‘ स्वावलंबन ‘ – भारतीय नौसेना की पहली नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगोष्ठी
नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन ( एनआईआईओ ) की पहली संगोष्ठी ‘स्वावलंबन’ 18-19 जुलाई 2022 को नई दिल्ली में आयोजित हुई थी। माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर पर उपस्थित थे। माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि थे।
दो दिवसीय इस संगोष्ठी में नौसेना कर्मियों के अलावा शिक्षाविदों, उद्योग, नीति निर्माताओं, बुद्धिजीवियों ( थिंक टैंक ), छात्रों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कमांड मुख्यालय और नौसेना की बाहरी इकाइयों के कार्मिक भी इसमें ऑनलाइन भाग लेने के लिए देश भर में फैले नामित सभागारों में एकत्रित हुए।
सुबह के उद्घाटन सत्र की शुरुआत सहायक नौसेनाध्यक्ष (स्टाफ आवश्यकताएँ) रियर एडमिरल विनीत मैकार्थी के स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद रक्षा सचिव, डॉ अजय कुमार ने भाषण दिया। वाइस चीफ ऑफ नेवल स्टाफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे, ने मुख्य भाषण दिया। सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स ( एसआईडीएम ) के अध्यक्ष ने उद्योग के परिप्रेक्ष्य के बारे में जानकारी दी। उद्घाटन सत्र में ही समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान और उद्योग भागीदारों की भारतीय नौसेना निर्देशिका ( आईएनडीआईपी ) का विमोचन भी किया गया।
चार परस्पर सम्वाद ( इंटरैक्टिव ) सत्रों में पहले दिन विशिष्ट विषयों का उल्लेख हुआ । नवाचार पर पहले सत्र ने भारतीय नौसेना में सर्वोत्तम प्रौद्योगिकी को गति देने में उद्योग, शिक्षा और नीति की भूमिका की जांच की। एनआईआईओ के गठन के बाद से उसकी अब तक की यात्रा और आगे के रास्ते पर विचार-विमर्श किया गया। नौसेना को आयुधों से सज्जित करने पर ध्यान देने के साथ ही दूसरे संवाद सत्र में इस विशिष्ट क्षेत्र में आत्म-निर्भरता को साकार करने के लिए भारतीय उद्योग की क्षमता का दोहन करने के उपायों पर चर्चा की गई। विमानन पर चर्चा के साथ तीसरे सत्र में इसके मुख्य विषय के रूप में एल्गोरिदमिक युद्ध के युग में विमानन का भविष्य की जांच की गई। अंतिम संवाद सत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में स्वदेशीकरण और घरेलू रक्षा उत्पादन, संबद्ध चुनौतियों और आगे की राह को बढ़ाने के लिए परस्पर विचार –विमर्श किया गया ।
पूर्ण सत्र में अन्य गणमान्य व्यक्तियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ माननीय प्रधानमंत्री ने भाग लिया। मुख्य अतिथि को उद्योग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में ले जाया गया और एक स्वायत्त मल्टी-कॉप्टर ड्रोन – है ‘ वरुण ‘ पर्सनल एयर व्हीकल , जो एक यात्री को ले जाने में सक्षम है , का प्रायोगिक प्रदर्शन भी किया गया I साथ ही रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में सेवानिवृत्त सैनिकों द्वारा किए जा रहे योगदान पर जोर दिया गया।
संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण प्रधानमंत्री द्वारा आईडीईएक्स डीआईएससी 7 ( स्प्रिंट – एसपीआरआईएनटी ) चुनौतियों का विमोचन था । स्प्रिंट ( आईडीईएक्स, एनआईआईओ और टीडीएसी के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास ( आर एंड डी ) में ऊंची छलांग ( पोल-वॉल्टिंग ) का समर्थन ) रक्षा नवाचार संगठन ( डीआईओ ) और नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन ( एनआईआईओ ) के बीच एक सहयोगी परियोजना है जिसका उद्देश्य आजादी का अमृत महोत्सव के एक हिस्से के रूप में कम से कम 75 स्वदेशी प्रौद्योगिकियों / उत्पादों को विकसित करना है । ये चुनौतियां कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस – एआई ) , स्वायत्त एवं मानव रहित प्रणाली ( सिस्टम ) और सूचना प्रौद्योगिकी सहित विशिष्ट प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला में फैली हुई हैं । डीआईएससी ( डिस्क – डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज ) और आईडीईएक्स की प्रथम श्रेणी ( प्राइम कैटेगरी ) दोनों के तहत उन चुनौतियों पर विचार किया जाएगा जिनमें क्रमशः 1.5 करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये तक के अनुदान के प्रावधान हैं। इसके अतिरिक्त आईडीईएक्स ओपन चैलेंज श्रेणी के तहत नवोन्मेषकों और स्टार्टअप्स द्वारा प्रस्तुत स्व – प्रेरणा ( सुओ मोटो ) प्रस्तावों पर भी स्प्रिंट के अंतर्गत विचार किया जा रहा है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित समयसीमा में प्राप्त हों , के लिए निगरानी के कई स्तरों को लागू किया जाएगा। निकट संपर्क और इन मामलों की नियमित निगरानी के लिए एनआईआईओ और डीआईओ द्वारा संपर्क के बिंदुओं की पहचान की गई है। इसके अलावा, एनआईआईओ कार्य समूहों ( वर्किंग ग्रुप्स ) और नेवल टेक्नोलॉजी एक्सेलेरेशन काउंसिल ( एनटीएसी ) द्वारा भी समय-समय पर समीक्षा की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता नौसेना स्टाफ के उप- प्रमुख ( वाइस चीफ ) करेंगे।
संगोष्ठी का दूसरा दिन सागर ( एसएजीएआर – क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) पर सरकार की स्पष्ट परिकल्पना के अनुसार हिंद महासागर क्षेत्र ( आईओआर ) तक पहुंच के लिए आरक्षित किया गया था और उद्योग जगत को ‘ विदेशी मित्र राष्ट्रों ‘ के लिए अपने ‘ निर्यात के लिए तैयार उत्पादों ‘ को प्रदर्शित करने का अवसर दिया गया था । संगोष्ठी के इस भाग को नई दिल्ली में तैनात आईओआर देशों के रक्षा अटैचियों ने देखा, जबकि विदेशों में तैनात भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने संगोष्ठी में भाग लेने के लिए अपनी तैनाती ( पोस्टिंग ) के देशों के साथ संपर्क किया । पच्चीस से अधिक देशों के अधिकारियों ने इस संगोष्ठी में भाग लिया।
इस प्रकार से आयोजित यह पहली संगोष्ठी संभावनाओं एवं और महत्वाकांक्षाओं दोनों में ‘ ऐतिहासिक ‘ है और आत्मनिर्भर भारत में रक्षा तथा आत्मनिर्भरता की दिशा में नौसैनिक बल को सुदढ़ करने में एक नया अध्याय बनेगी ।