“भारत ‘एक आकार सभी के लिए उपयुक्‍त मॉडल’ अपनाने में विश्वास नहीं करता, हमारे पास तकनीक को नियमित करने के लिए एक मिश्रित दृष्टिकोण है”: राज्‍य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर। केन्‍द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्रीराजीव चंद्रशेखर ने वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन 2023 में इवान फीगेनबम के साथ एक अनौपचारिक बातचीत में भाग लिया। बातचीत के दौरान, मंत्री ने नवप्रवर्तन, सुशासन के लिए अनुकूल माहौल बनाने और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की डिजिटल अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने की कल्पना को आगे बढ़ाने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और एआई का लाभ उठाने की भारत की आकांक्षाओं पर चर्चा की।

राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, “हम एआई को हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था का गतिशील प्रवर्तक मानते हैं। यह दृष्टिकोण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हम 12, 13 और 14 को दिल्ली में जीपीएआई शिखर सम्मेलन में कदम रख रहे हैं। हम मई 2024 में होने वाले कोरिया सुरक्षा शिखर सम्मेलन की भी तैयारी कर रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि, इन अगले छह महीनों के दौरान, दुनिया भर के देश और सरकारें एआई के लिए एक सामान्य प्रोटोकॉल या ढांचा स्थापित करने की दिशा में एकजुट हों। हमारे दृष्टिकोण से, 2026 तक डिजिटल अर्थव्यवस्था हमारे सकल घरेलू उत्पाद का 20 प्रतिशत होने का अनुमान है। वर्तमान में, हम 11 प्रतिशत पर हैं, जो 2014 में 4 प्रतिशत से एक महत्वपूर्ण छलांग है। इसलिए, इंटरनेट और ये सभी उभरती प्रौद्योगिकियां सिर्फ सैद्धांतिक या सिर्फ नवप्रवर्तन के बारे में नहीं हैं; वे अर्थव्यवस्था में वास्तविक मूल्यवर्धन- वास्तविक नौकरियों, वास्तविक आय और वास्तविक धन के सृजन के बारे में हैं।”

मंत्री ने जीवन को बदलने और सुशासन को बढ़ाने में इसकी भूमिका पर जोर देते हुए एआई के प्रति भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान एआई के व्यावहारिक एप्‍लीकेशन पर है, और हमारे माननीय प्रधानमंत्री लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और पूर्वोत्तर से दक्षिण, उत्तर और पश्चिम तक सभी क्षेत्रों में सरकारी दक्षता में सुधार करने के लिए प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास करते हैं। एआई अगले दशक में स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा, कौशल, सुरक्षा को आकार देने और अनुवाद के माध्यम से समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हमारी क्षमता में बाध्‍यता को पहचानते हुए, विशेष रूप से बड़े, बहु-पैरामीटर मॉडल के प्रशिक्षण में, हम आवश्यक क्षमताओं के निर्माण के लिए एक व्यापक रणनीति पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। इसमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में वास्तविक जीपीयू क्षमता विकसित करना शामिल है।”

यूके में बैलेचली शिखर सम्मेलन में अपने अनुभव याद करते हुए, मंत्री ने कहा, “28 सरकारों के लिए बैठना और तीन दिनों तक एआई के बारे में बात करना, भले ही सुरक्षा के नजरिए से, एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। यह 2021 से भारत के रुख के अनुरूप है, क्योंकि हम नई, शक्तिशाली और उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की आवश्यकता पर जोर देते हैं। जैसा कि हम नवाचार को देखते हैं और इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके डिजिटल अर्थव्यवस्था का विस्तार करने का लक्ष्य रखते हैं, रेलिंग के बारे में बातचीत भी उतनी ही महत्वपूर्ण हो जाती है। पिछले ढाई वर्षों में, हमने प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण रेलिंग के रूप में सुरक्षा और विश्वास पर लगातार जोर दिया है, ये हमारे मूलभूत सिद्धांत हैं। इसलिए, यह देखना संतोषजनक था कि बैलेचले पार्क में प्रमुख बातचीत एआई में सुरक्षा और विश्वास के बारे में थी। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत की स्थिति एआई को केवल सुरक्षा और विश्वास के चश्मे से देखकर खुलेआम नुकसान करने की नहीं है। हम एआई को हमारे समय का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आविष्कार मानते हैं।”

मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने एआई और प्रौद्योगिकी को नियमित करने के प्रति भारत के दृष्टिकोण के बारे में बोलते हुए कहा, “पहली बार, हम सुरक्षा और विश्वास के लिए स्व-नियमन और विस्‍तृत जिम्मेदारी की काल्‍पनिक अवधारणा से इन सिद्धांतों के लिए कानूनी रूप से मंचों को जवाबदेह बनाने की दिशा में बदलाव कर रहे हैं। यह एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ने का प्रतीक है। वर्तमान में, हम एआई चुनौतियों के कुछ संस्करणों का सामना कर रहे हैं, विशेष रूप से सोशल मीडिया और इंटरनेट की सामान्य विषाक्तता से निपटने में। हम अपने तीन नियमों और सिद्धांतों के अनुरूप गलत सूचना, डीपफेक और अन्य मुद्दों का समाधान कर रहे हैं। अपनाने के लिए ‘एक आकार सभी के लिए उपयुक्‍त मॉडल’ नहीं है। न तो यूरोपीय मॉडल और न ही अमेरिकी मॉडल हमारे लिए काम करता है। हम यह प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहे हैं कि एक मिश्रित दृष्टिकोण है, जो नागरिकों के अधिकारों को प्राथमिकता देने के यूरोपीय मॉडल के साथ बाजार को विनियमित करने के अमेरिकी मॉडल को संतुलित करता है। हमारा लक्ष्य एक ऐसा ढांचा तैयार करना है जो प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा करते हुए नवाचार को बढ़ावा दे, यह सुनिश्चित करे कि इंटरनेट सभी के लिए एक सुरक्षित और विश्वसनीय स्थान है।”

समापन खंड में, मंत्री ने भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा के संबंध में सवालों के जवाब देते हुए कहा कि देश पिछले 70 वर्षों में कई छूटे अवसरों के बाद तेजी से आगे बढ़ रहा है।

राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, “यह जनवरी 2022 में शुरू हुआ – हमारी नीतियां बताती हैं कि हमारा लक्ष्य विनिर्माण क्षेत्र में रहना है, जो सेमीकंडक्‍टरों का पवित्र आधार है। विनिर्माण के लिए महत्वपूर्ण, हम पैकेजिंग और पैकेजिंग नवाचार को अगले दशक के लिए भारत में क्षमताएं विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र मानते हैं। डिज़ाइन में, हमारा दृढ़ विश्वास है कि मौजूदा विरासत चिप परिवार, चाहे वे एक्‍स86 हों या एआरएम, भविष्य में बहुत अधिक कार्यात्मक, एआई-अनुकूलित उपकरणों के साथ प्रतिस्थापित किए जाएंगे। जैसा कि एनवीआईडीआईए ने जोरदार ढंग से दिखाया है, उन उपकरणों के लिए एक नया बाजार उभर रहा है जो वैश्विक स्तर पर उत्पादों और प्लेटफार्मों को शक्ति प्रदान करेगा। प्रतिभा के संदर्भ में, हम पिछले दो वर्षों में अनुसंधान, प्रतिभा डिजाइन, पैकेजिंग और निर्माण के पूरे स्पेक्ट्रम को बढ़ा रहे हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम सेमीकंडक्टर उद्योग में 70 वर्षों की उपेक्षा को लगभग पूरा कर रहे हैं। ऐतिहासिक रूप से, हमने अर्धचालकों के संबंध में देश में बहुत कुछ नहीं किया है, लेकिन पिछले दो वर्षों में, हमने तेजी से प्रगति की है।”

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