आरपीएफ का लंबित वारंटों के निष्पादन के लिए 01.10.2022 से 31.10.2022 तक, महीने भर का पूरे देश में अभियान
अभियान के दौरान 289 मामलों के 319 अपराधियों को, जो कानूनी प्रक्रिया से बच रहे थे, गिरफ्तार कर संबंधित अदालतों में पेश किया गया
इसमें 52 ऐसे अपराधी शामिल हैं, जो पिछले 10 से 15 साल से फरार थे
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को रेलवे संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है और इसे सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। रेलवे संपत्ति की चोरी के मामले आरपीएफ द्वारा आरपी (यूपी) अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज किए जाते हैं और पूछताछ की जाती है। इसके बाद चोरी की गई रेलवे संपत्ति की खोज और रिकवरी की जाती है तथा अपराधियों की गिरफ्तारी की जाती है / मुकदमा चलाया जाता है। बल ने रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत अभियोजन भी शुरू किया है। जांच और परीक्षण के दौरान, अपराधियों / अभियुक्तों के खिलाफ, जो गिरफ्तारी से बचते रहे हैं, गिरफ्तारी के वारंट निचली अदालतों द्वारा जारी किए जाते हैं और उन्हें अदालत के समक्ष पेश किया जाता है। वारंट के निष्पादन में या अभियुक्तों की गिरफ्तारी में देरी से, मामलों के निष्पादन में विलम्ब होता है, जिससे न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन एजेंसी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और न्याय प्रशासन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वारंट का शीघ्र निष्पादन सुनिश्चित करने और अदालत के समक्ष भगोड़े/आरोपी व्यक्तियों को पेश करने के लिए, वारंट के निष्पादन पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय रेलवे में 01.10.2022 से 31.10.2022 तक, एक महीने का अखिल भारतीय अभियान चलाया गया।
अभियान के दौरान, 289 मामलों के 319 अपराधियों को, जो कानून की प्रक्रिया से बच रहे थे, गिरफ्तार किया गया और संबंधित अदालतों के समक्ष पेश किया गया। इनमें 52 ऐसे अपराधी शामिल थे, जो पिछले 10 से 15 साल से फरार थे।
आरपीएफ की क्षेत्रीय व्यवस्था, भविष्य में भी इसी भावना के साथ वारंट का निष्पादन जारी रखेगी।