भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर बोले बराक ओबामा, अगर मै राष्ट्रपति होता तो…
नई दिल्ली, 24जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर गए हुए हैं. गुरुवार (22 जून) को उनका व्हाइट हाउस में भव्य स्वागत किया गया. उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की. इसी बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बड़ा बयान दिया. जिसे लेकर कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी पर निशाना भी साधा.
बराक ओबामा ने गुरुवार को न्यूज़ चैनल सीएनएन से कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी बैठक के दौरान बहुसंख्यक हिंदू भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर मैं राष्ट्रपति होता और प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत करता, जिन्हें मैं अच्छी तरह से जानता हूं, तो मेरा एक तर्क ये होता कि यदि आप भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं करते हैं, तो इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत अलग-थलग पड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि जब बड़े आंतरिक झगड़े होने लगते हैं तो क्या होता है. ये न केवल मुस्लिम बल्कि हिंदुओं के हितों के भी विपरीत होगा. मुझे लगता है कि इन चीजों के बारे में ईमानदारी से बात करने में सक्षम होना महत्वपूर्ण है. बता दें कि, बराक ओबामा ने अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर 2014 और 2016 में पीएम मोदी की मेजबानी की थी. वहीं पीएम मोदी ने जनवरी 2015 में दिल्ली में बराक ओबामा की मेजबानी की थी जब वे भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे.
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे पर पीएम मोदी का बयान
द्विपक्षीय बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी से एक पत्रकार ने भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सवाल किया जिस पर उन्होंने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि आप कह रहे हैं कि लोग कहते हैं कि भारत लोकतांत्रिक है. लोग कहते हैं नहीं बल्कि भारत लोकतांत्रिक है. जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है.
पीएम ने कहा कि लोकतंत्र हमारी रगो में है, लोकतंत्र को हम जीते हैं. हमारे पूर्वजों ने उसे शब्दों में डाला है. हमारा संविधान और हमारी सरकार और हमने सिद्ध किया है कि डेमोक्रेसी कैन डिलीवर जब मैं डिलीवरी कहता हूं तब जाति, पंथ, धर्म किसी भी तरह के भेदभाव की वहां पर जगह नहीं होती है. जब आप लोकतंत्र कहते हैं तो पक्षपात का कोई सवाल ही नहीं उठता है.