कमल हासन ने केंद्र की भाषा नीति का विरोध किया: कहा- तमिलों ने भाषा के लिए जान गंवाई

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नई दिल्ली,22 फरवरी। मशहूर अभिनेता और मक्कल निधि मय्यम (MNM) के प्रमुख कमल हासन ने केंद्र सरकार की भाषा नीति की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि तमिल भाषा के लिए लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है और किसी भी तरह की जबरन भाषा थोपने की कोशिश को स्वीकार नहीं किया जाएगा। एक्टर से नेता बने हासन शुक्रवार को चेन्नई में अपनी पार्टी की आठवें स्थापना दिवस पर कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। हासन ने कहा- भाषा के मुद्दों को हल्के में न लिया जाए। तमिलनाडु के बच्चे भी जानते हैं कि उन्हें कौन सी भाषा चाहिए। उनके पास अपनी भाषा चुनने की समझ है।

कमल हासन का कड़ा विरोध

कमल हासन ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर केंद्र सरकार की भाषा नीति के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने हमेशा अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष किया है और वे इसे कमजोर करने की किसी भी साजिश का पुरजोर विरोध करेंगे।

तमिलनाडु में भाषा को लेकर संवेदनशीलता

तमिलनाडु में भाषा एक भावनात्मक मुद्दा रहा है। 1965 में हिंदी को अनिवार्य बनाने की कोशिश के खिलाफ राज्य में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। कमल हासन ने इसी इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि तमिलों ने अपनी मातृभाषा के सम्मान के लिए बलिदान दिए हैं, और वे इसे किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देंगे।

भाषा थोपने के प्रयासों पर नाराजगी

कमल हासन ने कहा कि भारत की विविधता उसकी ताकत है और किसी भी भाषा को जबरन लागू करने की कोशिश संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह ऐसी नीतियों से बचे जो क्षेत्रीय भाषाओं को प्रभावित कर सकती हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और समर्थन

कमल हासन के इस बयान के बाद तमिलनाडु की अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी केंद्र सरकार की भाषा नीति पर सवाल उठाए हैं। डीएमके और अन्य दल पहले से ही हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास का विरोध कर रहे हैं।

कमल हासन के इस कड़े रुख से तमिल भाषा और संस्कृति को लेकर बहस और तेज हो गई है। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और भाषा नीति पर कोई बदलाव होता है या नहीं।

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