क्षमता निर्माण आयोग और पीएसए कार्यालय ने राज्यों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षमता-निर्माण के तंत्र पर विचार-विमर्श करने के लिए राज्यों के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभागों के साथ बैठक की

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भविष्य के आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए; अनुसंधान संस्थानों, सरकार और उद्योग-जगत को एक इकाई के रूप में काम करने की आवश्यकता है, ताकि नागरिकों को नई तकनीकों की सुविधा उपलब्ध करायी जा सके। माननीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की दूरदर्शिता से प्रेरित होकर, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, राज्य-स्तरीय विभागों तक पहुंच बना रहे हैं;ताकि सरकार,उद्योगऔर शिक्षाजगत के सभी स्तरों पर संपर्क स्थापित किया जा सके।

क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय ने सभी राज्यों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभागों एवं परिषदों के साथ नए युग की प्रौद्योगिकियों, प्रक्रिया सुधार, पुनः प्रशिक्षण या उन्नत प्रशिक्षण और मानव संसाधन विकास संबंधी कार्य-दक्षता की आवश्यकता पर चर्चा करने के लिए संयुक्त रूप से एक वर्चुअल सत्र का आयोजन किया। सत्र 9 फरवरी, 2022 को 1440 बजे से 1715 बजे तक आयोजित किया गया।

यह सत्र; केंद्र और राज्य स्तर के विज्ञान संस्थानों के बीच कार्य निष्पादन और एक मजबूत सहयोगी तंत्र, दोनों के डिजाइन और सुधार की दिशा में पहला कदम है। इसके अलावा, एक समर्पित विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार क्षमता निर्माण प्रकोष्ठ (पीएसए / सीबीसी के कार्यालय में) स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य सरकारी कार्य निष्पादन में प्रौद्योगिकी अपनाने में आ रही मौजूदा बाधाओं को दूर करना, अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में उद्योग की भागीदारी को बढ़ावा देना और भविष्य की प्रौद्योगिकियों को ध्यान में रखते हुए मानव संसाधन की क्षमता के निर्माण मेंराज्यों को समर्थन देना है।

सत्र की शुरुआत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता के उद्घाटन भाषण से हुई।डॉ गुप्ता ने कहा,”सुदूर स्थानों की समस्याओं को हल करने के प्रयास बहुत जरूरी हैं, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) इकोसिस्टम को मजबूत करना तथा राष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का एक स्पष्ट उद्देश्य बेहद जरूरी है। राज्य स्तरीय एसटीआई नीति, सहयोगात्मक प्रयासों के लिए अनुकूल वातावरण का भरोसा देती है।“

भारत सरकार के पीएसए कार्यालय के प्रतिष्ठित पीएसए फेलो और सीबी-एसटीआई सेल के प्रमुख,डॉ. अरबिंद मित्रा ने उभरते भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिदृश्य को और बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और संस्थानों को शामिल करते हुए क्षमता निर्माण में एक सुसंगत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “राज्यों को महामारी जैसी स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से जुड़ने और सशक्त बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान समय एक सुसंगत दृष्टिकोण की मांग करता है। आत्मनिर्भर भारत को साकार करने के लिए नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करने के क्रम में प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचार बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत और इसके राज्य एक फलते-फूलते स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा दे रहे हैं और इसका सर्वोत्तम उपयोग करने की आवश्यकता है।”

श्री हेमंग जानी, सचिव, सीबीसी ने क्षेत्रीय चुनौतियों को हल करने के क्रम में राज्यों और उनके संसाधनों के बीच तालमेल का पता लगाने व भारत में नवाचार विनिमय के लिए तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर अपने विचार साझा किए, ताकि तंत्र के द्वारा समाधानों को बेहतर तरीके से समझा जा सके एवं इनका त्वरित अनुप्रयोगकिया जा सके। श्री जानी ने कहा, “एसटीआई इकोसिस्टम शिक्षा और उद्यम जैसे विभिन्न हितधारकों का एक टीम-वर्क है। साथ मिलकर, इकोसिस्टम किसी भी प्रौद्योगिकी के जीवन-चक्र में विकास के विभिन्न चरणों का समर्थन करता है। केंद्र और राज्य सरकारों के विज्ञान विभागों को एक मंच पर लाना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की दिशा में हमेशा के लिए सबसे अच्छा कदम हो सकता है।“

26 राज्यों के प्रतिनिधियों ने इस सहयोगात्मक प्रयास और उनकी क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं और वांछित तकनीकी हस्तक्षेप संबंधी अपनी अपेक्षाओं को प्रस्तुत किया। क्षेत्र आधारित राज्य-स्तरीय चुनौतियों में कृषि में प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, चक्रीय अर्थव्यवस्था, अपशिष्ट प्रबंधन, नैनो प्रौद्योगिकी आदि शामिल हैं।

समापन टिप्पणी प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रो के विजय राघवन ने दी, जिन्होंने कार्य बिंदुओं की सूची तैयार करने में सभी राज्यों के प्रयासों की सराहना की और आग्रह किया कि पूरे भारत के सुदूर क्षेत्रों में सेवा उपलब्ध कराने के लिए नवाचार का बेहतर उपयोग किया जाना चाहिए।उन्होंने जोर देकर कहा,“ठोस नीति निर्णयों को राज्य और राष्ट्रीय – दोनों स्तरों के डेटा पर निर्भर किये जाने की आवश्यकता है। इस तरह के संसाधन राष्ट्रीय मुद्दों को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं और पीएसए का कार्यालयतथा सीबीसी को पूरे भारत में जमीनी हकीकत को समझने के लिए और अधिक चर्चा करने की आवश्यकता है।“

क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) – क्षमता निर्माण आयोग की स्थापना सभी सरकारी कार्यालयों व प्रशिक्षण संस्थानों के समन्वय और पर्यवेक्षण; योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन तथा शासन में सुधार के लिए साझा संसाधन का निर्माण करने के लिए की गई है।यह सहयोगी और आपस में साझा करने के आधार पर क्षमता-निर्माण इकोसिस्टम के प्रबंधन और विनियमन के लिए एक सुसंगत दृष्टिकोण भी सुनिश्चित करता है।

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