हाईकोर्ट जजों के खिलाफ लोकपाल जांच, सुप्रीम कोर्ट की रोक
नई दिल्ली,20 फरवरी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लोकपाल के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ शिकायतों की जांच करना लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आता है।
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए लोकपाल के महापंजीयक और शिकायतकर्ता को भी नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने शिकायतकर्ता से हाई कोर्ट के जज का नाम और शिकायत के कारण का खुलासा करने से रोक लगा दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को की जाएगी।
लोकपाल ने 27 फरवरी को अपने आदेश में हाईकोर्ट के जज को आरोपी बनाया था
लोकपाल एक मामले में 27 फरवरी को अपने आदेश में कार्यरत हाई कोर्ट के जज, एक एडिशनल जिला जज और एक अन्य हाई कोर्ट के जज को एक निजी कंपनी के पक्ष में प्रभावित करने का आरोप लगाया था।
इस मामले में लोकपाल ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि हाई कोर्ट का जज लोकपाल अधिनियम की धारा 14 (1) (f) के दायरे में एक व्यक्ति के रूप में योग्य होगा।
जस्टिस गवई बोले- यह परेशान करने वाली बात है
जस्टिस गवई ने लोकपाल के तर्क पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह परेशान करने वाली बात है। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि व्याख्या गलत है और हाई कोर्ट को लोकपाल के अधीन लाने का इरादा नहीं था।
जस्टिस गवई और जस्टिस ओका ने कहा कि देश में संविधान लागू होने के बाद भी हाई कोर्ट के जज संवैधानिक प्रहरी के तौर पर काम करते रहे हैं। उन्हें एक वैधानिक पदाधिकारी नहीं माना जा सकता।