शहरव्यापी स्वच्छता समावेशी साफ-सफाई को बढ़ावा दे रही है और शहरी परिदृश्य में बदलाव ला रही है
नई दिल्ली, 23जूनस्वच्छ भारत मिशन ने टिकाऊ स्वच्छता समाधानों पर जोर दिया जिसकी वजह से स्वच्छता की स्थिति में सुधार आया। उच्च जनसंख्या घनत्व और शहरी विस्तार अपशिष्ट की विशाल मात्रा को प्रबंधित करने को और भी अधिक चुनौतीपूर्ण बना देता है। शहरव्यापी समावेशी स्वच्छता (सीडब्ल्यूआईएस) बढ़ते शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता चुनौतियों का सामना करने में सहायता करती है। यह शहरों में अधिक व्यापक, प्रभावी और टिकाऊ स्वच्छता सेवाओं को अर्जित करने के लिए वर्तमान स्वच्छता प्रौद्योगिकियों और अच्छी कार्यप्रणालियों का निर्माण करने में भी मदद करती है। सीडब्ल्यूआईएस दृष्टिकोण का परिणाम यह है कि शहरी क्षेत्र में हर किसी के पास पर्याप्त और टिकाऊ स्वच्छता सेवाओं तक पहुंच और लाभ है।
महिला केंद्रित एसएचजी और ट्रांसजेंडर समूहों को व्यापक तरीके से विकेंद्रीकृत ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन मूल्य श्रृंखला में समेकित किया गया है, जो स्वच्छता में प्रमुख सेवा प्रदाताओं के रूप में उभर रहे हैं। ओडिशा, केरल और अन्य राज्यों ने महिलाओं या ट्रांसजेंडर सदस्यों के नेतृत्व वाले स्थानीय स्वयं सहायता समूहों को सेवाएं सौंप दी हैं। ऐसे कमजोर समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले समुदाय-आधारित संगठनों की भागीदारी स्वच्छता समाधानों के कवरेज में सुधार लाने के लिए एक किफायती तरीका प्रस्तुत करती है, और एसएचजी को अपने सदस्यों के लिए आजीविका के अवसर उत्पन्न करने में भी मदद करती है।
ओडिशा में मिशन शक्ति स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) और आवासन एवं शहरी विकास विभाग (एच एंड यूडीडी) के बीच साझेदारी के परिणामस्वरूप राज्य में महिला एसएचजी और अन्य कमजोर समूहों को सशक्त बनाया गया। 2000 से अधिक स्वयं सहायता समूह अब मानकीकृत मानदंडों के अनुसार ठोस अपशिष्ट पृथक्करण, संग्रह और परिवहन, उपचार, पुन: उपयोग और निपटान में लगे हुए हैं। ये समूह अब सेवा वितरण और शहरी विकास कार्यक्रमों- ठोस अपशिष्ट से तरल अपशिष्ट प्रबंधन तक- की एक श्रृंखला में कार्यान्वयन भागीदारों के रूप में शामिल हैं। प्रमुख शहरी कार्यक्रमों में मिशन शक्ति एसएचजी को सुचारु रूप से और कुशलता से एकीकृत करने के लिए, यूएलबी के कार्यकर्ता नियमित रूप से सदस्यों को भाग लेने और अपने स्थानीय क्षेत्रों में शहरी स्वच्छता में योगदान करने के अवसर प्रदान करने के लिए प्रत्यनशील हैं। स्वच्छ पर्यवेक्षकों, स्वच्छसाथी के रूप में नियुक्त किए जाने के अतिरिक्त, वे बैटरी चालित वाहनों (बीओवी) और माइक्रो कंपोजिंग सेंटर (एमसीसी), माइक्रो रिकवरी फैसिलिटीज और कंसट्रक्शन एंड डिमोलिशन (सी एंड डी) अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों का प्रचालन और प्रबंधन भी कर रहे हैं।
उनके योगदान को स्वीकार करते हुए, भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) ने शहर में 7 सेसपूल वाहनों के परिचालन और रख-रखाव के लिए ट्रांसजेंडर समूह को भी शामिल किया है। वे प्रत्येक वाहन के लिए अधिकृत ड्राइवरों और सहायकों को किराए पर लेंगे, जिन्हें न्यूनतम लागू मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। बीएमसी सभी सेसपूल वाहन कर्मचारियों को स्वास्थ्य और स्वच्छता, डिस्लजिंग सेवा, पीपीई उपयोग और संबंधित प्रोटोकॉल के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करेगी।
महिला केंद्रित स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) भी शहरी स्वच्छता में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। उचित प्रशिक्षण और एक स्थायी वित्तीय मॉडल के साथ, तिरुचिरापल्ली में एसएचजी ने यह सिद्ध कर दिया है कि सामुदायिक महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करते हुए सभी के लिए स्वच्छता संभव है। तिरुचिरापल्ली में 400 से अधिक सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय हैं, जिनमें से लगभग दो-तिहाई महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं। तिरुचिरापल्ली में लगभग 400 सीटी हैं, जिनमें से लगभग 150 का प्रबंधन महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया जाता है, जो दो दशकों से अधिक समय से स्वच्छता सफाई शिक्षा (एसएचई) टीमों के रूप में आयोजित किए जाते हैं।
महाराष्ट्र में सीईपीटी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर वाटर एंड सैनिटेशन (सीडब्ल्यूएएस) की सहायता से सिन्नार नगर परिषद (एसएमसी) ने अपने सौर संचालित ग्रे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (जीडब्ल्यूटीपी) के प्रचालन और रख-रखाव के लिए स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को शामिल करने का निर्णय किया। एसएमसी ने इस संयंत्र को दैनिक आधार पर प्रचालित करने और रख-रखाव करने के साथ-साथ बगीचे के रखरखाव के लिए शोधित जल का पुन: उपयोग करने के लिए एक स्थानीय महिला एसएचजी भी नियुक्त किया है। इस पहल के साथ, एसएमसी न केवल अपने नए बनाए गए बुनियादी ढांचे को स्थायी तरीके से बनाए रखने में सक्षम हो रहा है, बल्कि महिलाओं के लिए सार्थक आजीविका के अवसर पैदा करके उन्हें सशक्त भी बना रहा है।