500 शहरों में सफाई कार्यों के मशीनीकृत होने की घोषणा
मार्च 2024 तक सभी भारतीय शहर सफाई मित्र सुरक्षित हो जाएंगे
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के साथ ‘नमस्ते’ (नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम) योजना शुरू की
स्वच्छ भारत मिशन- शहरी 2.0 के तहत प्रत्येक ‘मैनहोल’ को ‘मशीन होल’ में बदलने के लिए शहर एवं राज्य प्रतिबद्ध
‘हमारे सफाई कर्मचारी, हमारे भाई बहन…सही मायने में इस अभियान के नायक हैं।’- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
आज शहरी भारत ने सभी सफाई कर्मचारियों (सफाईमित्रों) के लिए सुरक्षा, गरिमा और सलामती सुनिश्चित करने के लिए खुद को फिर से प्रतिबद्ध किया है। पहली बार देश भर के 500 शहरों ने खुद को ‘सफाई मित्र सुरक्षित शहर’ घोषित किया है। इन शहरों ने ऐसा करते हुए स्थापित किया है कि ये आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित संस्थागत क्षमता, जनशक्ति एवं उपकरण संबंधी मानदंड के लिहाज से पर्याप्तता हासिल करने में समर्थ हैं और सफाईमित्रों के लिए सुरक्षित काम करने की स्थिति उपलब्ध करा रहे हैं। इन 500 शहरों द्वारा की गई ‘सफाईमित्र सुरक्षित शहर’ की घोषणा स्वच्छ भारत मिशन- शहरी के स्थायी स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देने और प्रत्येक ‘मैनहोल’ को ‘मशीन होल’ में बदलने के लिए प्रोत्साहित करने संबंधी दीर्घावधि लक्ष्य के अनुरूप है।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के सचिव श्री मनोज जोशी और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेई) के सचिव श्री आर. सुब्रमण्यम ने संयुक्त रूप से इस वेबिनार की अध्यक्षता की। इसमें स्वच्छ भारत मिशन- शहरी के राज्य मिशन निदेशकों के अलावा अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) शहरों सहित इस अभियान मं शामिल प्रमुख शहरों के आयुक्तों ने भाग लिया।
श्री मनोज जोशी और श्री आर. सुब्रमण्यम ने राज्यों एवं शहरों को उनके प्रयासों के लिए बधाई देते हुए कहा कि सभी शहरों और राज्यों को ‘सफाईमित्र सुरक्षा’ के लिए प्रतिबद्ध रहने की आवश्यकता है। मशीनीकरण और कर्मचारियों की सुरक्षा की दिशा में जारी प्रयासों को गति देने के लिए दोनों मंत्रालयों ने संयुक्त रूप से ‘नमस्ते’ (नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सैनिटेशन इकोसिस्टम) योजना शुरू की है ताकि साफ-सफाई संबंधी कार्यों की पीढ़ीगत व्यवस्था को तोड़ते हुए पेशागत सुरक्षा बढ़ाने, सुरक्षा गियर एवं मशीनों तक पहुंच को बेहतर करने, कुशल मजदूरी के अवसर प्रदान करने और लगातार क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सके।
हाल में शुरू की गई ‘नमस्ते’ योजना के बारे में बात करते हुए श्री आर. सुब्रह्मण्यम ने सभी ‘सफाईमित्र सुरक्षा’ पहलों का नेतृत्व नगर निगमों को किए जाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के समर्थन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय परियोजना प्रबंधन इकाइयों (पीएमयू) की स्थापना में मदद करेगा जो विशेष संसाधनों एवं कुशल पेशेवरों से लैस होगी। आज 500 अमृत शहरों में से 128 ने खुद को ‘सफाईमित्र सुरक्षित शहर’ घोषित कर दिया है और कल सभी 500 ऐसे शहर बन जाएंगे। आप सभी से मेरा अनुरोध है कि इसे आगे बढ़ाएं और इसे साकार करें। साथ मिलकर काम करने से हम सफल अवश्य होंगे।’
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार सुश्री योगिता स्वरूप ने नमस्ते योजना के सिद्धांतों को प्रस्तुत किया। यह योजना सीवर/ सेप्टिक टैंक कर्मियों के सर्वेक्षण, कौशल एवं सफाई मित्रों के आश्रितों की मदद के लिए उद्यमिता कार्यक्रम, वैकल्पिक कामकाज करने के लिए क्षमता निर्माण, स्वच्छता से संबंधित वाहनों एवं उपकरणों की खरीद के लिए पूंजीगत सब्सिडी के साथ-साथ सफाईमित्रों को स्वास्थ्य बीमा से जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) की संयुक्त सचिव एवं स्वच्छ भारत मिशन- शहरी की मिशन निदेशक सुश्री रूपा मिश्रा ने इस वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय शहरों द्वारा खुद को ‘सफाईमित्र सुरक्षित’ घोषित करने के क्रम में तय की गई दशकों लंबी यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘सरकार स्वच्छता कार्य में शून्य मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साल 2019 में विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज को शुरू किया था जिसके जरिये हमने उन 100 लाइटहाउस शहरों की पहचान की जो स्वच्छता बुनियादी ढांचे एवं सुविधाओं के लिहाज से पूरी तरह सुसज्जित थे। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने सफाईमित्र सुरक्षित शहर के लिए एक प्रोटोकॉल भी उपलब्ध कराया है। राज्यों ने जिला स्तर पर जिम्मेदार स्वच्छता प्राधिकरणों (आरएएस) एवं आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयों (ईएसआरयू) की भी स्थापना की है और अब सफाइमित्रों के प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण को प्राथमिकता दे रहे हैं। हमें इस मोड़ पर आने में 75 साल लग गए लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने की बाध्यता के साथ हरेक कार्य की शुरुआत अच्छी तरह से की गई है। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि सभी भारतीय शहर मार्च 2024 तक खुद को ‘सफाईमित्र सुरक्षित’ घोषित करें।’
सौ लाइटहाउस शहरों में से 94 ने खुद को सफाईमित्र सुरक्षित घोषित किया है। इनके अलावा 406 अन्य शहरों ने भी इसे जारी रखते हुए खुद को घोषित किया है। इन शहरों की स्वघोषणा के बाद शहर के स्थानीय राजनीतिक नेतृत्व द्वारा सत्यापन किया जाएगा और उसके बाद आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय उनके सत्यापन के लिए एक स्वतंत्र तीसरे पक्ष की एजेंसी से संपर्क करेगा।
श्री मनोज जोशी ने गणमान्य व्यक्तियों के साथ नेशनल फेकल स्लज एंड सेप्टेज मैनेजमेंट (एनएफएसएसएम) अलायंस की मदद से तैयार तीन संग्रहों का विमोचन भी किया। इनके शीर्षक थे: ‘लाइटहाउस सिटीज: सफाईमित्र सुरक्षा की मिसाल’, ‘बेस्ट प्रैक्टिसेज फ्रॉम इंडिया सिटीज: सफाईमित्र सुरक्षा और सम्मान’ और ‘सफाईमित्र स्पीक: बदलाव की कहानी’।
जमशेदपुर, देवास, तिरुपति और भुवनेश्वर जैसे शहरों ने अपने शहर को ‘सफाईमित्र सुरक्षित’ बनाने के अनुभव साझा किए। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के विशेष अधिकारी श्री संजय कुमार ने कर्मियों की सुरक्षा के प्रति जमशेदपुर (झारखंड) की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। शहर ने सीवर होल की विभिन्न गहराई पर ऑक्सीजन की उपलब्धता के आकलन के लिए एक निरीक्षण कार्यक्रम का भी आयोजन किया था। इसके तहत सीवर होल की मैनुअल सफाई प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता का अध्ययन करने के साथ-साथ विभिन्न अंतराल पर अलग-अलग सीवरों की सफाई की आवश्यकता का भी आकलन किया गया। शहर ने सफाईमित्रों की नियमित स्वास्थ्य जांच, सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं मैनुअल सफाई के प्रति नागरिकों में जागरूकता अभियान के साथ मैनहोल को मशीन होल में बदलने की दिशा में ठोस प्रयास किए हैं।
देवास नगर निगम (मध्य प्रदेश) के कमिश्नर श्री विशाल सिंह ने संस्थागत उन्नयन, कौशल निर्माण, नागरिक जागरूकता एवं समग्र परिवेश के उन्नयन के लिए अपनाई गई चार स्तरीय रणनीति के बारे में बताया। शहर ने सीवर सफाई टीम में तकनीकी पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया, क्वालिटी एश्योरेंस इंजीनियरों की उपलब्धता सुनिश्चित की, उपयुक्त उपकरण खरीदे और सीवरेज रखरखाव एजेंसी के साथ अस्थायी कर्मियों को भी एकीकृत किया। देवास ने खुद को ‘सफाईमित्र सुरक्षित शहर’ घोषित कर दिया है।
भुवनेश्वर नगर निगम के कमिश्नर श्री विजय अमृत कुलंगे ने सफाईमित्रों के कल्याण पर केंद्रित ‘गरिमा’ योजना के प्रभाव पर प्रकाश डाला। इस योजना के तहत सफाईमित्रों को ग्रेड 1 (अत्यधिक कुशल) और ग्रेड 2 (कुशल) श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इनमें से प्रत्येक की गतिविधियां एवं शुल्क दरें अलग-अलग हैं। यह योजना सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करती है और सफाईमित्रों को विशिष्ट पहचान पत्र भी वितरित करती है। गरिमा गृह भी स्थापित किए गए हैं जहां सफाईमित्रों के आराम के लिए व्यक्तिगत लॉकर, वाशरूम और लाउंज हैं।
तिरुपति के डिप्टी कमिश्नर श्री चंद्रमौलिश्वर रेड्डी ने बताया कि मशीनीकृत सफाई के लिए 96 सफाईमित्रों की एक समर्पित टीम को प्रशिक्षित किया गया है। शहर पिछले एक साल में बड़े पैमाने पर मशीनीकृत उपकरणों की खरीदारी के साथ उनका समर्थन कर रहा है। सभी वाहनों को ट्रैक करने के लिए जियो-टैग किया गया है। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि कचरे को उपचार के लिए फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट में लाया जाए। इसके अलावा निगम द्वारा संचालित एक एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र स्थापित किया गया है ताकि खतरनाक प्रथाओं को रोकने में मदद मिल सके।
अहमदाबाद से श्री जितेंद्र कुमार, चंडीगढ़ से श्री सुभाष, गया से श्री आकाश राम और नवी मुंबई से श्री राजेश राव जैसे सफाईमित्रों ने स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने के अपने अनुभवों को दर्शकों के साथ साझा किया। उन्होंने अपने-अपने शहरों में काम करने की स्थिति में हुए सुधार के बारे में बताया और सफाईमित्रों के लिए एक सुरक्षित कामकाजी परिवेश तैयार करने के लिए संबंधित नगर निगमों की सराहना की।
सफाईमित्र सुरक्षा को मजबूत करने के लिए काम करने वाले संगठनों जैसे अर्बन मैनेजमेंट सेंटर (यूएमसी), काम-अविदा, दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डीआईसीसीआई) ने अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में प्रस्तुतियां दीं।