श्री पीयूष गोयल ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा और उद्यमियों के उत्पीड़न को रोकने के बीच संतुलन पर जोर दिया
श्री पीयूष गोयल ने राज्यों से कारोबारी सुगमता में सुधार के लिए एलएम एक्ट को अपराध से मुक्त करने के प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह किया
केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वस्त्र तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कारोबारियों को परेशान किए बिना उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग की है।
आज यहां ‘लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 पर राष्ट्रीय कार्यशाला’ में अपने उद्घाटन में श्री गोयल ने कानूनों को अपराध से मुक्त करने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण का सुझाव दिया और राज्यों से कानूनों को सरल बनाने की आवश्यकता के साथ उपभोक्ताओं के हितों को संतुलित करने की पहल का समर्थन करने का आग्रह किया ताकि व्यवसायों विशेष रूप से छोटे उद्यमों को अनुचित कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े।
श्री पीयूष गोयल ने कहा, “यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि उपभोक्ताओं के साथ अन्याय न हो और साथ ही व्यापारियों के प्रति जिम्मेदारी को समझें ताकि वे शांति से काम कर सकें।”
उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से दुर्भावनापूर्ण और वास्तविक मामलों के बीच अंतर पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि बाट और माप के अंकन के स्थानों पर यदि कोई गलत काम किया जाता है, तो सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी इसका उल्लेख है, जिससे इस बात का संकेत मिलता है कि ‘वजन और माप के मुख्य नियंत्रक’ और राज्यों की ओर से ‘हर चार महीने में एक बार सभी माप उपकरणों का निरीक्षण किया जाना चाहिए और स्टांप शुल्क के भुगतान पर मुहर लगाया जाना चाहिए।’
आंकड़ों के बारे में श्री गोयल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पहली बार किए गए अपराधों के 97 प्रतिशत मामले सीमित धाराओं में दर्ज किए गए थे, जबकि समान धाराओं के तहत कोई दूसरा अपराध दर्ज नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा उन राज्य सरकारों को बेनकाब करता है जो गैर-अपराधीकरण का विरोध कर रही हैं।
उन्होंने राज्यों से सवाल किया, “पहली बार किए गए अपराध के मामलों की संख्या इतनी अधिक और दूसरी बार किए गए अपराध के मामलों की संख्या शून्य क्यों हैं? संबंधित राज्यों में दूसरी बार किए गए अपराध के रूप में कितने मामले हैं? सरकार ने ऐसा क्या किया है जहां अपराध के मामले दूसरी बार नहीं हुए हैं?”
उपभोक्ता कार्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा 2018-19 में पहली बार किए गए अपराध के रूप में दर्ज किए गए मामलों की संख्या 1,13,745 थी, जबकि कंपाउंडेड मामले 97,690 थे। इसी अवधि में, दूसरी बार किए गए अपराधों की संख्या जिसमें मामला दर्ज किया गया था, उनमें से केवल 4 मामले अदालत में दायर किए गए थे।
श्री गोयल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “इस प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए, अपराधों की संख्या धीरे-धीरे शून्य हो जानी चाहिए।”
अपने भाषण में उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि यह कार्यशाला एलएम अधिनियम को अपराध से मुक्त करने के लिए सिफारिशों को अंतिम रूप देने में मदद करेगी। इससे पहले, इस मुद्दे पर 2 जुलाई, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी राज्य सरकारों के साथ चर्चा की गई थी, जिसमें कुछ राज्य एलएम अधिनियम के प्रावधानों को अपराध से मुक्त करने के पक्ष में नहीं थे।
श्री गोयल ने कहा कि एक पारदर्शी प्रणाली लाना महत्वपूर्ण है ताकि लोग सरलता से व्यापार कर सकें। उन्होंने कहा कि ‘जागो ग्राहक जागो’ केवल एक नारा नहीं होना चाहिए। उपभोक्ता जागरूकता अभियान होने चाहिए। उपभोक्ताओं को शिकायतों के साथ आगे आने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि समग्र रूप से समाज को लाभ हो।
उन्होंने प्रक्रिया को सरल बनाने का सुझाव देते हुए कहा कि जहां कहीं भी रिपोर्ट की गई है, वहां गैर-अनुपालन के खिलाफ समन्वित कार्रवाई करने का एक तरीका होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निवेशकों को यह संदेश मिलना चाहिए कि आदतन अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन ईमानदार कारोबारियों को बेवजह नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।
श्री गोयल ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के अभियान की सराहना की, जिसने नकली हेलमेट, प्रेशर कुकर और रसोई गैस सिलेंडर आदि की बिक्री को रोकने के लिए एक देशव्यापी अभियान शुरू किया। उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल टू ग्लोबल’ के दृष्टिकोण के बारे में बताया तथा ‘वन नेशन वन स्टैंडर्ड’ के रूप में गुणवत्ता हासिल करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि विश्व 20 मई को विश्व मापविज्ञान दिवस मनाएगा, तब तक उपभोक्ताओं के लाभ के लिए एक पारदर्शी और उपभोक्ता-केंद्रित एलएम अधिनियम को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
उन्होंने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ दो ई-बुक का विमोचन भी किया। एक ई-बुक सभी संशोधनों के साथ लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज), नियमावली 2011 के सभी प्रावधानों का एक संग्रह है। अन्य ई-बुक में लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज), नियमावली 2011 से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) शामिल हैं। साथ ही, ये दो ई-बुक सभी हितधारकों को यह समझने में मदद करेंगी कि लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियमावली 2011 के तहत उनसे क्या अपेक्षित है।
कार्यशाला में उपस्थित उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी चौबे ने जोर देकर कहा कि कार्यशाला में कानूनी मापविज्ञान अधिनियम के प्रावधानों पर चर्चा की जाएगी और इस पर आम सहमति बनाई जाएगी कि कैसे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए कारोबारी सुगमता सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उद्योग को कलंकित करना अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल नहीं है और व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों को उनके समृद्ध होने के लिए आधिकारिक मशीनरी के उत्पीड़न से बचाने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि अनजाने में हुई त्रुटि के लिए कारोबारियों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए, हालांकि, दोहराने वाले अपराधियों को कार्रवाई से नहीं बख्शा जाना चाहिए।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुश्री साध्वी निरंजन ज्योति ने अपने मुख्य भाषण में इस बात पर जोर दिया कि माननीय प्रधानमंत्री के महान नेतृत्व में सरकार ने कुछ अप्रचलित कानूनों को निरस्त कर दिया है। उन्होंने देश में हो रहे परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए लीगल मेट्रोलॉजी के प्रावधानों में संशोधन के लिए कार्यशाला आयोजित करने के लिए उपभोक्ता कार्य विभाग की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित के लिए आवश्यक सभी कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यशाला के विचार-विमर्श से विभाग को उद्योग और उपभोक्ताओं की बेहतरी के तरीके खोजने में मदद मिलेगी।
उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव श्री रोहित कुमार ने इस मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब अपराध से जुड़े दायित्व को लागू करने की बात आती है तो व्यवसायों पर बोझ कम करना और निवेशकों के बीच विश्वास कायम करना, आर्थिक विकास और उपभोक्ता हितों पर ध्यान केंद्रित करना, दुर्भावनापूर्ण (दुर्भावना / आपराधिक मंशा) एक महत्वपूर्ण कारक है। इसलिए लापरवाही या अनजाने में हुई चूक की तुलना में गैर-अनुपालन यानी धोखाधड़ी की प्रकृति का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है और साथ ही, आदतन अपराधियों के विरुद्ध बार-बार गैर-अनुपालन के लिए कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला, आंध्र प्रदेश सरकार के उपभोक्ता कार्य, खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री करुमुरी वेंकट नागेश्वर राव, बिहार सरकार के कृषि मंत्री श्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, दिल्ली सरकार के खाद्य आपूर्ति, पर्यावरण तथा वन एवं निर्वाचन मंत्री श्री इमरान हुसैन, मणिपुर सरकार के उपभोक्ता कार्य, खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री एल. सुसिंड्रो मैतेई, ओडिशा सरकार के खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण विभाग के मंत्री श्री रणेंद्र प्रताप स्वैन, उत्तर प्रदेश सरकार के तकनीकी शिक्षा, उपभोक्ता संरक्षण, बाट और माप मंत्री श्री आशीष पटेल और सिक्किम सरकार के शहरी एवं आवास विकास, खाद्य तथा नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता कार्य मंत्री श्री अरुण कुमार उप्रेती कार्यशाला में उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपर सचिव सुश्री निधि खरे, संयुक्त सचिव श्री अनुपम मिश्रा और संयुक्त सचिव श्री विनीत माथुर भी उपस्थित थे।
पिछले वर्षों में धारा-वार विवरण
धारा/वर्ष | 2018-19 | 2019-20 | 2020-21 | 2021-22 | ||||
धारा | पहला अपराध
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अपराध (% में)
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पहला अपराध
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अपराध (% में)
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पहला अपराध
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अपराध (% में)
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पहला अपराध
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अपराध (% में)
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33 (असत्यापित वजन या माप के उपयोग के लिए जुर्माना) | 59,363 | 52.19% | 67,507 | 53.40% | 37,412 | 45.47% | 35,840 | 47.97%
|
36(1) (गैर मानक पैकेज की बिक्री आदि के लिए जुर्माना) | 23,531 | 20.69% | 23,823 | 18.85% | 16,526 | 20.09% | 12,813 | 17.15%
|
25 (गैर मानक वजन या माप के उपयोग के लिए जुर्माना) | 13,264 | 11.66% | 12,447 | 9.85% | 9,303 | 11.31% | 8,626 | 11.54%
|
30 (मानक वजन या माप के उल्लंघन में लेनदेन के लिए जुर्माना) | 13,264 | 11.66% | 8,982 | 7.11% | 8,046 | 9.78% | 6,447 | 8.63%
|
अन्य शेष धाराओं में दर्ज अपराध | 4,323 | 3.80% | 13,650 | 10.80% | 10,992 | 13.36% | 10,995
|
14.71% |
कुल | 1,13,745 | 1,26,409 | 82,279 | 74,721
|
पहला और दूसरा अपराध (पिछले 4 वर्षों में)
मामले/वर्ष | 2018-19 | 2019-20 | 2020-21
|
2021-22 |
दर्ज मामलों की संख्या (पहला अपराध) | 1,13,745 | 1,26,409 | 82,279
|
74,721 |
कंपाउंडेड मामलों की संख्या (पहला अपराध) | 97,690 | 1,24,902 | 74,230
|
55,779 |
दर्ज मामलों की संख्या (दूसरा अपराध) | 12 | 5 | 3
|
11 |
अदालत में दायर मामलों की संख्या (दूसरा अपराध) | 4 | 3 | 3
|
7 |