इस्पात संयंत्रों का आधुनिकीकरण

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देश में सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों का विवरण नीचे दिया गया है:-

क्र.सं. इस्पात संयंत्र/इकाई का नाम स्थान राज्य
1 भिलाई स्‍टील प्‍लांट, सेल भिलाई छत्तीसगढ
2 दुर्गापुर स्टील प्लांट, सेल दुर्गापुर पश्चिम बंगाल
3 राउरकेला स्टील प्लांट, सेल राउरकेला ओडिशा
4 बोकारो स्टील प्लांट, सेल बोकारो झारखंड
5 आईआईएससीओ स्टील प्लांट, सेल बर्नपुर पश्चिम बंगाल
6 एलोय स्‍टील्‍स प्‍लांट , सेल दुर्गापुर पश्चिम बंगाल
7 सेलम स्टील प्लांट, सेल सलेम तमिलनाडु
8 विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील लिमिटेड, सेल भद्रावती कर्नाटक
9 विजाग स्टील प्लांट, आरआईएनएल विशाखापत्तनम आंध्र प्रदेश

 

इस्पात, एक विनियंत्रित क्षेत्र होने के कारण, देश में विभिन्न इस्पात संयंत्रों के आधुनिकीकरण और विस्तार के संबंध में निर्णय व्यक्तिगत रूप से सार्वजनिक इस्पात कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक विचारों और बाजार की गतिशीलता के आधार पर लिए जाते हैं।

आधुनिकीकरण एक सतत प्रक्रिया है, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के लिए इस्पात संयंत्रों के आधुनिकीकरण और विस्तार का पिछला चरण 2006-07 से 2018-19 के दौरान शुरू किया गया था। इससे कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता 15.8 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) से बढ़कर 26.9 एमटीपीए हो गई। इसमें सेल के भिलाई (छत्तीसगढ़), बोकारो (झारखंड), राउरकेला (ओडिशा), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), बर्नपुर (पश्चिम बंगाल) और विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) स्थित आरआईएनएल का इस्पात संयंत्र शामिल हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय इस्पात नीति (एनएसपी) 2017 के 300 एमटीपीए इस्‍पात उत्पादन क्षमता के लक्ष्य के अनुसार 2030 तक सेल के कच्चे इस्पात उत्पादन की क्षमता को मौजूदा 20.63 एमटीपीए से बढ़ाकर 35.8 एमटीपीए करने के लिए आधुनिकीकरण और विस्तार की योजना तैयार की गई है।

देश की मौजूदा वार्षिक कच्चे इस्पात उत्‍पादन की क्षमता 154.27 एमटी है। वर्ष 2030-31 तक एनएसपी के लक्ष्य के अनुसार इसे 300 एमटी तक पहुंचाने की परिकल्पना की गई है। इस दिशा में इस्पात मंत्रालय नीतिगत समर्थन और मार्गदर्शन के माध्यम से इस्‍पात उत्‍पादकों को सुविधा प्रदान करता है। इस उद्देश्‍य के लिए किए गए कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं :-

  1. ‘मेड इन इंडिया’ इस्‍पात की खरीदारी को बढ़ावा देने के लिए घरेलू रूप से निर्मित लौह और इस्पात उत्पाद (डीएमआई और एसपी) नीति की अधिसूचना।
  2. घरेलू रूप से सृजित स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्टील स्क्रैप रि-साइकिलिंग नीति की अधिसूचना।
  3. गैर-मानकीकृत इस्‍पात के निर्माण और आयात को रोकने के लिए इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी करना।
  4. इस्पात आयात के अग्रिम पंजीकरण के लिए इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (एसआईएमएस)।
  5. घरेलू उपयोग और निर्यात के लिए पूंजी निवेश आकर्षित करके देश में विशेष इस्‍पात के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 6,322 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ विशेष इस्‍पात के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की अधिसूचना।

यह जानकारी इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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