जिन राज्यों में हिंदुओं की संख्या कम है, वहाँ की सरकारें उन्हें अल्पसंख्यकों का दर्जा दे सकती हैं : केंद्र सरकार
नई दिल्ली, 18अप्रैल।भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जिन राज्यों में हिंदुओं की संख्या कम है वहाँ की सरकारें उन्हें अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं.
केंद्र ने कहा है कि ऐसा होने की स्थिति में हिंदू इन राज्यों में, अपने अल्पसंख्यक संस्थान स्थापित और संचालित कर सकते हैं.
केंद्र ने बताया कि जैसे महाराष्ट्र ने 2016 में यहूदियों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिया था वैसे ही राज्य, धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकते हैं. कर्नाटक ने भी उर्दू, तेलुगू, तमिल, मलयालम, मराठी,तुलु, लमानी, हिंदी, कोंकणी और गुजराती को अपने राज्य में अल्पसंख्यक भाषाओं का दर्ज दिया है.
केंद्र ने कहा, “राज्य सरकारें ऐसे समुदायों के संस्थानों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दे सकती हैं.”
केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाख़िल कर ये जानकारी दी है.
ये हलफ़नामा एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय की उस याचिका के बाद दायर किया गया है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि लदाख, मिज़ोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल, पंजाब और मणिपुर में यहूदी, बहाई और हिंदू धर्म के लोग अपने संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थान के तौर पर संचालित नहीं कर सकते.
28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की सुनवाई दस मई के लिए टाल दी है. अब अदालत 10 मई को इस मामले को सुनेगी.
केंद्र सरकार ने हलफ़नामें में लिखा, “इन राज्यों में वे अपने शिक्षण संस्थानों को स्थापित और संचालित कर सकते हैं. अल्पसंख्यक के तौर पर पहचान के विषय में संबंधित राज्य फ़ैसला कर सकते हैं.”
केंद्र सरकार ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन का मकसद अल्पसंख्यकों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए किय गया था ताकि हर नागरिक राष्ट्र निर्माण में हिस्सा ले सके.