उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसएस) की स्थापना को अधिसूचित किया

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यह योजना स्टार्टअप्स को कोलैटेरल मुक्त वित्त पोषण में सक्षम बनाते हुए ऋण देने वाली संस्थाओं के लिए एक मुख्य सक्षमकर्ता तथा जोखिम शमन उपाय के रूप में कार्य करेगी

वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा सेबी पंजीकृत वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) द्वारा दिए गए कर्ज को ऋण गारंटी प्रदान करने हेतु स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसएस) की स्थापना को अधिसूचित किया है।

सीजीएसएस का उद्वेश्य पात्र उधारकर्ताओं यानी स्टार्टअप्स को वित्तपोषित करने के लिए सदस्य संस्थानों (एमआई) द्वारा दिए गए ऋणों के लिए एक निर्धारित सीमा तक ऋण गारंटी प्रदान करना है जैसाकि डीपीआईआईटी द्वारा जारी राजपत्र अधिसूचना में निर्दिष्ट है और समय-समय पर संशोधित है। योजना के तहत कवर ऋण गारंटी लेनदेन आधारित तथा व्यक्तिगत देयता आधारित (अंब्रेला) होगा। अलग अलग मामलों में एक्सपोजर की अधिकतम सीमा प्रति केस 10 करोड़ रुपये या वास्तविक बकाया ऋण राशि, जो भी कम हो, होगी।

लेनदेन आधारित गारंटी कवर के संबंध में, गारंटी कवर एकल पात्र उधारकर्ता आधार पर एमआई द्वारा प्राप्त किया जाता है। लेनदेन आधारित गारंटी पात्र स्टार्टअप्स को बैंकों/ एनबीएफसी द्वारा उधारी को बढ़ावा देगी। लेनदेन आधारित गारंटी कवर की सीमा डिफॉल्ट की गई राशि का 80 प्रतिशत होगी अगर मूल ऋण स्वीकृति 3 करोड़ रुपये तक है, डिफॉल्ट की गई राशि का 75 प्रतिशत होगी अगर मूल ऋण स्वीकृति 3 करोड़ रुपये से अधिक है और 5 करोड़ रुपये तक है, तथा डिफॉल्ट की गई राशि का 65 प्रतिशत होगी अगर मूल ऋण स्वीकृति 5 करोड़ रुपये से अधिक (प्रति उधारकर्ता 10 करोड़ रुपये तक) है।

व्यक्तिगत देयता आधारित (अंब्रेला) गारंटी कवर सेबी (भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में वित्तपोषण का एक बढ़ता खंड) के एआईएफ नियमों के तहत पंजीकृत वेंचर डेट फंड (वीडीएफ) को, उनके द्वारा जुटाए गए फंड की प्रकृति तथा उनके द्वारा प्रदान की गई डेट फंडिंग को देखते हुए गारंटी प्रदान करेगा। अंब्रेला आधारित कवर की सीमा वास्तविक नुकसान या पूल किए गए निवेश, जिस पर पात्र स्टार्टअप्स में फंड से कवर लिया जा रहा है, के अधिकतम पांच प्रतिशत तक, जो भी कम हो, होगी जो प्रति उधारकर्ता अधिकतम 10 करोड़ रुपये के अध्यधीन होगी।

योजना को प्रचालनगत करने के लिए सस्थागत तंत्रों के साथ साथ, डीपीआईआईटी योजना की समीक्षा, पर्यवेक्षण और प्रचालन निरीक्षण के लिए एक प्रबंधन समिति (एमसी) तथा एक जोखिम मूल्यांकन समिति (आरईसी) का गठन करेगी। नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) इस योजना का प्रचालन करेगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में एक गतिशील स्टार्टअप इको सिस्टम का सृजन करने के लिए परिकल्पित सरकारी सहायता, योजनाओं तथा प्रोत्साहनों की नींव रखने के लिए 16 जनवरी, 2016 को स्टार्टअप इंडिया कार्य योजना का शुभारंभ किया। इस कार्य योजना में नवोन्मेषकों को ऋण के माध्यम से उद्यमशीलता को उत्प्रेरित करने के लिए तथास्टार्टअप्स को वेंचर ऋण प्रदान करने के लिए इकोसिस्टम में बैंकों एवं अन्य सदस्य संस्थानों को प्रोत्साहित करने के लिए एक क्रेडिट गारंटी योजना की परिकल्पना की गई थी।

डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स के लिए एक समर्पित क्रेडिट गारंटी संपाश्र्विक मुक्त ऋण की अनुपलब्धता के मुद्दे का समाधान करेगी तथा नवोन्मेषी स्टार्टअप्स को एक पूर्ण व्यवसायिक कंपनी बनने की उनकी यात्रा के माध्यम से वित्तीय सहायता के प्रवाह में सक्षम बनाएंगी। यह योजना भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए नवोन्मेषण को बढ़ावा देने तथा उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने की दिशा में सरकार के प्रयासों को दुहराती है।

भारतीय स्टार्टअप्स के लिए घरेलू पूंजी जुटाने के उद्वेश्य से, सीजीएसएस स्टार्टअप इंडिया पहल यानी स्टार्टअप्स के लिए फंडों का फंड तथा स्टार्टअप इंडिया फंड योजना के तहत विद्यमान योजनाओं का पूरक होगा।

सीजीएसएस की रूपरेखा समनुरुप मंत्रालयों, बैंकों, एनबीएफसी, वेंचर डेट फंडों, शिक्षा क्षेत्र तथा स्टार्टअप इकोसिस्टम के विशेषज्ञों के साथ पिछले वर्षों में हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के साथ तैयार की गई है।

यह योजना स्टार्टअप्स को कोलैटेरल मुक्त वित्त पोषण में सक्षम बनाते हुए ऋण देने वाली संस्थाओं के लिए एक मुख्य सक्षमकर्ता तथा जोखिम शमन उपाय के रूप में कार्य करेगी।

 

 

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