर को भारत का नवाचार इंजन बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी 37 प्रयोगशालाओं को 2030 में मध्यावधि मूल्यांकन के लिए अगले 7 वर्षों में ढेर सारी सफलता की कहानियां प्रस्तुत करनी हैं, ताकि प्रधानमंत्री के भारत को 2047 में दुनिया का नवाचार केंद्र (इनोवेशन हब) बनाने के सपने (विजन) को पूरा किया जा सके।
डॉ. कलैसेल्वी ने बताया कि सीएसआईआर का “एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब) “अभियान सही संपर्क स्थापित करने और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में न केवल तकनीकी सफलताओं और नवाचारों को प्रदर्शित करने की एक प्रविधि है, बल्कि यह भविष्य की वे प्रौद्योगिकियां (फ्यूचर टेक्नोलॉजीज) भी है जिन पर सीएसआईआर प्रयोगशालाएं काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान में स्कूली छात्रों, जोकि भविष्य के वैज्ञानिक हैं, के साथ वैज्ञानिकों और प्रयोगशालाओं के शोधकर्ताओं की बातचीत के माध्यम से छात्र सम्पर्क (स्टूडेंट्स कनेक्ट) के लिए कार्यक्रम शामिल होंगे, ताकि वैज्ञानिक स्वभाव (साइंटिफिक टेम्परामेंट) को विकसित किया जा सके। अतः फोकस सीएसआईआर के स्कूलों और कार्यक्रमों जैसे जिज्ञासा और अटल टिंकरिंग लैब के साथ मौजूदा सहयोग के माध्यम से होगा।
यह अभियान शिक्षा और कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित करेगा जिनमें अलग- अलग क्षेत्रों (डोमेन) के इच्छुक छात्रों को सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की अनुसंधान गतिविधियों तथा सुविधाओं के बारे में पता चलने के साथ ही भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानकारी मिलती है। अभियान का एक अन्य ध्यान क्षेत्र विज्ञान के प्रसार और प्रौद्योगिकियों के व्यापक प्रसार के साथ देश में अधिक से अधिक स्टार्ट- अप्स और उद्यमिता का समर्थन करना है। उद्योग और सूक्ष्म, लघुव एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के साथ बैठकें समाज की आवश्यकता या क्षेत्रीय जरूरतों के आधार पर विज्ञान और उद्योग के बीच समझ स्थापित करने और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों और उत्पादों के सह- विकास के लिए संभावित उद्योगों की पहचान करने के लिए लक्षित हैं। साथ ही यह तेजी से वितरण और प्रौद्योगिकियों की तैनाती के लिए सरकार-शिक्षा- उद्योग के नेटवर्क बनाने का अवसर भी होगा।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद–केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान सीएसआईआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट –सीबीआरआई के निदेशक, प्रो. प्रदीप कुमार रमनचार्ला ने अभियान के अंतर्गत सप्ताह भर में निर्धारित कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण दिया, जिसमें टेक्नोलॉजी चैलेंज हैकथॉन, उद्योग, एमएसएमई, अकादमिक बैठकें, छात्र कनेक्ट कार्यक्रम, उद्यमिता अवसर, टाउन हॉल मीटिंग और अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया।
अन्य सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के निदेशकों ने भी इस सत्र में भाग लिया। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद- भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर- आईआईसीटी), वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय वांतरिक्ष प्रयोगशालाएं (सीएसआईआर- एनएएल), वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान संस्थान – केन्द्रीय औषधीय एव सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर- सीआईएमएपी) और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान परिषद-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर- एनआईएससीपीआर- निस्पर) इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए आने वाले सप्ताहों में अपनी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करेंगे। सीएसआईआर ने अपने अगले स्थापना दिवस समारोह के दौरान इस अभियान के समापन का लक्ष्य रखा है।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) भारत में सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास संगठन है, जिसकी स्थापना 1942 में की गई थी और यह लगातार विकसित हो रहा है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान और विकास के लिए विश्व स्तरीय अनुसंधान करना सीएसआईआर की पहचान रही है।
1942 में 5 प्रयोगशालाओं के साथ शुरू हुई वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) अपनी आठ दशकों की यात्रा में अब 3521 वैज्ञानिकों की 37 प्रयोगशालाओं के साथ एक ऐसे संगठन के रूप में विकसित हुआ है जो 4162 तकनीकी कर्मचारियों, 2612 प्रशासनिक एवं अन्य सहायक कर्मचारियों और लगभग 5500 युवा विद्वानों द्वारा समर्थित है तथा देश में वैज्ञानिक विकासकी आवश्यकता के हर पक्ष को संबोधित करता है।