सर्बानंद सोनोवाल ने हिंद महासागर की नीली अर्थव्यवस्था की क्षमता का उपयोग करने के लिए विभिन्न पहलों के लिए की घोषणा

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नई दिल्ली, 5नवंबर। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को चेन्नई, तमिलनाडु में भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय (आईएमयू) के सातवें दीक्षांत समारोह में कई पहलों की घोषणा की। केंद्रीय मंत्री ने आईएमयू के समुद्री अध्ययन नीति अनुसंधान केंद्र (सी-पीआरआईएमईएस) का भी उद्घाटन किया।

सी-पीआरआईएमईएस केंद्र समुद्री अध्ययन करने के साथ समुद्री अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करेगा। सरकार के सागरमाला कार्यक्रम के विजन को देखते हुए, श्री सोनोवाल द्वारा आज यहां आईएमयू दीक्षांत समारोह में हिंद महासागर की नीली अर्थव्यवस्था की विशाल क्षमता का उपयोग करने के लिए कई पहलों की घोषणा की गई।

इस अवसर पर सोनोवाल ने कहा, “आज यहां इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लेकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। भारत अमृत काल के दौरान आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहा है, ऐसे में भारत की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने में नीली अर्थव्यवस्था की भूमिका बहुत बड़ी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में मंत्रालय अपने सागरमाला कार्यक्रम के माध्यम से देश की तटीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का कार्य कर रहा है। अपनी अवसंरचना में सुधार करते हुए, हमें अवसर का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए, क्योंकि महासागर से जुड़ी नीली अर्थव्यवस्था, विकास के लिए एक उभरता हुआ क्षेत्र है।
समुद्री क्षेत्रों से नए अवसरों को जोड़ते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, “नौवहन, अपतटीय खनिज अन्वेषण, मछली पकड़ना, समुद्र के अन्दर केबल बिछाना और पर्यटन जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा, हमें अपनी अर्थव्यवस्था को उभरते हुए क्षेत्रों जैसे मत्स्य पालन व जलीय कृषि, समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, समुद्री ऊर्जा और समुद्री तल खनन आदि का सर्वोत्तम लाभ लेने के लिए तैयार करना चाहिए। यह केवल हमारे प्रतिभाशाली छात्रों को आधुनिक समुद्री प्रौद्योगिकियों पर उपलब्ध सर्वोत्तम ज्ञान और प्रशिक्षण देने के माध्यम से किया जा सकता है, जिसे यहां आईएमयू में संभव बनाया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि हम अपने छात्रों और कैडेटों को सर्वोत्तम संभव प्रशिक्षण देने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए समुद्री अर्थव्यवस्था का उपयोग किया जा सके।

छात्रों को क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों से अवगत कराने के उद्देश्य से, प्रशिक्षण मॉड्यूल को बेहतर बनाने के क्रम में छात्रों को ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स (जीआईएएन) योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। औद्योगिक अनुसंधान, परामर्श और नीति अध्ययन में आईएमयू की क्षमता को मजबूत बनाने के लिए, आईएमयू, इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन इंजीनियर्स इंडिया (आईएमई-आई) के समर्थन से अग्रणी संस्थान बना है और कंपनी ऑफ मास्टर मेरिनर्स ऑफ इंडिया (सीएमएमआई) के जरिये कैडेटों और छात्रों को काम-काज के पेशेवर तरीके सिखाये जा रहे हैं। संकाय के प्रशिक्षण में तीन साल के लिए ₹3 लाख का संचयी व्यावसायिक विकास भत्ता (सीपीडीए) भी पेश किया गया है। समुद्री अर्थव्यवस्था से जुड़ी नीति अनुसंधान पर काम करने के लिए आईएमयू ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी (एनआईएएस), बेंगलुरु और रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम (आरआईएस), नई दिल्ली के साथ भी समझौते किये हैं। बेल्जियम स्थित एंटवर्प पोर्ट ट्रेनिंग सेंटर के विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों हेतु छात्रों के नामांकन के लिए आईएमयू में एक कैरियर उन्नयन योजना चल रही है, ताकि संकाय का कैरियर विकास तेजी से हो सके।

स्व-प्रणोदन मॉडल (एसपीएम) पर ‘ऊर्जा कुशल नदी सर्वेक्षण ड्रिफ्टर ड्रोन (स्वायत्त सर्वेक्षण शिल्प) के विकास’ के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) द्वारा आईएमयू को ₹ 21.94 लाख की एक परियोजना प्रदान की गई, जो हाल के वर्षों में आईएमयू की विभिन्न उपलब्धियों में से एक है।
इसके अलावा, तमिलनाडु सरकार द्वारा संगम युग के कोरकाई बंदरगाह के अपतटीय टोही सर्वेक्षण के संबंध में ₹ 57.50 लाख की परियोजना को मंजूरी दी गई थी। यह तमिलनाडु एनआईओटी, चेन्नई के सहयोग से आईएमयू द्वारा हाल में शुरू की गयी विभिन्न शोध परियोजनाओं में से एक है।

इससे पहले आईएमयू के दीक्षांत समारोह में सर्बानंद सोनोवाल ने विभिन्न विषयों के श्रेष्ठ छात्रों को स्वर्ण पदक और रजत पदक प्रदान किए।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा पर्यटन राज्य मंत्री श्रीपद नाइक भी उपस्थित थे। आईएमयू की कुलपति डॉ मालिनी वी शंकर ने दीक्षांत समारोह का उद्घाटन किया था। कम से कम 401 छात्रों को व्यक्तिगत रूप से उनकी संबंधित डॉक्टरेट डिग्री, स्नातकोत्तर डिग्री और डिप्लोमा के साथ-साथ सभी स्कूलों की स्नातक डिग्री प्रदान की गई। लगभग 3179 छात्रों ने वर्चुअल रूप में डिग्री प्राप्त की। समारोह में सभी की सुंदर यादें सामने आयीं। भव्य समारोह में श्री के. सरवनन, कुलसचिव; कमोडोर किशोर दत्तात्रेय जोशी (सेवानिवृत्त), परीक्षा नियंत्रक और अन्य वरिष्ठ आईएमयू अधिकारी उपस्थित थे।

आईएमयू – जिसका मुख्यालय चेन्नई में है – की स्थापना; 14 नवंबर, 2008 को गुणवत्तापूर्ण समुद्री शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान प्रदान करने के लिए एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी तथा इसे सात विरासत संस्थानों को मिलाकर गठित किया गया था। आईएमयू चेन्नई, कोच्चि, कोलकाता, मुंबई, नवी मुंबई और विशाखापत्तनम स्थित अपने 6 परिसरों में स्नातक (यूजी), स्नातकोत्तर (पीजी), और पीएचडी डिग्री प्रदान करता है। आईएमयू से 17 समुद्री प्रशिक्षण संस्थानों को मान्यता प्राप्त है। विश्वविद्यालय अपने विरासत संस्थानों (टीएस चाणक्य, मेरी मुंबई, एलबीएस कैमसर, मेरी कोलकाता, आईआईपीएम कोलकाता, एनएसडीआरसी विजाग और एनएमए चेन्नई) की ताकत पर आगे बढ़ना जारी रखे हुए है, क्योंकि इसने एक वैश्विक अनुसंधान उन्मुख समुद्री विश्वविद्यालय बनने की अपनी यात्रा शुरू की है।

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