श्री पीयूष गोयल ने भारत-ब्रिटेन एफटीए वार्ताओं पर चर्चा करने के लिए ब्रिटेन की विदेश मंत्री सुश्री केमी बडेनोच से मुलाकात की
दोनों मंत्रियों ने वर्तमान में जारी भारत-ब्रिटेन एफटीए वार्ताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की भारत-ब्रिटेन एफटीए दोनों देशों के बीच रोजगारों, निवेशों और निर्यात को बढ़ावा देगा
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार विदेश मंत्री सुश्री केमी बडेनोच, एमपी ने भारत-ब्रिटेन एफटीए वार्ताओं पर चर्चा करने के लिए आज नई दिल्ली में मुलाकात की। भारत-ब्रिटेन एफटीए वार्ताओं और द्विपक्षीय व्यापार एवं आर्थिक संबंधों के दायरे पर चर्चा की गई। दोनों मंत्रियों ने वर्तमान में जारी भारत-ब्रिटेन एफटीए वार्ताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की जो दोनों देशों के बीच रोजगारों, निवेशों और निर्यात को बढ़ावा देने की पूरी क्षमता को प्रकट करेगी। यह दर्ज किया गया कि भारत-ब्रिटेन एफटीए वार्ताओं का छठा दौर वर्तमान में नई दिल्ली में जारी है। बातचीतों की स्थिति पर संतोष व्यक्त करते हुए इस पर सहमति जताई गई कि वार्ता को अति शीघ्र संपन्न करने के उद्वेश्य से इसे आगे भी जारी रखा जाएगा। दोनों मंत्रियों ने वार्ताकारी टीम से पारस्परिकता और एक दूसरे की संवेदनशीलताओं के सम्मान के लिए तथा एक संतुलित, आपसी रूप से लाभदायक, निष्पक्ष और न्यायसंगत परिणाम के सिद्धांत पर आधारित परस्पर समायोजन की भावना से मतभेदों को दूर करने के लक्ष्य के साथ एकजुट होकर काम करने का आग्रह किया।
द्विपक्षीय बैठक के बाद, दोनों मंत्रियों ने भारत और ब्रिटेन के व्यवसायियों के साथ परस्पर बातचीत की। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने उल्लेख किया कि भारत और ब्रिटेन के निवेश और आर्थिक संबंध पहले से ही मजबूत हैं और पिछले कुछ वर्षों के दौरान उनमें और वृद्धि हुई है। भारत ने अपनी विकास गाथा को आगे बढ़ाने के लिए एक निर्यात केंद्रित कार्यनीति अपनाई है जो समावेशी तथा टिकाऊ है। भारत सरकार ने पीएलआई स्कीम, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, विकास वित्त संस्थान एवं गैर कार्यनीतिक क्षेत्र पीएसयू के निजीकरण सहित कई नीतियां बनाई हैं तथा सुधार लागू किए हैं। इसके अतिरिक्त, प्रक्रियाओं और अनुमोदनों के डिजिटलीकरण, प्रक्रियाओं के सरलीकरण, पुराने एवं अप्रचलित कानूनों की समाप्ति आदि सहित व्यवसाय करने की सुगमता से संबंधित कई पहल की गई है। उन्होंने भारत और ब्रिटेन के उद्योगपतियों से दोनों देशों की आर्थिक समृद्धि के लिए इन पहलों का लाभ उठाने का अनुरोध किया।