ओटीटी की वजह से भारतीय कंटेंट वैश्विक दर्शकों के लिए अधिक सुलभ: सूचना एवं प्रसारण सचिव
नई दिल्ली, 14अप्रैल।भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आई एंड बी) में सचिव अपूर्व चन्द्रा ने मुम्बई में कहा कि भारतीय कंटेंट आज विश्व स्तर पर अधिक स्वीकार्य होने का एक प्रमुख कारण यह है कि इसका अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है और ओटीटी प्लेटफार्मों ने इसे संभव बना दिया है। एशिया वीडियो इंडस्ट्री एसोसिएशन (एवीआईए) के कार्यवाहक मुख्य नीति अधिकारी क्लेयर ब्लूमफ़ील्ड के साथ ‘पॉलिसीज टू मेक इंडिया ए ग्लोबल कन्टेंट एंड टेक्नीकल हब’ विषय पर बातचीत के मुख्य सत्र में, सूचना एवं प्रसारण सचिव ने कहा, ” भारत में कंटेंट की गुणवत्ता हमेशा बहुत अच्छी रही है, लेकिन अब भारतीय कंटेंट के लिए दुनिया भर में पहुंच आसान हो गई है। ओटीटी ने इसकी बड़ी मदद की है। भारत के बारे में लोगों की जिज्ञासा भी बढ़ी है, लोग भारत के बारे में और जानना चाहते हैं”।
ओटीटी प्लेटफॉर्म: प्रासंगिकता और नियम
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने आगे कहा कि हालांकि पारंपरिक मीडिया मनोरंजन उद्योग और मीडिया का मूल और रीढ़ बना हुआ है, लेकिन अब ओटीटी प्लेटफॉर्म भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। “लेकिन मुझे लगता है कि कई पारंपरिक मीडिया हाउस भी अपनी सामग्री अपने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर डाल रहे हैं। एक ग्राहक के रूप में, यह हमेशा अधिक सुविधाजनक होता है कि आप समय से बंधे नहीं हैं और आप अपनी गति से सामग्री को देखेंगे। इसलिए, मुझे लगता है कि यह सहजीवी संबंध है, कंटेंट का तैयार होना जारी रहेगा।”
ओटीटी नियमों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार बहुत ही सरल नियमों की ओर गई है। “हमने अधिक स्व-नियमन करने के लिए इसे उद्योग पर छोड़ दिया है। यह एक तीन स्तरीय नियम है जिसे कुछ साल पहले पेश किया गया था। हमें लगता है कि यह काफी अच्छा चल रहा है। पहले चरण में, यदि सामग्री की गुणवत्ता के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो इसे कार्रवाई करने के लिए सामग्री निर्माता को भेजा जाता है। माध्यमिक स्तर पर, इसे देखने के लिए एक उद्योग निकाय है और अंत में यह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आता है। हमें मंत्रालय स्तर पर बहुत कम शिकायतें मिली हैं।” यह कहते हुए, सूचना और प्रसारण सचिव ने यह भी कहा, “लेकिन साथ ही, यह चिंता भी है कि इन सरल नियमों के कारण कुछ ऐसी विषय वस्तु हो सकती है जिसकी आवश्यकता नहीं है। हम उद्योग जगत से अनुरोध करेंगे कि वह देश की चिंताओं और संस्कृति से अवगत रहे।”
सिनेमैटोग्राफ कानून
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने कहा कि सिनेमैटोग्राफ कानून पर फिर से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “इसे बहुत जल्द संसद में पेश किया जाएगा।” उन्होंने बताया कि इंटरनेट पर फिल्म सामग्री के प्रसारण के संबंध में एक प्रावधान जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि ऐसा होता है, यह कॉपीराइट की रक्षा करने में एक बड़ा कदम होगा और हम उन वेबसाइटों को ब्लॉक करने में सक्षम होंगे जहां पायरेटेड सामग्री प्रसारित की जाती है। लेकिन देखते हैं कि यह संसद में कैसे जाता है और कैसे आगे बढ़ता है। सूचना और प्रसारण सचिव ने कहा कि सरकार हमेशा पायरेसी के खिलाफ कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “यदि आप हमारे संज्ञान में लाते हैं कि कुछ वेबसाइटों का उपयोग पायरेटेड सामग्री के लिए किया जा रहा है, तो हम उन वेबसाइटों को ब्लॉक करने की दिशा में काम करते हैं।”
व्यापार में सुगमता – भारत में शूटिंग और पोस्ट-प्रोडक्शन
“प्रसारण में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए, हमारे पास अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग दिशानिर्देश हैं, जहां हम ब्रॉडकास्टर्स और सैटेलाइट चैनलों को अनुमति देते हैं जो भारत में प्रसारित हो रहे हैं। हमने इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसिंग और पारदर्शिता को सक्षम करने के लिए ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल की स्थापना की है। हम अनुमतियों से सूचना प्रस्तुत करने की व्यवस्था तक बढ़े हैं। हमें प्रसारकों से जानकारी मिली है कि वे नए दिशानिर्देशों से काफी खुश हैं, क्योंकि प्रक्रिया बहुत आसान हो गई है।”
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने यह भी बताया कि एनएफडीसी का फिल्म सुविधा कार्यालय घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं को सुविधा प्रदान करता है और इसे अब राज्य पोर्टलों के साथ जोड़ा जा रहा है ताकि यह केन्द्र और राज्य सरकार की अनुमति और प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए सिंगल-विंडो बन जाए। भारत में फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए कान फिल्म फेस्टिवल में इसकी घोषणा की गई।
“हम बहुत जल्द प्रसार भारती का एक नया चेहरा सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं”
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने कहा कि प्रसार भारती की भूमिका सामाजिक दृष्टि से उपयोगी सामग्री को बढ़ावा देना है। उन्होंने ‘स्वराज’ धारावाहिक का उल्लेख किया, जिसे पिछले साल आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान शुरू किया गया था। उन्होंने कहा “मैं समझता हूं कि यह बेहद उपयोगी धारावाहिक है जो भारतीय स्वतंत्रता का इतिहास दिखा रहा है”, और साथ ही कहा कि सरकार प्रसार भारती द्वारा बनाए गए सामाजिक दृष्टि से उपयोगी मुद्दों के कंटेंट पर ओटीटी प्लेटफार्मों के माध्यम से बड़े पैमाने पर दर्शकों तक पहुंचना चाहेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह का सहयोग हमेशा काम कर सकता है।
राष्ट्रीय प्रसारण नीति
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने कहा कि एक राष्ट्रीय प्रसारण नीति काम कर रही है क्योंकि प्रसारण क्षेत्र अब परस्पर विरोधी हितों के साथ कई हिस्सों में बंट रहा है और विभिन्न प्रसारक जैसे मीडिया प्रसारक, ओटीटी आदि के पास अलग-अलग तंत्र, नियम और टैरिफ हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए राष्ट्रीय प्रसारण नीति की जरूरत है।
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने यह भी कहा कि टेरीस्टेरीयल प्रसारण अब व्यवहार्य नहीं है और हर कोई उपग्रह मोड की तरफ बढ़ चुका है। उन्होंने कहा, “हमने फैसला किया कि टेरीस्टेरीयल प्रसारण के लिए आवंटित फ्रीक्वैंसी कई वर्षों से अप्रयुक्त पड़ी है, यदि आवश्यक हो तो दूरसंचार उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। अन्यथा, प्रसारण के लिए जो भी फ्रीक्वेंसी आवंटित की गई हैं, वह प्रसारण के साथ रहेगी”।
एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक (एवीजीसी): एक उभरता हुआ क्षेत्र
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने दोहराया कि एवीजीसी क्षेत्र में सामग्री निर्माण की विशाल क्षमता है। उन्होंने कहा कि एवीजीसी टास्क फोर्स की रिपोर्ट को मंत्रालय स्तर पर स्वीकार कर लिया गया है और इसे कैबिनेट में ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गेमिंग उद्योग, जिसका विश्वव्यापी मूल्य 300 बिलियन डालर है, सामग्री निर्माण और नवाचार में वृद्धि के लिए भारत में बहुत बड़ी गुंजाइश है। भारत में बहुत सारी सामग्री बनाई जा रही है और एनीमेशन और विजुअल इफैक्ट्स उद्योग और भारत में किए गए पोस्टप्रोडक्शन के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
मोबाइल प्रसारण
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने यह भी कहा कि जहां भारतीय घरों में लगभग 20 मिलियन टीवी हैं, वहीं मोबाइल की संख्या लगभग 800 मिलियन है। इसलिए, मोबाइल प्रसारण में वृद्धि नई सामग्री निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करने वाली है।
बाद में, सूचना एवं प्रसारण सचिव ने शहर में मोशन पिक्चर एसोसिएशन के साथ एक बैठक में भाग लिया। चर्चा ‘भारत को एक फिल्म-शूटिंग गंतव्य और एक आकर्षक पोस्ट-प्रोडक्शन गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने’ पर केन्द्रित थी।