महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों में आत्म निर्भरता प्राप्त करने की दिशा में भारत के प्रयास
भारत और ऑस्ट्रेलिया लिथियम और कोबाल्ट पहचान परियोजनाओं में सहयोग करेंगे
राष्ट्र की खनिज सुरक्षा सुनिश्चित करने और महत्वपूर्ण व सामरिक खनिजों के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता हासिल करने के लिए खनन मंत्रालय ने नाल्को, एचसीएल और एमईसीएल के सहभागी हित के साथ खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (केएबीआईएल यानी काबिल) नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाई है। काबिल को लिथियम, कोबाल्ट आदि जैसे महत्वपूर्ण और सामरिक प्रकृति की विदेशी खनिज संपत्तियों की पहचान करने और अधिग्रहण करने के लिए बनाया गया है। आत्म-निर्भर भारत को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह पहल ई-गतिशीलता, नवीकरणीय ऊर्जा, दवा, एयरोस्पेस, विमानन आदि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करेगी।
मान्यताप्राप्त अध्ययन और चयन मानदंड के आधार पर, चुनिंदा स्रोत देशों को विदेशों में खनिज संपत्ति अधिग्रहण की संभावनाओं की खोज के लिए चुना गया है। अब तक, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, बोलीविया, चिली आदि जैसे चुनिंदा स्रोत देशों के साथ सहयोग चल रहा है, जो उद्धृत महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया में कठोर पत्थरों में लिथियम और कोबाल्ट और लैटिन अमेरिकी देशों की तरह लिथियम से संपन्न हैं। उन देशों में भारत के संबंधित दूतावास और मिशन मुख्य रूप से सरकारी स्वामित्व वाले संगठनों के साथ उचित उद्यम और निवेश निर्णय लेने के लिए संभावित खनिज क्षेत्रों के संबंध में जानकारी साझा करने के लिए इंटरफेस द्वारा जुड़े हुए हैं।
ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौते के अनुसरण में, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री के बीच 3 जून 2020 को आयोजित शीर्ष स्तर की चर्चा के दौरान महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों के खनन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत सरकार और ऑस्ट्रेलिया सरकार के बीच क्रमशः खनन और महत्वपूर्ण खनिज सुविधा कार्यालय (सीएमएफओ) मंत्रालय के जरिए एक जी2जी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
जी2जी समझौते के तत्वावधान में अब 10 मार्च को ऑस्ट्रेलिया सरकार के उद्योग, विज्ञान, ऊर्जा और संसाधन विभाग (डीआईएसईआर) के तहत क्रिटिकल मिनरल्स फैसिलिटेशन ऑफिस (सीएमएफओ) और भारत के काबिल के बीच एक सहयोगी ढांचे के साथ एक विस्तृत समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ने सहभागी हित के 50:50 अनुपात में संयुक्त उचित उद्यम प्रक्रिया के लिए 60 लाख अमरीकी डालर के प्रारंभिक निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। समझौता ज्ञापन में परिसंपत्ति अधिग्रहण प्रक्रिया में निवेश भागीदार के रूप में किसी अन्य सीपीएसई को शामिल करने की भी रूपरेखा है। उचित उद्यम प्रक्रिया और आगे के निवेश निर्णयों के लिए छह महीने की अनुमानित समय-सीमा की परिकल्पना की गई है।
ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच चल रहे द्विपक्षीय समझौते के हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री श्री स्कॉट मॉरिसन एमपी के बीच दूसरा भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर सम्मेलन 21 मार्च 2022 को आयोजित किया गया था। दोनों नेताओं ने माना कि वैश्विक निम्न कार्बन उत्सर्जन के लिए स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के तेजी से विकास और महत्वपूर्ण खनिजों तक समान पहुंच की आवश्यकता है। उन्होंने महत्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं पर संयुक्त सहयोग के लिए काबिल, भारत और सीएमएफओ, ऑस्ट्रेलिया के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। इस समझौता ज्ञापन के प्रमुख सिद्धांत और उद्देश्य इस प्रकार हैं:
महत्वपूर्ण खनिज परितंत्र में ऑस्ट्रेलिया-भारत साझेदारी के निर्माण के लिए एक सहयोगी ढांचा प्रदान करना;
ऑस्ट्रेलियाई महत्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं में सामरिक राष्ट्रीय हित और वाणिज्यिक निवेश का समर्थन करना; और
नवाचार को बढ़ावा देने, टिकाऊ उत्पादन का समर्थन करने और परिवहन, ऊर्जा, दूरसंचार, औषधि, विमानन और रक्षा जैसे क्षेत्रों में तेजी लाने के लिए आवश्यक सामग्री की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक मजबूत और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना।