सरकार भारत की विशाल सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध : श्री जी. किशन रेड्डी

संगीत नाटक अकादमी ने गुरु-शिष्य परंपरा और अनुभवी कलाकारों के सम्मान में 'कला-दीक्षा' का आयोजन किया

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केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्‍तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा, संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती उमा नंदूरी और विभिन्न मंत्रालयों के साथ-साथ संगीत नाटक अकादमी के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में विभिन्न कला विधाओं के जाने माने कलाकारों ने आज नई दिल्ली के रवीन्द्र भवन में संगीत नाटक अकादमी में आयोजित एक विशेष समारोह में विलुप्त होने के कगार पर मौजूद दुर्लभ प्रदर्शन कला रुपों के 100 प्रशिक्षण कार्यक्रम औपचारिक रूप से शुरू किए। इस विशेष कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देश भर से कई गुरुओं और प्रशिक्षकों को आमंत्रित किया गया था।

इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का शुभारंभ प्रधानमंत्री के पंच प्रणों में से एक को पूरा करने, अर्थात् हमारी जड़ों पर गर्व करने की दिशा में संगीत नाटक अकादमी की एक पहल है। ‘कला दीक्षा’ के नाम से ये प्रशिक्षण कार्यक्रम गुरु-शिष्य परंपरा योजना के तहत देश के दुर्लभ और लुप्त हो रही प्रदर्शन कला रूपों के जाने माने गुरुओं और विशेषज्ञों के तहत आयोजित किए जाएंगे।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री रेड्डी ने कहा कि सरकार भारत की विशाल अथाह मूल्यवान सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रचार के लिए प्रतिबद्ध है और इन अमूर्त कला रूपों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रसारित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं। कलाकारों को संबोधित करते हुए संस्कृति मंत्री ने देश के सभी लुप्तप्राय प्रदर्शन कला रूपों के पुनरुद्धार के लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के पूर्ण समर्थन और सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कलाकारों से कला और कलाकारों की बेहतरी के लिए अपने सुझाव संस्कृति मंत्रालय को भेजने का भी अनुरोध किया।

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