प्लास्टिक और अन्य सामग्री जो प्राकृतिक तरीके से सड़नशील न हो, का प्रबंधन

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पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 16 फरवरी, 2022 को प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) पर दिशा-निर्देश अधिसूचित किए। ईपीआर दिशा-निर्देशों के तहत, कठोर प्लास्टिक पैकेजिंग के फिर से उपयोग और प्लास्टिक पैकेजिंग में रिसाइकिल किए हुए (पुनर्नवीनीकृत) प्लास्टिक सामग्री के उपयोग पर लक्ष्यों को लागू करने योग्य नुस्खे से सभी क्षेत्रों में पैकेजिंग में पहली बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक सामग्री का उपयोग कम हो जाएगा। इसके अलावा, ईपीआर दिशा-निर्देश प्लास्टिक पैकेजिंग के विकास को बढ़ावा देते हैं जो परिस्थितियों के अधीन और नियामक संस्थाओं द्वारा प्रमाणित व्यापक परिवेश में पूरी तरह से बायोडिग्रेड हो सकते हैं यानी प्राकृतिक तरीके से सड़ कर मिट्टी में मिल सकते है।

चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के निषेध से विभिन्न क्षेत्रों में प्लास्टिक सामग्री के उपयोग में भी कमी आएगी। प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (पीडब्ल्यूएम) नियम, 2016 के अनुसार, गुटखा, तंबाकू और पान मसाला के भंडारण, पैकिंग या बिक्री के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक सामग्री से बने पाउच पर पूर्ण प्रतिबंध है। मंत्रालय ने 12 अगस्त 2021 को प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को भी अधिसूचित किया है, जिसमें चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग को 1 जुलाई, 2022 से प्रतिबंधित किया गया है। एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की उपयोगिता तो कम होती है लेकिन इसमें कूड़े फैलाने की क्षमता अधिक होती है।

ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, वैसे कचरे जो प्राकृतिक तरीके से सड़नशील न हों (नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरे) और प्लास्टिक कचरे सहित ठोस कचरे के संग्रह, प्रसंस्करण तथा निपटान का काम स्थानीय प्राधिकरणों को सौंपा गया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन सहित ठोस कचरा प्रबंधन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, प्लास्टिक पैकेजिंग पर विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी के लिए जारी दिशा-निर्देश इन दिशा-निर्देशों के तहत शामिल किए गए प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे के पर्यावरणीय रूप से ठोस प्रबंधन का काम उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों को सौंपा गया है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उन्मूलन के लिए जागरूकता पैदा करने के उपाय करता आ रहा है। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 4 से 10 अक्टूबर, 2021 तक प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह के हिस्से के रूप में, देश भर में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग से बचने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की गई थी। 2021 में एकल उपयोग प्लास्टिक पर एक अलग जागरूकता अभियान भी चलाया गया था। जागरूकता अभियान के तहत चार क्षेत्रीय कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। देश में स्कूली छात्रों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए अखिल भारतीय निबंध लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई है।

यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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