राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनिवार्य समग्र शिक्षा राम के साथ भारतीय ज्ञान प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रीय अखंडता, सामाजिक-सांस्कृतिक और संवैधानिक मूल्यों को सुनिश्चित करती है: प्रो एम.एम. गोयल
इंदौर, 6 फरवरी। “ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में अनिवार्य 360 डिग्री चार चतुर्थांशों में समग्र शिक्षा जिम्मेदारी, जवाबदेही और नैतिकता (आरएएम -राम ) के साथ भारतीय ज्ञान प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रीय अखंडता, सामाजिक-सांस्कृतिक और संवैधानिक मूल्यों को सुनिश्चित करती है।“ ये शब्द नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक एवं पूर्व कुलपति, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोयल ने कहे । वह यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर द्वारा आयोजित एनईपी ओरिएंटेशन एंड सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम (ऑनलाइन मोड) के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। उनका विषय ” समग्र शिक्षा हेतु नीडोनॉमिक्स की नीडो-एजुकेशन ” था । प्रो. नम्रता शर्मा निदेशक एमएमटीटीसी ने स्वागत भाषण दिया एवं प्रो एम.एम. गोयल की उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।
पूर्व वीसी डॉ. गोयल ने बताया कि समग्र शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तियों को नीडो-सॉल्यूशंस के साथ सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है।
प्रो. गोयल ने कहा कि समग्र शिक्षा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पर्याप्त बनाने हेतु हमें इसके कार्यान्वयन में चुनौतियों को कम करने के एक अच्छी तरह से परिभाषित सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मॉडल को अपनाना होगा।
उनका का मानना है कि दूसरों से सर्वश्रेष्ठ पाने के लिए हमें अपने शैक्षणिक प्रयासों में सर्वश्रेष्ठ से बेहतर देना होगा।
नीडोनोमिस्ट गोयल ने बताया कि समग्र शिक्षा के लिए हमें गीता आधारित विचार नीडोनोमिक्स को समझना और अपनाना होगा ।
प्रो. गोयल ने कहा कि सामान्य ज्ञान दृष्टिकोण के रूप में नीडोनोमिक्स की नीडो-शिक्षा समग्र शिक्षा
हेतु आवश्यक और पर्याप्त शर्त है।
प्रो. गोयल ने समझाया कि सहयोग के साथ शैक्षणिक नेतृत्व की एक नई कहानी लिखने के लिए हमें स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) वैश्विक नागरिक बनने हेतु साहसी और उत्साही होना चाहिए ।