राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्ट्रीट चिल्ड्रन के पुनर्वास के लिए राज्यों के सचिवों के साथ समीक्षा बैठक की

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर)  के द्वारा स्ट्रीट चिल्ड्रन के पुनर्वास के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग तथा श्रम विभाग के सचिवों के साथ दिल्ली के विज्ञान भवन में समीक्षा बैठक का आय़ोजन किया गया जिसमें कुल 108 प्रतिभागियों ने भाग लिया। साथ ही बैठक में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, श्रम मंत्रालय तथा शिक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि भी इस महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित रहे।

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग, भारत सरकार के अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो ने बैठक का शुभारंभ करते हुए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के महिला एंव बाल विकास विभाग, श्रम विभाग तथा शिक्षा विभाग के सचिवों और केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया  औऱ कोविड़-19 तथा अन्य कारणों से प्रभावित बच्चों और उनके परिवारों को कल्याणकारी नीतियों का लाभ दिलाने के प्रयास के लिए उपस्थित अधिकारियों की सराहना की। “अभी जब देश आजादी का अमृत महोत्वस मना रहा है, देश को हमारी ओऱ से असल भेंट तब मिलेगी जब देश में हर बच्चे तक उसके अधिकारों को पंहुचा सके और उसके भविष्य को सुदृढ़ करें। असल में यही आजादी के अमृत महोत्सव को भी चरितार्थ करेगा”।

Children in Street Situation (Ciss)   के संबंध में बात करते हुए आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि इस संबंध में पिछले 8 महीनों में सड़क पर जीवन व्यतीत करने वाले बच्चों के रेस्क्यू और पुनर्वास के लिए जो कार्य किया गया है वह न भूतो न भविष्यति है। आयोग तथा विभागों के प्रयास का ही नतीजा है कि हम बाल स्वराज के स्ट्रीट चिल्ड्रन पोर्टल (Ciss)  में 25 हजार बच्चों को एनरोल कर पाए हैं तथा उनके पुनर्वास की और अग्रसर हैं। अब हमें इस संबंध में आगे बढ़ने की आवश्यकता है। राज्यों से निवेदन है कि वह इस संबंध में अपनी नीति निर्माण कर उसे नोटिफाई करें, जिससे कि जल्द से जल्द देशभर में सड़क पर जीवन व्यतीत करने वाले बच्चों के भविष्य को संवार सकते हैं। इस संबंध में आयोग ने SOP  का निर्माण किया है जो सड़क पर जीवन व्यतीत करने वाले बच्चों के रेस्कूय तथा पुनर्वास के लिए एक उत्तम दस्तावेज है अतः सभी राज्यों से निवेदन है कि इसके अपने-अपने राज्य में कार्यान्वित करने का कार्य जल्द से जल्द करें। इस दौरान अगले 06 महीनों का कार्यवृत तय किया गया है जिसके अंतर्गत राज्यों में स्ट्रीट चिल्ड्रन के Hotspot  चिन्हित कर रेस्क्यू किया जाएगा एवं शहरों की इस आधार पर रेंकिग की जाएगी और प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाया जाएगा जिससे निश्चित ही बच्चों के संरक्षण और पुनर्वास में मदद मिलेगी।

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बैठक के दौरान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण ने  Out of School Children  की ट्रेकिंग के लिए “Tracking Portal For Out of School Children”   नाम से एक पोर्टल का शुभारंभ किया जो इस संबंध में आगे की दिशा तय करने में मील का पत्थर साबित होगा। साथ ही आयोग द्वारा ट्रेकिंग के लिए बनाए गए पोर्टल के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए राज्यों से नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा ताकि उन्हे पोर्टल का लॉगिन आईडी दी जा सके। इस दौरान शिक्षा विभाग से खासकर यह अनुरोध किया गया कि वह कोविड़-19 से प्रभावित बच्चों के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के संबंध में शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा- 12(1)(सी) का लाभ देने के संबंध में कार्य करें।

आय़ोग के द्वारा नवाचारो के माध्यम से तकनीकी माध्यमों का इस्तेमाल कर ऐसे प्लेटफार्म का सृजन किया गया है जिससे देश के बच्चों को हम अनेकों लाभ पंहुचा पाए हैं। इस दिशा में “बाल स्वराज कोविड केयर पोर्टल”  एक आशातीत प्रयास है। पोर्टल के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 01 अप्रैल, 2020 से अभी तक कोविड-19 तथा अन्य कारणों से जो बच्चे अपने माता-पिता दोनों या दोनों में से किसी एक को खो चुके हैं की जानकारी उपलब्ध हो रही है। इसके बाद विभागों के प्रयास से इन बच्चों के संरक्षण का जो कार्य किया जा रहा है उससे हम उनके विकास की गति औऱ दिशा को ट्रेक कर पा रहे हैं। बाल स्वराज पोर्टल तथा यहां उपस्थित विभागों के सहयोग का ही नतीजा है कोविड-19 के दौरान विदेशी मीडिया द्वारा देश की छवि को नुकसान पंहुचाने का जो प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा था हम उसका जवाब दे पाए। हमारे प्रयास का नतीजा यह हुआ कि विदेशी मीडिया द्वारा प्रसारित की जा रही झूठी रिपोर्ट की वास्तविकता को हम संसार के सामने रख पाए और साथ ही अपने बच्चों के सरंक्षण का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसके लिए जिला बाल संरक्षण अधिकारियों के द्वारा की गई मेहनत सराहनीय है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय केंद्र सरकार के द्वारा मिशन वात्सल्य स्कीम में भी आशातीत बदलाव करने का महत्वपूर्ण कार्य किया गया है, जिससे अब जिलों में स्पोंसरशिप की 10 लाख की लिमिट को खत्म किया जा चुका है जो सरकार की एक संवेदनशील पहल है।

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महिला एवं बाल विकास विभाग से अनाथ बच्चों को आर्थिक लाभ दिलाने के लिए प्राइवेट स्पोंसरशिप पर बल देने के लिए कहा। इस संबंध में नीति बनाने को लिए राज्य प्रयास करें। इसके साथ यह चिंता भी व्यक्त की है कि बाल स्वराज पोर्टल जो कोविड-19 व अन्य कारणों से प्रभावित बच्चों को लाभ पंहुचाने का उत्तम माध्यम है में केवल पहली स्टेज तक की एंट्री तो सरहानीय है किंतु छठे स्तर तक पहुंचते-पंहुचते यह बहुत कम रह जाती है। अतः सभी स्तरों की एंट्री को पूरा किया जाना अनिवार्य है जिससे कि प्रभावित बच्चों और उनके परिवारों को उपलब्ध सभी स्कीमों का लाभ दिया जा सके। आय़ोग द्वारा 15 अगस्त, 2022 के बाद जिलों में बेंचो का आयोजन किया जाएगा जहां पर कोविड केयर पोर्टल पर दर्ज बच्चों से विशेष तौर पर मिला जाएगा। अतः विभागों से अनुरोध है कि उससे पहले सभी 6 स्तरों की एंट्री पूरी कर ली जाए औऱ सभी को सरकारी स्कीमों से जोड़ा जाए। इसके साथ ही बच्चों की संपत्ति, लोन इत्यादि की जानकारी अवश्यक रूप से भरी जाए जिससे कि हम न्यायलय द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार बच्चों के संपत्ति के अधिकार को सुनिश्चित कर सके।

कार्यक्रम के दौरान इस बात की भी जानकारी दी गई कि आयोग के द्वारा चाइल्ड लेबर के संबंध में एक SOP   बनाई है जिसे पब्लिक डोमेन में टिप्पणी के लिए रखा गया है। अतः श्रम विभाग इस पर जल्द से जल्द अपनी टिप्पणी दें, जिससे कि इसे लागू किया जा सके। इसके साथ ही श्रम विभाग के उपस्थित अधिकारियों से चाइल्ड लेबर एक्ट की धार 2 (बी)(2) के अनुपालन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा। इसके साथ ही राज्यों के प्रतिनिधियों से यह अनुरोध किया गया वह अपने राज्यों में ऐसे Hotspot  को चिन्हित  कर आयोग को जानकारी उपलब्ध कराएं जहां पर बच्चे सड़क पर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जिससे आगे इस संबंध में ठोस रूप से कदम उठाए जा सके। पिछले 08 महीनों में आयोग के द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों 75 Hotspot में रेस्क्यू किया गया और 270 FIR दर्ज कराई गई जबकि NCRB  के 2020 के आंकड़ों के अनुसार इस संबंध में केवल 476 FIR ही दर्ज की गई है। जिससे यह पता लगता है कि इस दिशा में किस तत्परता से कार्य करने की आवश्यकता औऱ जो कार्य आयोग के द्वारा किया गया अगर उसी कार्य में सभी राज्य अपना सहयोग दें तो उत्तम परिणाम देखने को मिलेंगे।

उल्लेखनीय है कि इस बैठक का आयोजन माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा SMWP (C) No. 4/2020 In Re care and Protection of Children during Covid -19 and SMWP (C) No. 6/2021 In Re Children in Street Situations” मामले में दिए गए आदेशों के अनुपालन के संबंध में किया गया।

कार्यक्रम के दौरान आयोग के द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा दिए गए आदेशों की बारिकियों से प्रजेंटेशन के माध्यम से उपस्थित प्रतिभागियों को अवगत कराया गया। समीक्षा बैठक के दौरान आयोग ने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त आंकड़ों की समीक्षा की और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रत्येक राज्य को आगे के सुझाव और निर्देश पारित किए गए। इस बैठक के बाद एक ओपन हाउस चर्चा हुई, जहां बच्चों की भलाई के लिए संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से विभिन्न प्रश्न और सुझाव प्राप्त हुए। इसके अलावा, राज्यों के प्रतिनिधियों से विभिन्न अनुशंसाओं/सुझावों का मिलान किया गया। इसके साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित सभी राज्यों के प्रतिभागियों से विभागानुसार चर्चा की गई।

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