कैसे CM योगी आदित्यनाथ ने “बीमारू” से “विकासशील” उत्तर प्रदेश की नई कहानी लिखी
उत्तर प्रदेश ,23 अप्रैल। 2017 में जब योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश की बागडोर संभाली, तब राज्य न केवल आर्थिक रूप से पिछड़ा था, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी जर्जर हालात में था। लूट, कोर परेशन (उगाही), जमीन पर कब्ज़े से लेकर ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड माफिया’ तक ने लोगों की जान-जल्द दोनों हयात कर रखी थी। बुनियादी सुविधाओं का अभाव, अपराधियों की बढ़-चढ़कर धमकियाँ और निवेश के लिए फैली असुरक्षा ने प्रदेश को ‘बीमारू’ की संज्ञा दे दी थी।
लेकिन एक साधु-नेता, जिनके पास न कोई वंशागत समर्थन था न निजी स्वार्थ, ने जनता के नाम समर्पित होकर आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश को बदल के रख दिया। आइए इस प्रेरणादायक परिवर्तन की कहानी को विस्तार से जानें:
“बीमारू” से बढ़कर—सख्त कानून-व्यवस्था की बुनियाद
पदभार ग्रहण के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सात प्रमुख जिलों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू कर दी और यूपी स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स (UPSSF) का गठन किया। परिणामस्वरूप:
लगभग 8,000 मुठभेड़ों में 222 कुख्यात अपराधी या तो मारे गए या गिरफ्तार किए गए।
“एंटी-रोमियो स्क्वाड” के गठन तथा तीन महिला PAC बटालियनों से महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर संदेश गया।
पुलिस रिस्पांस व्हीकल (PRV) रात में गश्त और सहायता के लिए उपलब्ध कराए गए, जिससे आपात स्थितियों में शीघ्र मदद मिलती है।
इन कठोर कदमों ने न सिर्फ अपराधियों को पस्त किया, बल्कि निवेशकों का भरोसा भी बहाल किया।
ग्रामीण कल्याण: असली ‘चेंजमेकर’ पहलों का जाल
उत्तर प्रदेश की 60% आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है। CM योगी ने इन्हीं गांवों को विकास का मुख्य केंद्र बनाया:
2.62 करोड़ शौचालय स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए गए, जिससे खुले में शौच की कुप्रथा समाप्त हुई।
कोविड-19 महामारी के दौरान लगभग 14.7 करोड़ लोगों को नि:शुल्क राशन प्रदान करके मूलभूत सुरक्षा दी गई।
उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 1.86 करोड़ गैस कनेक्शन देकर घरों में स्वच्छ ईंधन सुनिश्चित कराया गया।
“आवास सबके लिए” अभियान में 56 लाख घर गरीब और वंचित परिवारों को सौंपे गए, जिससे जीवन स्तर सुधरा।
इन पहलों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य दोनों को मजबूत आधार प्रदान किया।
स्मार्ट सिटी और आधुनिक बुनियादी ढाँचा
शहरों का सुव्यवस्थित विकास भी उतना ही महत्वपूर्ण था:
17 शहरों को स्मार्ट सिटी घोषित करके नागरिक सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाए गए। कुल 125 नई नगरपालिकाएँ बनीं, जिससे स्थानीय शासन-केंद्रिकरण बढ़ा।
लखनऊ, कानपुर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और आगरा में मेट्रो सेवाएं शुरू हुईं, जो रोजाना लाखों यात्रियों की आवाजाही सुविधाजनक करती हैं।
छह एक्सप्रेसवेज (यमुना एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे सहित) बन चुके हैं, जबकि 11 और मार्ग निर्माणाधीन हैं।
गौतम बुद्ध नगर में बन रहा ज्वार (Jewar) अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा प्रदेश की हवाई कनेक्टिविटी को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा—राज्य में अब 21 हवाई अड्डे सक्रिय हैं, जो देश में सर्वाधिक संख्या है।
इस समग्र इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार ने उद्योगपतियों और पर्यटकों—दोनों का ध्यान यूपी की ओर खींचा।
कृषि में क्रांति: किसान खुश तो सब खुश
उत्तर प्रदेश की मिट्टी ने 2024‑25 में चार करोड़ टन से अधिक फलों और सब्ज़ियों का उत्पादन कर देश में सर्वाधिक योगदान दिया। कृषि क्षेत्र की ग्रोथ रेट बढ़कर 13.7% हो गई—जो 2017 में 8.6% थी। सरकार ने किसानों के लिए विशेष पहलें कीं:
PM-कुसुम योजना के तहत 76,189 सौर पम्प वितरित, जिससे सिंचाई सस्ता और हरित बनी।
27 मंडियों का आधुनिकीकरण, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त हुए।
निजी ट्यूबवैल वाले किसानों को 100% बिजली बिल छूट, साथ ही किसी भी ट्रांसफार्मर के झटपट रिप्लेस का वादा—२४ घंटे के भीतर।
ये छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव का बीज साबित हुए।
ऊर्जा से आबाद प्रदेश: नवीकरणीय का साथ
ग्रामीण इलाकों में 20 घंटे, तहसील में 22 घंटे और जिला मुख्यालयों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के साथ-साथ:
अयोध्या को ‘सोलर सिटी’ बनाने की योजना
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को ‘सोलर एक्सप्रेसवे’ में बदलने का विजन
क्लीन एनर्जी की इन पहलों ने प्रदूषण घटाया और लम्बी अवधि में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की।
स्वास्थ्य सेवा का नया अध्याय
सेहतमंद जीवन के लिए स्वास्थ्य सुविधाएँ सब तक पहुंचे, इस उद्देश्य से:
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत लगभग 49 लाख परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य कवरेज दी गई।
5,000 नए स्वास्थ्य उपकेंद्र स्थापित हुए, जिससे ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध हुई।
75 जिलों में निःशुल्क डायलिसिस सुविधा शुरू कर लोग महंगे इलाज के बोझ से मुक्त हुए।
इससे गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों को भी विशेषज्ञ इलाज का लाभ मिला।
सांस्कृतिक पुनरुत्थान: श्रद्धा और समृद्धि
सम्पूर्ण विश्व ने 2025 के प्रयागराज महाकुंभ में देखा कि 45 दिनों में 66.3 करोड़ श्रद्धालु आने पर भी कितनी सुव्यवस्था बनाकर रखी जा सकती है। साथ ही:
अयोध्या में भव्य दिवाली उत्सव और देव दीपावली की रातें
काशी में शृंगार-कार्यक्रम
राम मंदिर का अद्भुत पुनर्निर्माण
इन आयोजनों ने न केवल धार्मिक पर्यटन बढ़ाया, बल्कि स्थानीय बाज़ारों और हस्तशिल्प उद्योगों को भी नई जान दी।
औद्योगिक विकास और आर्थिक प्रगति
उत्तर प्रदेश अब देश का मोबाइल निर्माण हब बन चुका है—राज्य का योगदान 45% तक पहुंच गया है। MSME सेक्टर में 96 लाख उद्यम फल-फूल रहे हैं, जो रोज़गार के प्रमुख स्रोत बन गए हैं। उल्लेखनीय आर्थिक संकेतक:
बजट का आकार ₹2 ट्रिलियन से बढ़कर ₹7.5 ट्रिलियन हुआ।
GSDP ₹12 ट्रिलियन से ₹26 ट्रिलियन (2023‑24) तक पहुंचा, और मार्च 2025 तक ₹32 ट्रिलियन का लक्ष्य निर्धारित है।
पिछले छह वर्षों में 5.5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया—जो NITI Aayog के आंकड़ों से प्रमाणित है।
निर्यात दोगुना हुआ, जिससे प्रदेश को ‘एक्सपोर्ट हब’ के रूप में भी पहचान मिली।
भूमाफियाओं से 64,000 हेक्टेयर ज़मीन मुक्त कराकर व्यापार और उद्योग के लिए संसाधन खुले।
इन सब पलों ने उत्तर प्रदेश को देश का दूसरा सबसे बड़ा GSDP वाला राज्य बना दिया है।
आगे की चुनौती और आमंत्रण
एक साधु-स्वरूप नेता ने, जनता की शक्ति और विश्वास से, ‘बीमारू’ राज्य को ‘विकासशील’ मॉडल में तब्दील कर दिया। कानून-व्यवस्था से लेकर स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, ऊर्जा और संस्कृति—हर क्षेत्र में समन्वित योजना और ईमानदार कार्यान्वयन ने क्रांति ला दी।
आगामी विधानसभा चुनाव में यदि जनता फिर से इस सुधार यात्रा को समर्थन दे, तो उत्तर प्रदेश न केवल भारत की ₹10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देगा, बल्कि विश्व स्तर पर भी एक प्रेरणा स्रोत बनकर उभरेगा।