राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के सहयोग से ‘मधुमक्खी मोम के उत्पादन’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), गुजरात द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के सहयोग से 30 मार्च, 2022 को “मधुमक्खी मोम के उत्पादन” विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय जनजातीय सहकारिता विपणन विकास संघ (ट्राईफेड) द्वारा समर्थित था। इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य मधुमक्खी मोम, मधुमक्खी पराग, रॉयल जेली, प्रोपोलिस, मधुमक्खी जहर आदि के साथ-साथ अन्य उच्च मूल्य वाले मधुमक्खी पालन उत्पादों के उत्पादन के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
“मधुमक्खी के मोम उत्पादन” पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अपर सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि मधुमक्खी पालन, परागण सहायता के अलावा, अतिरिक्त आय भी प्रदान करता है और ग्रामीण / भूमिहीन किसानों तथा मधुमक्खी पालकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करता है। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के कार्यान्वयन के माध्यम से, भारत सरकार ने देश में मधुमक्खी पालन उद्योग को मजबूत करने के लिए कई पहल की हैं। उन्होंने कहा कि एनबीएचएम के तहत शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के संग्रह, प्रसंस्करण, व्यापार, परीक्षण तथा ब्रांडिंग के लिए ढांचागत सुविधाएं स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि एनडीडीबी, नेफेड और ट्राईफेड को मधुमक्खी पालन पर किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाकर क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से मधुमक्खी पालन गतिविधियों को लागू करने के लिए एनबीएचएम के तहत कार्यान्वयन एजेंसियों के रूप में चिन्हित किया गया है।
एनडीडीबी के महाप्रबंधक श्री अभिजीत भट्टाचार्जी ने कहा कि एनडीडीबी हमेशा ग्रामीण किसानों/दुग्ध उत्पादकों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से किसानों/दुग्ध उत्पादकों के लिए लाभकारी नीतियां/योजनाएं लाने के लिए प्रतिबद्ध है। एनडीडीबी का व्यापक दृष्टिकोण है कि भारतीय किसानों/दुग्ध उत्पादकों की अर्थव्यवस्था तभी बढ़ेगी जब किसान/दुग्ध उत्पादक अपने स्थानीय क्षेत्र में मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल करेंगे और बाहर से संसाधनों का आयात नहीं करेंगे। एनडीडीबी अपने सहकारी संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल है। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन के एक महत्वपूर्ण उप-उत्पाद यानी मोम के बारे में आज का सम्मेलन इस दिशा में एक कदम है।
एनडीडीबी, आणंद के अध्यक्ष श्री मीनेश शाह ने सुझाव दिया कि विविध गतिविधियों के माध्यम से मधुमक्खी पालकों को आय के विभिन्न क्षेत्रों में शामिल करना आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन एक ऐसी गतिविधि है जो न केवल शहद उत्पादन से बल्कि अन्य मधुमक्खी उत्पादों के उत्पादन के माध्यम से अतिरिक्त आय प्रदान कर सकती है। उन्होंने बताया कि एनडीडीबी देश में मौजूद डेयरी सहकारी चैनलों का उपयोग करके मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रहा है और एनबीबी के सहयोग से मधुमक्खी पालकों को संगठित करके एफपीओ बना रहा है। मधुमक्खी पालन के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए, एनबीबी के सहयोग से, एनडीडीबी ने स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, प्रगतिशील मधुमक्खी पालकों तथा एनबीबी की सदस्य समितियों को शामिल करके देश भर में मधुमक्खी पालन पर 40 प्रशिक्षण आयोजित किए हैं, जिससे लगभग 1100 मधुमक्खी पालकों को लाभ हुआ है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उद्यान आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि शहद हमारी एकीकृत औषधीय प्रणाली (आईएमएस) का एक अभिन्न अंग है। एनबीबी का उद्देश्य एनबीएचएम के माध्यम से संगोष्ठियों/प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूकता पैदा करना और आधारभूत सुविधाओं तथा अनुसंधान एवं विकास सहित मधुमक्खी पालन के सभी उपलब्ध पहलुओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। उन्होंने मधुमक्खी पालकों को मधुमक्खी पालन में मूल्य वर्धित उत्पादों के क्षेत्र में काम करने की सलाह दी, ताकि अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त किया जा सके और उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के कार्यकारी निदेशक डॉ. एन. के. पटले ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) नामक केंद्रीय क्षेत्र की योजना तथा मधुमक्खी पालन से संबंधित परंपराओं से जुड़े पहलुओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने मधुमक्खी पालकों को एनबीएचएम के तहत उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाने और मधुमक्खी पालन को वैज्ञानिक तरीके से अपनाने के लिए आमंत्रित किया ताकि शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के माध्यम से अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सके। उन्होंने देश भर में मधुमक्खी पालकों को एनबीएचएम योजना के तहत पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
मधुमक्खी के मोम का उत्पादन और देश में इसकी वर्तमान स्थिति के बारे में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईएसीआर) के हनीबी एंड पोलिनेटर (एचबीएंडपी) के परियोजना समन्वयक डॉ. बलराज सिंह ने कहा कि भारत में मधुमक्खी पालन मुख्य रूप से केवल शहद के उत्पादन के लिए किया जाता है और इसलिए विभिन्न अन्य मधुमक्खी उत्पादों के उत्पादन के लिए मधुमक्खी पालन के विविधीकरण के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि एपिसडोर्सटा का मरुभूमि क्षेत्र देश में मधुमक्खियों के मोम उत्पादन का प्रमुख स्रोत है।
प्रगतिशील मधुमक्खी पालक और वन बी ऑर्गेनिक एलएलपी, गुजरात के निदेशक श्री दीपेनकुमार सी. पटेल ने प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार के शहद, विभिन्न मधुमक्खी उत्पादों, इसके संग्रह के तरीकों और उपयोग किए जाने वाले उपकरणों/मशीनरी के प्रकारों से परिचित कराया।
पंजाब के लुधियाना के तिवाना बी फार्म के श्री जसवंत सिंह ने कहा कि उनकी फर्म सभी प्रकार के मधुमक्खी उत्पादों और उपकरणों/मशीनरी के उत्पादन में शामिल है। उनकी फर्म मधुमक्खियों के मोम से कॉम्ब फाउंडेशन शीट्स (सीएचएस) के उत्पादन में शामिल है। मधुमक्खी पालन में सीएफएस के उपयोग की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है, क्योंकि यह मधुमक्खियों के कॉम्ब के निर्माण में लगने वाले समय और परिश्रम को कम करता है और अंततः मधुमक्खी पालकों को प्रति छत्ता अधिक शहद मिलेगा।
इंडियन बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक श्री जय प्रकाश ने सूचित किया है कि शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों में मिलावट की समस्या के समाधान के लिए, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने ऑनलाइन पंजीकरण शुरू किया है और शहद एवं अन्य मधुमक्खी उत्पादों के स्रोत की ब्लॉकचेन / ट्रेसबिलिटी प्रणाली विकसित कर रहा है। उन्होंने मधुक्रांति पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया को दर्शाया और सभी मधुमक्खी पालकों/अन्य हितधारकों से इस पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करने के लिए आगे आने का अनुरोध किया।