निराश्रित गौवंश से फसल नुकसान और सड़क दुर्घटना रोकने के लिए निर्देश जारी

0

भोपाल, 26जुलाई। प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी गुल्शन बामरा ने प्रदेश के राजमार्गों और सड़कों पर मौजूद निराश्रित गौवंश के प्रबंधन के संबंध में सभी कलेक्टर्स को दिशा-निर्देश जारी किये हैं। श्री बामरा ने कहा कि निराश्रित गौवंश की वजह से किसानों की फसलों को होने वाले नुकसान और दुर्घटनाओं से जन-धन एवं पशुधन की हानि की रोकथाम और गौवंश के संरक्षण के लिये तुरंत व्यवस्थापन कार्य करें।

निकटतम गौशालाओं में निराश्रित गौवंश पहुँचाएँ
ग्रामीण क्षेत्रों में निराश्रित गौवंश को ग्राम पंचायतें अपने संसाधन अथवा स्थानीय परिवहन व्यवस्था से निकटतम गौशालाओं में पहुँचाएँ। नगरीय क्षेत्रों में हायड्रोलिक/स्थानीय वाहन की व्यवस्था, नगर निगम, नगरीय निकाय या जिला माइनिंग फंड आदि में उपलब्ध राशि से की जा सकती है। राजमार्गों पर घूमने वाले निराश्रित गौवंश की राजमार्ग संधारण संस्था के पेट्रोलिंग वाहन से सतत निगरानी की जाए और इनके या स्थानीय वाहन से निकटतम गौशालाओं या गोठानों तक पहुँचाएँ। गौशालाओं में पहुँचाए गए अतिरिक्त निराश्रित गौवंश के लिये चारे-भूसे आहार राशि मध्यप्रदेश गौसंवर्धन बोर्ड द्वारा जिला गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों द्वारा 20 रूपये प्रति गौवंश, प्रति दिवस के मान से उपलब्ध करवाई जाएगी।
गौशाला विहीन गाँवों में ग्राम स्तरीय गोठान की व्यवस्था होगी
श्री बामरा ने कलेक्टर्स से कहा है कि जहाँ गौशाला नहीं है, निराश्रित गौवंश को पहुँचाने के लिये अस्थाई गौशाला/गोठान की व्यवस्था करें। ग्राम स्तरीय गोठान में 100 गौवंश के लिये लगभग एक एकड़ भूमि की व्यवस्था करें। गोठान ऐसी जगह बनाएँ, जहाँ पानी का भराव न हो, वन्य भूमि/चराई के लिये 10 एकड़ भूमि गोठान के नजदीक उपलब्ध हो, पेयजल के लिये पास में नदी तालाब आदि हो। गोठान भूमि की यथासंभव फेंसिंग करवाएँ। गोठानों के लिये गौसंवर्धन बोर्ड द्वारा 20 रूपये प्रति गौवंश, प्रति दिवस के मान से राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। गोठानों का संचालन स्थानीय निकायों, चयनित सेवाभावी गैर शासकीय संगठनों या स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जा सकता है।
जिला स्तरीय गोठान की भी व्यवस्था होगी

प्रत्येक जिले में 1000 गौवंश की क्षमता वाले जिला स्तरीय गोठान की भी व्यवस्था करने के निर्देश दिेये गये हैं। लगभग 10 एकड़ पर बनने वाले यह गोठान भी ऐसी जगह बनेंगे, जहाँ पानी का भराव न हो, चराई के लिये 50 से 100 एकड़ भूमि गोठान के नजदीक उपलब्ध हो, पेयजल के लिये नजदीक में तालाब-नदी आदि हों, गोठान भूमि की यथासंभव स्थाई या अस्थाई फेंसिंग करवाई जाएगी। कलेक्टर्स से कहा गया है कि गोठान के निर्माण में मनरेगा या उपयुक्त मद में अप्रारंभ गौशालाओं की स्वीकृति को आवश्यकतानुसार निरस्त कर “जिला स्तरीय गोठान” के कार्य स्वीकृत किये जा सकते हैं। गौसंवर्धन बोर्ड द्वारा गोठानों के गौवंश के लिये 20 रूपये प्रति गौवंश, प्रति दिवस के मान से चारे-भूसे की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। गोठानों का संचालन जिला गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों द्वारा, चयनित स्थानीय निकायों, सेवाभावी गैर शासकीय संगठनों या स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जाएगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.