प्रधानमंत्री ने ‘संभावनाओं के द्वार खोलना – प्रौद्योगिकी के उपयोग से जीवन यापन को आसान बनाना’ विषय पर बजट-उपरांत वेबिनार को संबोधित किया

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नई दिल्ली,1 मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘संभावनाओं के द्वार खोलना – प्रौद्योगिकी के उपयोग से जीवन यापन को आसान बनाना’ विषय पर बजट-उपरांत वेबिनार को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘संभावनाओं के द्वार खोलना – प्रौद्योगिकी के उपयोग से जीवन यापन को आसान बनाना’ विषय पर बजट-उपरांत वेबिनार को संबोधित किया। कार्यक्रम में केद्रीय मंत्री, सचिव, संयुक्त सचिव और विभिन्न मंत्रालयों के अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू इस कार्यक्रम में वर्चुअल तौर पर शामिल हुए। विधि एवं न्याय राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल भी इस अवसर पर मौजूद थे। इस वेबिनार का समन्वय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय तथा उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा किया गया था। वेबिनार के एक भाग के रूप में, विभिन्न विषयों पर चार समानांतर सत्र आयोजित किए गए – पहुंच के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके जीवन को आसान बनाना (एमईआईटीवाई के नेतृत्व में); न्याय तक पहुँच को आसान बनाना (डीओजे के नेतृत्व में); प्रौद्योगिकी का उपयोग करके व्यापार करने में आसानी, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए (डीपीआईआईटी के नेतृत्व में); और 5जी उपयोग-उदाहरण और प्रयोगशाला का उपयोग करके जीवन को आसान बनाना (डीओटी के नेतृत्व में)।

सत्र 2 के एक नोडल विभाग के रूप में, न्याय विभाग ने न्याय तक पहुँच को आसान बनाना (ई-न्यायालय) पर सत्र आयोजित किया, जिसके तहत आज जैसलमेर हाउस, नई दिल्ली में ई-न्यायालय परियोजना हितधारक परामर्श का आयोजन हुआ। सत्र का संचालन सचिव (न्याय) एस.के.जी. रहाटे और सह-संचालन पी.पी. पांडे जेएस (ई-न्यायालय) ने किया। कार्यक्रम के बाद, विशिष्ट श्रोताओं का प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान ई-न्यायालय मिशन मोड परियोजना पर लघु फिल्म का भी अनावरण किया गया, जिसमें इसके गठन के बाद से इसकी उपलब्धियों को दर्शाया गया है।

“भारतीय न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना” के आधार पर भारतीय न्यायपालिका के आईसीटी विकास के लिए न्याय विभाग और ई-समिति, सर्वोच्च न्यायालय की साझेदारी में ई-न्यायालय मिशन मोड परियोजना कार्यान्वित की गई है।

माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में, ई-न्यायालय ने शासन के पारंपरिक तरीकों को बदल दिया है और हाल ही में अपने 2 चरणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। केंद्र सरकार ने अपने बजट 2023-24 में ई-न्यायालय चरण III के लिए 7000 करोड़ रुपये की घोषणा की है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचैन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने और पूरी तरह कागज़ रहित अदालत की ओर बढ़ने के लिए, ई-न्यायालय एमएमपी के चरण- III में न्यायपालिका को आम नागरिकों के लिए अधिक सुलभ बनाने की परिकल्पना की गई है। न्याय विभाग द्वारा आज हितधारक परामर्श आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय न्यायालयों के प्रौद्योगिकी सक्षम योग्यता के साथ आगे बढ़ने के तरीके पर विचार-विमर्श करने के लिए विविध क्षेत्रों के प्रख्यात विशेषज्ञ शामिल हुए।

सूर्य प्रकाश बी एस, कार्यक्रम निदेशक, दक्ष ने उपयोगकर्ता-दृष्टिकोण से ई-न्यायालय परियोजना की जरूरतों और अपेक्षाओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। उन्होंने चरण III के लिए 7000 करोड़ रुपये के अनंतिम बजटीय आवंटन को वर्तमान सरकार की एक उल्लेखनीय उपलब्धि बताया और कहा कि आम जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यापक सुधार किए जाएंगे।

अभिलाष मल्होत्रा, केंद्रीय परियोजना समन्वयक, दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में वर्चुअल न्यायालयों के अपने अनुभव और ई-न्यायालय चरण- III के तहत विस्तार की गुंजाइश के बारे में बातें साझा की। उन्होंने प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और कुशल बनाने के लिए न्यायपालिका में नवीनतम तकनीकी साधनों के एकीकरण पर भी जोर दिया।

व्यापक स्तर पर परिवर्तन लाने के लिए सभी हितधारकों द्वारा प्रौद्योगिकी को अपनाया जाना आवश्यक है। एपीजे-एसएलजे लॉ ऑफिस के अधिवक्ता और वरिष्ठ सहभागी श्री जोसेफ पुक्कट्ट ने कहा कि हम ऐसी रूपरेखा तैयार करने की स्थिति में हैं, जिस पर आने वाली पीढ़ियां भरोसा कर सकें।

चकित स्वरूप ने आईसीजेएस या अंतर-संचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली को मुख्य धारा में लाने पर जोर दिया, जो भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से आपराधिक न्याय प्रणाली के 5 महत्वपूर्ण स्तंभों यानि ई-न्यायालय, सीसीटीएनएस या पुलिस स्टेशन, ई-जेल, ई-अभियोजन, ई-फोरेंसिक्स को एकीकृत किया जाएगा, ताकि सूचनाएं इन विभिन्न घटकों के बीच निर्बाध रूप से प्रवाहित हो सकें और हम कानूनी मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित कर सकें।

डॉ विवेक राघवन, पूर्व मुख्य उत्पाद प्रबंधक, यूआईडीएआई ने न्याय को और अधिक सुलभ बनाने के लिए न्यायपालिका में एआई के अनुप्रयोग के महत्व पर जोर देते हुए वास्तविक जीवन के उदाहरणों का हवाला दिया। उन्होंने सभी लोगों तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए कानूनी मामलों को क्षेत्रीय/स्थानीय भाषाओं में अनुवादित करने के क्रम में नई पीढ़ी के कानूनी उपकरणों तथा वक्तव्य पहचान सॉफ्टवेयर का उपयोग करने का भी सुझाव दिया।

सचिव (न्याय) एस.के.जी. रहाटे ने विविध पृष्ठभूमि के सभी विशिष्ट वक्ताओं को व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद दिया और जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘डिजिटल इंडिया’ की व्यापक दृष्टि के साथ एक राष्ट्र के रूप में भारत 2047 तक एक विकसित देश बनने की राह पर है और अमृत काल का यह कालखंड हमारे प्रभाव क्षेत्र में परिवर्तन लाने का अवसर प्रस्तुत करता है। इस प्रकार न्याय विभाग; भारत की ई-समिति, सर्वोच्च न्यायालय के सहयोग से अपनी ई-न्यायालय मिशन मोड परियोजना के माध्यम से 21वीं सदी की प्रौद्योगिकियों को सक्षम बनाने के साथ कागज रहित अदालतों के सपने को पूरा करने के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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