आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पारंपरिक चिकित्सा पर एससीओ के पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और एक्सपो का उद्घाटन किया
डब्ल्यूएचओ - ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, सदस्य देशों को पारंपरिक चिकित्सा की शिक्षा और पारंपरिक दवाओं की कार्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए अपने देशों में सक्षम कदम उठाने में मदद करेगा- श्री सर्बानंद सोनोवाल
केन्द्रीय आयुष और बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री, सर्बानंद सोनोवाल ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत पारंपरिक चिकित्सा पर पहले बी2बी वैश्विक सम्मेलन और एक्सपो का आज गुवाहाटी में उद्घाटन किया। 17 एससीओ (4 वर्चुअली) देशों और भागीदारों के 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने उद्घाटन समारोह में भाग लिया। श्री सोनोवाल ने आज यहां इसी परिसर में पारंपरिक चिकित्सा पर चार दिवसीय एक्सपो का भी उद्घाटन किया।
अपने उद्घाटन भाषण में, केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “भारत ने लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के साथ-साथ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों के जरिये उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का पारंपरिक वैश्विक चिकित्सा (डब्ल्यूएचओ-जीसीटीएम) केन्द्र भारत के सहयोग से जामनगर में स्थापित किया जा रहा है, जो सदस्य देशों को पारंपरिक चिकित्सा की शिक्षा और कार्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए अपने-अपने देशों में सक्षम कदम उठाने में मदद करेगा।”
उद्घाटन समारोह में अन्य लोगों के अलावा केन्द्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री, डॉ. महेन्द्रभाई मुंजपारा, म्यांमार के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. थेट खिंग विन, मालदीव के उप स्वास्थ्य मंत्री, साफिया मोहम्मद सईद और आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा शामिल हुए।
अपने संबोधन में, केन्द्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री, डॉ महेंद्रभाई मुंजपारा ने कहा, “भारत ने शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी (आयुष) की कार्य प्रणालियों पर विशेष ध्यान दिया है। आयुष उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई नियामक प्रावधानों के साथ-साथ मान्यता तंत्र मौजूद हैं। भारत ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति को एकीकृत करने के लिए देश की “संपूर्णात्मक चिकित्सा नीति” विकसित करने का बीड़ा उठाया है, जबकि उनका प्रशिक्षण, अनुसंधान और सुरक्षा सुनिश्चित किया है।”
म्यांमार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. थेट खिंग विन ने कहा, “म्यांमार में पारंपरिक दवाओं को एक अमूल्य राष्ट्रीय विरासत माना जाता रहा है, हमारी संस्कृति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। पारंपरिक दवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए हम हर तरह से पारंपरिक दवाओं के विकास में सहयोग कर रहे हैं।”
मालदीव की उप स्वास्थ्य मंत्री साफिया मोहम्मद सईद ने बताया कि किस प्रकार खासकर विकासशील देशों में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पारंपरिक दवाएं लाखों लोगों के लिए आय का मुख्य स्रोत हुआ करती थीं। उन्होंने सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि वर्तमान में उद्योग की सहायता करने के लिए हमारे पास कानूनी ढांचे और दिशानिर्देशों की कमी है।
इस कार्यक्रम में भारत सहित 17 देशों के 150 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जिसमें उच्च स्तरीय प्रतिनिधि जैसे स्वास्थ्य मंत्री, आधिकारिक प्रतिनिधि और एससीओ और भागीदार देशों के विदेशी खरीदार शामिल हैं। 13 देशों के कुल 75 विदेशी अधिकारी और व्यापार प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। चीन, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान के सरकारी प्रतिनिधि वर्चुअली शामिल हुए हैं।
दो दिवसीय सम्मेलन में एससीओ और भागीदार देशों से फार्माकोपिया, गुणवत्ता आश्वासन और अनुसंधान, हर्बल अर्क, न्यूट्रास्यूटिकल्स आदि सहित पारंपरिक चिकित्सा उत्पादों और प्रथाओं के विनियामक ढांचे पर निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं से विस्तृत प्रस्तुतीकरण और विचार-विमर्श होगा और पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी कार्य होंगे। विशिष्ट उत्पाद-वार, निर्यात और आयात के अवसरों पर चर्चा करने और एससीओ देशों में बढ़ी हुई बाजार पहुंच के साथ गहन आर्थिक साझेदारी के लिए ‘अपने खरीदार को जानें’ और ‘बी2बी बैठक’ जैसे महत्वपूर्ण सत्रों की भी योजना बनाई गई है।
पारंपरिक चिकित्सा पर चार दिवसीय एक्सपो का भी उद्घाटन किया गया। आयुष उद्योग के साथ-साथ विदेशी पारंपरिक चिकित्सा उद्योग/निर्यातक/आयातक भी एक्सपो में अपने उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन कर रहे हैं। आयुष संस्थानों/परिषदों ने अपनी उपलब्धियों का प्रदर्शन करने के लिए मंडप में स्टॉल लगाए हैं।