गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: सीएम मान और गवर्नर पुरोहित में मतभेद
पंजाब के कई यूनिवर्सिटीज में वाईस -चांसलर्स की नियुक्ति को लेकर सीएम मान और गवर्नर पुरोहित में मतभेद – यह मतभेद हरियाणा में भी होते रहे है।
तपासे का पतासा और मंडल का कमंडल। धर्मवीर से वर्तमान महामहिम बंडारू दत्तात्रेय तक की कहानी।
हरियाणा के मौजूदा राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मधुर संबंध है। वैसे वे भले है। पत्रकारों का बहुत सम्मान करते है। लेकिन पिछले महामहिम जनाब सोलंकी से थोड़ी खटपट रहती थी जो पर्दे के पीछे ही रहती थी। चीफ मिनसिटर रहे देवीलाल की कई गवर्नर्स से खेंचतान रही। भजन लाल तो हर गवर्नर को फिट रखते थे।ओमप्रकाश चौटाला की तत्कालीन गवर्नर परमानंद से थोड़ी खेंचतान रहती थी। बंसीलाल की तो तत्कालीन गवर्नर बीएन चकर्वर्ती से काफी गहरी छनती थी।
बंसीलाल ने उनके नाम पर करनाल में लेक का नाम चक्रवर्ती लेक रखा जिसे देवीलाल ने मुख्यमंत्री बनने के बाद कर्ण लेक बना दिया। रोहतक में इंदिरा चक्रवर्ती कॉलेज भी है।
भूपिंदर हूडा भी लाट साहिब जगन्नाथ पहाड़िया को खुश रखते थे।
वैसे हूडा चाह कर भी पहाड़िया के कहने पर भगवत दयाल शर्मा हेल्थ यूनिवर्सिटी रोहतक में उनका एक काम नहीं करवा पाए।पहाड़िया साहिब नियमो की उलंघना कर विवाद में फंसे किसी एम बी बी एस सूडेन्ट का कही और माइग्रेशन करवाना चाहते थे। हूडा ने यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाईस -चांसलर ‘गुस्ताखी माफ़ हरियाणा के जागरूक पाठक ‘, डॉक्टर सांगवान को कहा लेकिन सांगवान साहिब ने हूडा को कह दिया की इसके लिए मुझे अपनी आत्मा मारनी पड़ेगी। यह हूडा का बड़ापन की उन्होंने सांगवान पर दवाब नहीं बनाया।
गवर्नर गणपति देव तपासे और धनिक लाल मंडल से तो देवीलाल काफी खफा थे.
आई बी के डायरेक्टर रहे बरारी साहिब से भी देवीलाल खफा थे। देवीलाल को लगता था की बरारी को केंद्र सरकार ने उनकी जासूसी के लिए लगाया है।
गणपति देव तपासे
दोनों का नाम सुनकर देवीलाल के बाल खड़े हो जाते थे। बकौल देवीलाल देवीलाल दोनों ने उन्हें गहरे जख्म दिए है।
१९८२ स्टेट असेंबली चुनाव में देवीलाल के लोकदल और जनसंघ को बहुमत मिला था और तपासे ने देवीलाल को अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए राजभवन बुला लिया था। इसी बीच उन्होंने इंदिरा गाँधी के दवाब में कांग्रेस विधायकदल के नेता भजन लाल जिनके पास विधायकों का बहुमत भी नहीं था को चीफ मिनसिटर पद की शपथ दिला दी और अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए एक महीने का समय दे दिया। भजन लाल ने लोकदल और आज़ाद विधायकों को पटा बहुमत साबित कर दिया। देवीलाल ने तपासे को फ़ोन किया तो वो घबरा गया और कहलवा दिया की पूजा कर रहा हूँ। देवीलाल ने कहा की बेईमान भगवान को देखा देता है और देवीलाल राजभवन चले गए और तपासे से उलझ गए। देवीलाल के भगत जोगिंदर हूडा ने फरीदाबाद में एकसमारोह में तपासे का मुँह भी काला कर दिया था।
अब चर्चा मंडल की
देवीलाल कहते थे की ये सुसरा मंडल भी आंख दिखा गया। बकौल देवीलाल मंडल को उन्होंने हरियाणा का गवर्नर बनाया था। तब मंडल देवीलाल के चेले होते थे लेकिन बाद में अनबन हो गई। हिसार में एक सभा में देवीलाल ने कहा था कि मंडल बेरोजगार था और मेरे पास आकर कहने लगा की मेरी नौकरी लगवा दो। मेने गवर्नर बनवा दिया। १९९१ में मंडल के रहते हुए हरियाणा असेंबली के चुनाव में देवीलाल, मंडल से काफी खफा हो गए था। मंडल ने असेंबली भंग करके ओमप्रकाश चौटाला को वर्किंग चीफ मिनिस्टर रहने की सिफारिश नहीं मानी थी। तब चुनाव इतने निष्पक्ष हुए की देशभर में मंडल की सराहना हुई और चौटाला और तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने मंडल पर गंभीर आरोप लगाए थे।
करीब दो दशक पहले जब में तत्कालीन गवर्नर महावीर प्रसाद को अपनी किताब ” हरियाणा के लालो के सबरंग किस्से देने गया तो उन्होंने पूछा कि किताब में मेरे बारे तो नहीं लिखा. मैंने जवाब दिया के जब किताब लिखी तब आप गवर्नर नहीं थे। अगर कोई गलत काम करेंगे तो अगले एडिशन में लिख दूंगा। तब उन्होंने कहा था की में कोई गलत काम नहीं करूंगा और आप मेरे खिलाफ नहीं लिखना।
हरियाणा के यह लाल भी दूसरे राज्यों में
भाजपा नेता गणेशी लाल ओडिशा के गवर्नर है। पहले पंडित भगवत दयाल शर्मा भी रहे। आचार्य देवव्रत गुजरात और हिमाचल के गवर्नर है।
चंद्रावती पुडुचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर रही और सुल्तान सिंह त्रिपुरा के गवर्नर। स्वरूप सिंह भी गवर्नर रहे।
आर एस नरूला ,जयसुखलाल हाथी ,हरचरण बराड़ ,जस्टिस एस एस संधावालिया , बर्नी साहिब ए आर किदवई और सत्यदेव नारायण भी गवर्नर रहे।