हमारे हस्तशिल्प हमारी जीवंत विरासत हैं; उन्हें बढ़ावा देने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए – उपराष्ट्रपति
हमारे उत्कृष्ट शिल्पकार भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं; वे हमारी संस्कृति और रचनात्मकता के राजदूत हैं – उपराष्ट्रपति
श्री धनखड़ ने सभी हस्तशिल्प उपभोक्ताओं से स्थानीय उत्पादों के लिए मुखर (वोकल फॉर लोकल) बनने का आग्रह किया
उपराष्ट्रपति ने आज विज्ञान भवन में शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि हमारे हस्तशिल्प हमारी जीवंत विरासत है, साथ ही उन्होंने हस्तशिल्प के सभी उपभोक्ताओं से स्थानीय निर्मितियों की सराहना करने और इसके बारे में मुखर होने का आग्रह किया। उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों के संगठित विपणन और उनकी ब्रांडिंग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आतंरिक वास्तुशिल्पियों (इंटीरियर डिजाइनरों) को इस समृद्ध सम्पदा पर भी ध्यान देना चाहिए।
श्री धनखड़ ने भारतीय शिल्पकारों को देश की संस्कृति और रचनात्मकता का प्रभावशाली दूत बताते हुए कहा कि उन्हें सम्मानित कर राष्ट्र उन अज्ञात कुशल शिल्पकारों की असंख्य पीढ़ियों का सम्मान कर रहा है, जो अपने पीछे इतनी समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं।
यह देखते हुए कि इन कौशलों में महारत प्राप्त करने के लिए कई पीढ़ियों के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप सबकी रचनात्मकता, कौशल और कड़ी मेहनत के कारण, भारत की हस्तकला की विश्व में सबसे अधिक मांग है। उन्होंने कहा “आप भारत की रचनात्मक परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हुए शिल्प कौशल की भारत की अमूर्त विरासत को आगे बढ़ाते हैं।”
उपराष्ट्रपति ने भारतीय हस्तशिल्पियों के कल्याण और उनकी भलाई को सुनिश्चित करने के लिए हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद और केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय गई द्वारा की की पहलों की सराहना की।
केंद्रीय वाणिज्य तथा उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण एवं वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल, वस्त्र मंत्रालय की सचिव श्रीमती रचना शाह, वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) श्री शांतमनु तथा सम्पूर्ण भारत से आए पुरस्कार विजेता और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस आयोजन में उपस्थित थे।