प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक की अध्यक्षता की
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 30 दिसंबर, 2022 को कोलकाता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। श्री मोदी ने कहा कि परिषद की बैठक नमामि गंगे पहल को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करने का एक शानदार अवसर प्रदान करती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने छोटे शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के नेटवर्क के विस्तार सहित स्वच्छता के प्रयासों को बढ़ाने के तरीकों के बारे में भी बताया। बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री ने गंगा के किनारे विभिन्न रूपों में हर्बल खेती को बढ़ाने के उपायों पर जोर दिया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि मां गंगा की पवित्रता हमारी साझी विरासत के साथ-साथ हमारा दायित्व भी है। हमारे पूर्वजों ने हमें एक अनमोल विरासत दी है और यह हमारी नियति है कि हम इस विरासत को आने वाली पीढ़ियों को उसी स्थिति में और उसी पवित्रता के साथ सौंपें।
• ये परियोजनाएं पश्चिम बंगाल राज्य में 200 एमएलडी से अधिक की सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता को बढ़ाएगी
• प्रधानमंत्री ने 1,585 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 5 सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं (8 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और 80 किलोमीटर नेटवर्क) की आधारशिला रखी
• प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार हासिल किया गया है: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री शेखावत
• उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और बिहार के उपमुख्यमंत्री ने अपने राज्यों से संबंधित कुछ मुद्दों से अवगत कराया
• बैठक में भाग लेने वाले केंद्रीय मंत्रियों ने गंगा बेसिन में लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए अपने मंत्रालयों से पर्याप्त समर्थन का आश्वासन दिया, जैसा कि प्रधानमंत्री द्वारा दी गई अर्थ गंगा अवधारणा में परिकल्पित है।
• बैठक से पहले, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नमामि गंगे और पेयजल और स्वच्छता परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री ने 990 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 7 सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं (20 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और 612 किमी नेटवर्क) का उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं से नबद्वीप, कछरापरा, हलीशर, बज-बज, बैरकपुर, चंदन नगर, बांसबेरिया, उत्तरपारा कोटरंग, बैद्यबती, भद्रेश्वर, नैहाटी, गरूलिया, टीटागढ़, और पनिहाटी नगरपालिकाओं को लाभ होगा। ये परियोजनाएं पश्चिम बंगाल राज्य में 200 एमएलडी से अधिक की सीवेज उपचार क्षमता को बढ़ाएगी।
• प्रधानमंत्री ने 1,585 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के तहत विकसित की जाने वाली 5 सीवरेज बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (8 सीवेज उपचार संयंत्र और 80 किलोमीटर नेटवर्क) की आधारशिला भी रखी। इन परियोजनाओं से पश्चिम बंगाल में 190 एमएलडी नई एसटीपी क्षमता जुड़ जाएगी। इन परियोजनाओं से उत्तरी बैरकपुर, हुगली-चिनसुरा, कोलकाता केएमसी क्षेत्र- गार्डन रीच और आदि गंगा (टोलीनाला) और महेस्तला शहर के क्षेत्रों को लाभ होगा।
• प्रधानमंत्री ने कोलकाता में टॉलीनाला और गंगा की एक सहायक नदी आदि गंगा नदी के कायाकल्प के लिए परियोजना के महत्व के बारे में बताया। नदी की खराब स्थिति को देखते हुए, एनएमसीजी द्वारा 653.67 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर परियोजना को मंजूरी दी गई है, जिसमें 10 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी), 11.60 एमएलडी और 3.5 एमएलडी क्षमता के 3 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और आधुनिक सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण शामिल है। यह परियोजना शत-प्रतिशत केंद्र प्रायोजित है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि नदियों की सफाई और कायाकल्प की दिशा में कार्यक्रम के तहत समग्र निवारक कदम उठाए जा रहे हैं। इन कदमों को देश की अन्य नदियों में दोहराने की जरूरत है, जो प्रदूषण की चुनौतियों का सामना कर रही हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विस्तार से बताया कि देश के अन्य हिस्सों में नदियों के लिए इस तरह की पहल को स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं को देखते हुए विकसित करने की आवश्यकता है और इस प्रकार परिषद में चर्चा के परिणाम के माध्यम से इसे सुगम बनाया जा सकता है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि परिषद के सदस्य अपने विशाल अनुभव और नेतृत्व के माध्यम से पहल करने के लिए विचार और तरीके बताएंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्थानीय निकायों जैसे नगरपालिका, ग्राम पंचायतों को मिशन की गतिविधियों में शामिल करने की भी बात कही। इससे जमीनी स्तर पर राज्य सरकार की क्षमता भी बढ़ेगी और गंगा मिशन सफल होगा।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने गंगा नदी को नौवहन जलमार्ग के रूप में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भारत में 1,000 से अधिक जलमार्गों का निर्माण किया जा रहा है और उन्होंने यह भी कहा कि हमारा उद्देश्य आधुनिक क्रूज जहाजों को भारतीय नदियों में चलाना है। जलमार्गों के पर्याप्त विकास के साथ, भारत का क्रूज पर्यटन क्षेत्र एक भव्य नई यात्रा शुरू करने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने घोषणा करते हुए कहा कि 13 जनवरी, 2023 को दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज काशी से 2,300 किलोमीटर की यात्रा करके बांग्लादेश होते हुए डिब्रूगढ़ पहुंचेगा।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने नदी की स्वच्छता में जन आंदोलन और जनभागीदारी के महत्व पर जोर दिया। मां गंगा को स्वच्छ रखने का संकल्प प्रत्येक नागरिक को लेना होगा, तभी सरकार के सभी प्रबंध सफल होंगे।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने परिषद के सदस्यों को सूचित किया कि यह 2016 के प्राधिकरण अधिसूचना आदेश के अनुसरण में राष्ट्रीय गंगा परिषद की दूसरी बैठक है। परिषद नमामि गंगे कार्यक्रम को आगे बढ़ाने और भारत में सबसे पूजनीय और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण नदी गंगा की निर्मलता और अविरलता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को निर्देश प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
श्री शेखावत ने 2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद (एनजीसी) की पहली बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित अर्थ गंगा के महत्वपूर्ण घटक के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि अर्थ गंगा के तहत कई प्रमुख पहलें शुरू की गई हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य “अर्थव्यवस्था के सेतु” के माध्यम से लोगों को नदी से जोड़ना और नमामि गंगे को पूरे देश के लिए स्वयं अविरल नदी कायाकल्प मॉडल के रूप में विकसित करना है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, उपचारित जल और कीचड़ का पुन: उपयोग, आजीविका सृजन, संस्थागत क्षमता निर्माण आदि सहित कई नई पहल की गई हैं।
इसके अलावा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और बिहार के उपमुख्यमंत्री द्वारा कुछ मुद्दों को उठाया गया और साझा किया गया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में नदी तट के कटाव का मुद्दा उठाया और केंद्र से राज्यों के परामर्श से बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन कार्यक्रम के लिए एक तंत्र तैयार करने का अनुरोध किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल में तटीय क्षेत्र में कटाव और इससे जुड़े मुद्दे भी उठाए और केंद्र से उचित वित्तीय सहायता के माध्यम से तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए तकनीकी और वित्तीय रूप से राज्यों की मदद करने की मांग की। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने सुंदरबन क्षेत्र के साथ-साथ गंगा सागर मेले के महत्व के बारे में चर्चा की, जिसमें हर साल लाखों लोग हिस्सा लेते हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव ने बिहार में गाद के मुद्दे को उठाया और केंद्र से आग्रह किया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए राज्यों के परामर्श से आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में कहा कि कुंभ मेला 2019 के दौरान 200 मिलियन से अधिक लोगों का गंगा के साफ पानी में डुबकी लगाना नदी में बेहतर जल गुणवत्ता और जैव विविधता को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 2025 तक जब अगला कुंभ मेला होगा, उत्तर प्रदेश में सीवरेज परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी। उन्होंने उत्तर प्रदेश में छोटी नदियों के कायाकल्प के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि 75 परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। उत्तर प्रदेश में गंगा कायाकल्प के सभी पहलुओं पर समग्र रूप से ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि नमामि गंगे को एक आत्मनिर्भर नदी कायाकल्प मॉडल बनाने के लिए राज्य में अर्थ गंगा के तहत कदम उठाए जाएंगे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि राज्य में पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है और राज्य प्रशासन गंगा नदी के प्राचीन गौरव को बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री धामी ने राज्य में अर्थ गंगा मॉडल के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता का भी आश्वासन दिया।
झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने बताया कि झारखण्ड में गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा उचित सहायता दी जा रही है तथा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की योजनाएं चलाई जा रही हैं।
बैठक में भाग लेने वाले केंद्रीय मंत्रियों ने प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित अर्थ गंगा की अवधारणा के अनुसार गंगा बेसिन में लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने और क्षेत्र में पर्यावरण की स्थिति और जैव विविधता की बेहतरी की दिशा में काम करने के लिए अपने-अपने मंत्रालयों की योजनाओं को लागू करने के लिए अपने मंत्रालयों से पर्याप्त समर्थन का आश्वासन दिया। ।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गंगा बेसिन राज्यों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय की पहलों के बारे में बताया। केंद्रीय जहाजरानी मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि नदी पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय गंगा नदी जलमार्गों को विकसित करने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। केंद्रीय विद्युत मंत्री श्री आर. के. सिंह ने शुरू में इसे लागू करने के लिए 13 ताप विद्युत संयंत्रों की पहचान के साथ 50 किलोमीटर के दायरे में स्थित ताप विद्युत संयंत्रों में एसटीपी से उपचारित पानी का उपयोग करने के लिए अपने मंत्रालय की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यों में गंगा बेसिन सीवरेज ट्रीटमेंट क्षमता बढ़ाने के लिए एनएमसीजी के साथ अपने मंत्रालय की अमृत 2.0 जैसी योजनाओं को एक साथ मिलाने का आश्वासन दिया। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि बेसिन क्षेत्र में जैव विविधता के संरक्षण और सुधार के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। पर्यटन मंत्री श्री किशन रेड्डी ने नदी और घाट आधारित विरासत पर्यटन के माध्यम से पर्यटन और रोजगार सृजन संबंधी गतिविधियों को विकसित करने के लिए अपने मंत्रालय की कई पहलों के बारे में बताया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने पानी की गुणवत्ता और उभरते हुए दूषित पदार्थों की तत्काल की निगरानी के लिए स्वदेशी रूप से विकसित नई तकनीकों और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग के बारे में भी बताया।
• नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी ने कहा कि नमामि गंगे के तहत परियोजनाओं के संबंध में पीएम गति शक्ति का उपयोग किया जा सकता है और नमामि गंगे जैसे सफल कार्यक्रमों के लिए जी20 प्लेटफॉर्म का उपयोग ब्रांडिंग के अवसर के रूप में किया जा सकता है। इससे पहले नदी विकास एवं गंगा संभरण मंत्रालय के जल संसाधन विभाग के सचिव श्री पंकज कुमार और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने एनजीसी की पिछली बैठक के बाद, कानपुर में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्यों की प्रगति और अर्थ गंगा के तहत की गई पहलों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।