विकसित भारत हेतु 47,65,768 करोड़ रुपये के आकार का अंतरिम बजट 2024-25 आशा और उत्साह के साथ एक विशुद्ध रूप से लोकतांत्रिक बजट लेकिन रोजगार के अवसरों हेतु पर्याप्त नहीं : प्रो एम.एम. गोयल
नई दिल्ली, 15फरवरी। “ विकसित भारत हेतु 47,65,768 करोड़ रुपये के आकार का अंतरिम बजट 2024-25 आशा और उत्साह के साथ एक विशुद्ध रूप से लोकतांत्रिक बजट है।“ ये शब्द पूर्व कुलपति एवं नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोयल ने कहे । वह प्लेसमेंट सेल द्वारा आयोजित “विकसित भारत के लिए अंतरिम बजट 2024-25: रोजगार के अवसर” विषय पर श्याम लाल कॉलेज (शाम ) दिल्ली के छात्रों और कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. हेमन्त कुकरेती ने स्वागत भाषण दिया और प्रो. एम.एम. गोयल की उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र भी प्रस्तुत किया। . संयोजक डॉ. अजय गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। श्री पंकज वत्स और सुश्री नंदिनी पॉल ने समारोह के संचालक की भूमिका निभाई।
पूर्व वीसी डॉ. गोयल ने बताया कि बजट प्रस्ताव 2047 के विकसित भारत के दृष्टिकोण के लिए आवश्यक लेकिन रोजगार के अवसरों हेतु पर्याप्त नहीं है।
प्रो. गोयल ने कहा कि रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने हेतु पर्यटन में रोजगार गुणक सबसे अधिक है, जो दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण का लाभ उठाकर राज्यों को प्रोत्साहित करने से मजबूत होता है।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने डब्ल्यूटीओ के निर्देशों के अनुसार जनशक्ति के निर्यात के साथ तालमेल बिठाते हुए रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) जैसी संस्थाओं को बहुराष्ट्रीय निगमों (एमएनसी) में बदलने की वकालत की।
नीडोनोमिस्ट गोयल ने बताया कि विकसित भारत हेतु हमें गीता आधारित विचार नीडोनोमिक्स को समझना और अपनाना होगा ।
प्रो. गोयल ने कहा कि सामान्य ज्ञान दृष्टिकोण के रूप में नीडोनोमिक्स की नीडो-शिक्षा समग्र शिक्षा हेतु आवश्यक और पर्याप्त शर्त है।
नीडोनोमिस्ट गोयल ने अमृत काल के परिवर्तनकारी काल हेतु 2023-24 में उल्लिखित सात प्राथमिकताओं के माध्यम से हमें ले जाने वाले ‘सप्तऋषि’ के मार्गदर्शक सिद्धांतों को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया ।
विकसित भारत हेतु नए कथन को तैयार करते समय नागरिकों में साहस और उत्साह को उत्पन्न करने की प्रो. गोयल ने अपील की, ताकि वे स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, क्रियात्मक, प्रतिक्रियात्मक और पारदर्शी) वैश्विक नागरिक की गुणवत्ता का प्रतिनिधित्व कर सकें।