नई दिल्ली, 8जनवरी। बेंगलुरू में आयोजित तीन दिवसीय श्री अन्न एवं जैविक अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले का समापन समारोह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मान्यता दी थी। प्रधानमंत्री ने मिलेट्स को श्री अन्न नाम दिया और देश के साथ ही वैश्विक स्तर पर भी इसे पहुंचाया है। इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने के साथ ही उपभोग को प्रोत्साहित करने का अच्छा अवसर हमारे सामने हैं।
केंद्रीय मंत्री मुंडा ने कहा कि वैश्विक खाद्य-पोषण सुरक्षा के मामले में श्री अन्न महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। देश में प्राचीनकाल से इसका उपभोग होता रहा, छोटे-मझौले किसान इसे अपने लिए उगाते हुए आत्मनिर्भर रहे है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में श्री अन्न के मामले में अब जागरूकता बढ़ रही है और इसे बढ़ावा देने के लिए जो भी प्रयत्न हो सकते हैं, भारत सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि सभी राज्य इसमें भूमिका निभाएं, क्योंकि श्री अन्न अनेक समाधान प्रदान कर सकते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के साथ पानी की कमी, जलवायु संबंधी चुनौती के संदर्भ में श्री अन्न महत्वपूर्ण है। मृदा स्वास्थ्य भी श्री अन्न से बेहतर रहता है। आज दुनिया शाकाहार की तरफ लौट रही है, ऐसे में भी श्री अन्न का महत्व है। किसानों के साथ ही एफपीओ, स्टार्टअप्स, शैक्षणिक संस्थाएं आदि इसमें योगदान दें। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि भारत सरकार की कृषि अनुसंधान की संस्थाएं श्री अन्न को बढ़ावा दे रही है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च (आईआईएमआर) को वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र घोषित किया गया है। श्री अन्न की खपत बढ़ाने हेतु कई ठोस कदम उठाए गए है, जिसमें कर्नाटक सहित अन्य राज्य सहभागी है। अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार ने पीएम पोषण जैसी पहल के माध्यम से भी श्री अन्न का पौष्टिक आहार देना सुनिश्चित किया है। हम सबकी कोशिश यहीं होना चाहिए कि श्री अन्न का उत्पादन बढ़े, घरेलू उपभोग में वृद्धि हो एवं दुनिया में भी इसकी मांग सतत बढ़े, ताकि अंततः हमारे किसानों को इसका लाभ मिल सकें।
अर्जुन मुंडा ने कहा कि इसी तरह, जैविक खेती को भी भारत सरकार, राज्यों के सहयोग से बढ़ावा दे रही है, सरकार ने पहाड़ियों, द्वीपों, आदिवासी या रेगिस्तानी बेल्ट, जहां कृषि रसायनों का उपयोग न हुआ हो, को प्रमाणित करने के लिए वर्ष 2020-21 से बड़े क्षेत्र प्रमाणन कार्यक्रम की शुरूआत की है। इसके तहत अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 14,445 हेक्टेयर क्षेत्र, लद्दाख के 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र, लक्षद्वीप के 2700 हेक्टेयर क्षेत्र एवं सिक्किम में 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के प्रमाणीकरण के लिए सहयोग दिया है व किसानों को आगे बढ़ाने का काम किया गया है। अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस अभियान को राज्यों के स्तर पर आगे निरंतर बढ़ाया रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के लिए भी सरकार प्रयत्न कर रही है, जहां जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन में 1.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया है।
समारोह में कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, राज्य के कृषि मंत्री चालुवराय स्वामी व राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा व विधायकों सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी, किसान मौजूद थे।