स्टील और स्टेनलेस स्टील पर निर्यात शुल्क हटाने से अर्थव्यवस्था के इस क्षेत्र को मिलेगी मजबूती: ज्योतिरादित्य सिंधिया
सरकार पूंजीगत बुनियादी ढांचे को बढ़ाकर इस्पात की मांग बढ़ाने की इच्छुक- श्री सिंधिया
‘स्टील के लिए “मेड इन इंडिया” ब्रांड को आगे बढ़ाने की जरूरत’
केंद्रीय इस्पात और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सरकार द्वारा स्टील और स्टेनलेस स्टील पर निर्यात शुल्क हटाने से देश के इस्पात क्षेत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत होगी, और इसे वैश्विक बाजार में मजबूती से अपनी स्थिति स्थापित करने में भी मदद मिलेगी।
सरकार ने पिछले शनिवार को लौह अयस्क लंप और 58 प्रतिशत लौह सामग्री से कम लौह अयस्क पेलेट्स और पिग आयरन सहित निर्दिष्ट इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क वापस ले लिया था। एन्थ्रेसाइट/पीसीआई कोयला, कोकिंग कोल, कोक और सेमी कोक और फेरोनिकेल पर आयात शुल्क रियायतें भी वापस ले ली गईं थीं। आज भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) के तीसरे सम्मेलन में मुख्य भाषण देते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि इस्पात क्षेत्र न केवल अपनी अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति को बहाल करेगा बल्कि घरेलू बाजार में अपेक्षाकृत कम समय में नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा।
श्री सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रति वर्ष लगभग 17 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए जनादेश दिया है, इस प्रकार इस्पात की मांग लगभग दो अंकों (लगभग 10 प्रतिशत प्रति वर्ष) तक बढ़ रही है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इस्पात क्षेत्र न केवल कोविड-19 के चरम पर होने के दौरान एक कठिन समय से उभरा है, बल्कि यह और मजबूत, अधिक लचीला, वैश्विक, केंद्रित और प्रतिबद्ध क्षेत्र के रूप भी उभरा है। हमारे क्षेत्र ने पिछले आठ वर्षों के दौरान एक बड़ा परिवर्तन देखा है और यह विश्व स्तर पर चौथे सबसे बड़े उत्पादक से अब दूसरे सबसे बड़े उत्पादक और स्टील के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में उभरा है।
उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी विकास पथ की कल्पना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 में शताब्दी काल द्वारा एक आत्मनिर्भर भारत के रूप में की थी। आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के इस मिशन में बुनियादी ढांचे और विनिर्माण को बढ़ावा देना शामिल होगा जिनमें से स्टील एक महत्वपूर्ण आधारभूत अंश है। इसके लिए उन्होंने “मेड इन इंडिया” स्टील ब्रांड स्थापित करने पर भी जोर दिया।
मंत्री के अनुसार घरेलू स्टील के उपयोग की नीति से इस्पात आयात पर 22,400 करोड़ रुपए की बचत हुई है। उन्होंने उद्योग से सर्कुलर इकोनॉमी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया, जिसमें स्क्रैप से स्टील उत्पादन की दिशा में धीरे-धीरे आंदोलन शामिल होगा। घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए श्री सिंधिया ने कहा कि विशिष्ट इस्पात के लिए पीएलआई योजना (उत्पादकता से जुड़ा प्रोत्साहन) को 35 कंपनियों से 79 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 46,020 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और लगभग 26 मिलियन टन की क्षमता में वृद्धि हुई है, और लगभग 70,000 लोगों के रोजगार सृजन की क्षमता विकसित हुई है। उन्होंने कहा कि यह पीएलआई योजना आने वाले महीनों में घरेलू इस्पात मांग को नई गति प्रदान करेगी।
आईएसए के अध्यक्ष श्री दिलीप ओमेन; सेल की अध्यक्ष श्रीमती सोमा मंडल; कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र में टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक श्री टी. वी. नरेंद्रन और भारतीय इस्पात उद्योग के अन्य हितधारकों ने अपने विचार व्यक्त किए। इन सभी ने स्टील और स्टेनलेस स्टील पर निर्यात शुल्क हटाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया और इसे भारतीय इस्पात क्षेत्र के लिए एक बूस्टर बताया। इस अवसर पर इस्पात बिरादरी के विभिन्न सदस्यों को आईएसए स्टील पुरस्कार प्रदान किए गए, जिनमें धातु और खनन के उपाध्यक्ष श्री जतिंदर मेहरा शामिल थे, जिन्हें इस क्षेत्र में उनके अनुकरणीय कार्य और योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र में ‘पाथवेज टू लो कार्बन एमिशन स्टील’ पर एक नॉलेज पेपर भी जारी किया गया।